रांचीः 27% आरक्षण की मांग को लेकर झारखंड प्रदेश वैश्य मोर्चा ने सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को स्मरण-पत्र सौंपा. सीएम से मुलाकत नहीं हुई, इसलिए यह पत्र मुख्यमंत्री सचिवालय में दिया गया. वैश्य मोर्चा ने अपने पत्र में लिखा है कि विधानसभा चुनाव में सत्तारुढ़ तीनों पार्टियों ने अपने घोषणा पत्र में इसका उल्लेख किया था कि झारखंड के पिछड़े वर्ग को 27% आरक्षण दिया मिलेगा, लेकिन अभी भी नहीं मिल पाया.
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इस आलोक में वैश्य मोर्चा की ओर से 2 नवंबर 2020 को मांगपत्र सौंपकर झारखंड राज्य के 20वां स्थापना दिवस के अवसर पर इसकी विधिवत घोषणा करने का आग्रह किया गया था. साथ ही जब तक पिछड़े वर्ग के लिए 27% आरक्षण की घोषणा नहीं कर दी जाती है, तब तक राज्य में कोई भी नया बहाली न हो, यह मांग की गई थी, लेकिन अफसोस की बात है कि अब तक इस मामले को दरकिनार किया जाता रहा है. इसलिए अब आगामी विधानसभा सत्र में प्रस्ताव पारित कर पिछड़े वर्ग को 27% आरक्षण देने मामले पर सकारत्मक पहल होनी चाहिए.
सीएम खुद मामले में लें संज्ञान
वैश्य मोर्चा ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही वैश्य नेता, कार्यकर्ताओं, अधिकारियों और व्यवसायिओं को विरोधी मानकर बदले की भावना से प्रताड़ित किया जा रहा है. साथ ही झूठे केस में फंसाकर जेल भेजा जा रहा है. पुलिस-प्रशासन की ओर से तंग किया जा रहा है, जो लोकतंत्र के लिए कदापि ठीक नहीं है.
साथ ही लिखा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ऐसे मामलों में खुद संज्ञान लें. इस ज्ञापन में केंद्रीय अध्यक्ष महेश्वर साहू, कार्यकारी अध्यक्ष हीरानाथ साहू, प्रधान महासचिव वीरेंद्र कुमार, वरीय उपाध्यक्ष रामसेवक प्रसाद, केंद्रीय उपाध्यक्ष संजीव चौधरी, केंद्रीय सचिव गुड्डू साहा, संगठन सचिव अनिल कुमार वैश्य के हस्ताक्षर हैं.
तो करेंगे आंदोलन
वहीं केंद्रीय अध्यक्ष महेश्वर साहू ने कहा कि इन मुद्दों को लेकर वैश्य मोर्चा के पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों की ओर से 18 से 28 फरवरी तक जिलों और प्रखंडों का दौरा किया जाएगा. साथ ही कहा कि वैश्य समाज को संगठित और संघर्ष के लिए तैयार किया जाएगा. अगर, 26 फरवरी से प्रारंभ होने वाले विधानसभा-सत्र में सरकार की ओर से 27% आरक्षण देने की घोषणा नहीं की जाती है, तो 5 मार्च से आंदोलन की शुरुआत कर दी जाएगी.