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यूरेनियम जैसे पदार्थ पर हाईकोर्ट गंभीर, कहा-राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला, एनआईए को दिया जांच का आदेश

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Published : Dec 3, 2021, 10:36 PM IST

Updated : Dec 3, 2021, 10:42 PM IST

झारखंड के बोकारो जिले के हरला थाना क्षेत्र में यूरेनियम जैसा पदार्थ पकड़े जाने की जांच अब एनआईए करेगी. साथ ही बोकारो एसपी को दस्तावेज एनआईए को सौंपने के आदेश दिए हैं.

Uranium Like Substance Case Jharkhand High Court Ordered to NIA to Investigate
यूरेनियम जैसे पदार्थ पर हाईकोर्ट गंभीर, कहा-राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला

रांची: झारखंड के बोकारो जिले के हरला थाना क्षेत्र में यूरेनियम जैसे पदार्थ पकड़े जाने की जांच अब एनआईए करेगी. झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में एनआईए को प्रतिवादी बनाया है और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले की जांच करने के आदेश दिए हैं. साथ ही बोकारो एसपी को इस मामले से जुड़ी जमानत याचिका और अन्य दस्तावेज एनआईए को सौंपने के निर्देश दिए हैं.

ये भी पढ़ें-सांसद निशिकांत दुबे फर्जी डिग्री केस: हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब, 6 जनवरी को होगी अगली सुनवाई

यहां से कराएं जांच

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय प्रसाद की अदालत ने जब्त सैंपल की जांच भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) के साथ इंदिरा गांधी एटॉमिक रिसर्च सेंटर कलपक्कम या राजा रमन्ना रिसर्च सेंटर इंदौर में कराने का आदेश दिया है. बार्क को सीलबंद जांच रिपोर्ट भेजने का निर्देश भी कोर्ट ने दिया है. कोर्ट ने इसकी सूचना राज्य के गृह सचिव, डीजीपी, एनआईए और झारखंड के महानिदेशक को भेजने का निर्देश भी दिया है.

पुलिस की ओर से जब्त किए गए यूरेनियम जैसे पदार्थ के मामले में चल रहे मुकदमे की सुनवाई में न्यायाधीश ने कहा कि यूरेनियम जैसा पदार्थ का मिलना काफी गंभीर है. यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा और अति गंभीर मामला है. इस कारण इसकी व्यापक जांच एनआईए से कराना उचित होगा.

यूसीआईएल ने कहा यूरेनियम जैसा, यूरेनियम नहीं

इससे पहले बोकारो पुलिस के यूरेनियम जैसे पदार्थ को जब्त करने के मामले में निचली अदालत ने छह आरोपियों को जमानत प्रदान कर दी थी. वहीं एक आरोपी कृष्ण कांत राणा की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. जमानत के लिए राणा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. सुनवाई के दौरान अदालत ने इसे गंभीर मामला माना और बोकारो के एसपी को कोर्ट में तलब किया. सुनवाई के दौरान एसपी ने अदालत को बताया कि इस मामले का अनुसंधान जारी है. जब्त किए गए सैंपल की जांच जादूगोड़ा स्थित यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ( यूसीआईएल) से कराई गई है. यूसीआईएल ने जांच में जब्त पदार्थ के यूरेनयम नहीं होने की बात कही. उसे यूरेनियम जैसा बताया.

सीलबंद रिपोर्ट मांगी

इस पर अदालत ने एसपी से कहा कि यह संगीन और गंभीर मामला है. यूरेनियम काफी संवेदनशील और महत्वपूर्ण पदार्थ है. इस मामले की गहन जांच होनी चाहिए. इसके बाद अदालत ने एनआईए को प्रतिवादी बनाते हुए केस को टेक ओवर करने का निर्देश दिया. बार्क और अन्य न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर की सीलबंद रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. अदालत ने राणा को फिलहाल जमानत देने से इनकार करते हुए जांच रिपोर्ट मिलने के बाद सुनवाई करने की बात कही. अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी.

झारखंड में यूरेनियम

बता दें कि भारत के कई राज्यों में यूरेनियम के भंडार पाए जाते हैं. इनमें राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, मेघालय, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश आदि हैं. वर्तमान में झारखंड और आंध्र प्रदेश में ही यूरेनियम का खनन होता है. झारखंड में यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ इंडिया 1967 से यूरेनियम का खनन कर रही है.

निजी वाहन पर नाम पट्टिका लगाने के मामले में नाराजगी

वहीं वाहन पर नाम पट्टिका लगाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार के जवाब पर नाराजगी जताई. झारखंड सरकार के परिवहन सचिव को लिखित रूप से स्पष्ट जवाब शपथ पत्र के माध्यम से देने के निर्देश दिए हैं. अदालत ने यह जानना चाहा कि, जब नियम में यह प्रावधान है कि सिर्फ सरकारी गाड़ी पर ही नाम पट्टिका या बोर्ड लगाए जाएंगे तो जनप्रतिनिधियों की निजी गाड़ी पर यह नाम पट्टिका लगाने की छूट कैसे दी गई?

झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने बताया कि कोर्ट ने सरकार से यह भी जानना चाहा है कि कितने निजी वाहनों पर अवैध रूप से लगे बोर्ड के कारण कार्रवाई की गई है, शपथ पत्र के माध्यम से जानकारी दें. अदालत ने सरकार को 14 जनवरी से पूर्व अपना जवाब अदालत में पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 14 जनवरी को होगी. इस मामले की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश एसएन प्रसाद की अदालत में हुई. बता दें कि इस बारे में गजावा तनवीर ने हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी.

रांची: झारखंड के बोकारो जिले के हरला थाना क्षेत्र में यूरेनियम जैसे पदार्थ पकड़े जाने की जांच अब एनआईए करेगी. झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में एनआईए को प्रतिवादी बनाया है और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले की जांच करने के आदेश दिए हैं. साथ ही बोकारो एसपी को इस मामले से जुड़ी जमानत याचिका और अन्य दस्तावेज एनआईए को सौंपने के निर्देश दिए हैं.

ये भी पढ़ें-सांसद निशिकांत दुबे फर्जी डिग्री केस: हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब, 6 जनवरी को होगी अगली सुनवाई

यहां से कराएं जांच

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय प्रसाद की अदालत ने जब्त सैंपल की जांच भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) के साथ इंदिरा गांधी एटॉमिक रिसर्च सेंटर कलपक्कम या राजा रमन्ना रिसर्च सेंटर इंदौर में कराने का आदेश दिया है. बार्क को सीलबंद जांच रिपोर्ट भेजने का निर्देश भी कोर्ट ने दिया है. कोर्ट ने इसकी सूचना राज्य के गृह सचिव, डीजीपी, एनआईए और झारखंड के महानिदेशक को भेजने का निर्देश भी दिया है.

पुलिस की ओर से जब्त किए गए यूरेनियम जैसे पदार्थ के मामले में चल रहे मुकदमे की सुनवाई में न्यायाधीश ने कहा कि यूरेनियम जैसा पदार्थ का मिलना काफी गंभीर है. यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा और अति गंभीर मामला है. इस कारण इसकी व्यापक जांच एनआईए से कराना उचित होगा.

यूसीआईएल ने कहा यूरेनियम जैसा, यूरेनियम नहीं

इससे पहले बोकारो पुलिस के यूरेनियम जैसे पदार्थ को जब्त करने के मामले में निचली अदालत ने छह आरोपियों को जमानत प्रदान कर दी थी. वहीं एक आरोपी कृष्ण कांत राणा की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. जमानत के लिए राणा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. सुनवाई के दौरान अदालत ने इसे गंभीर मामला माना और बोकारो के एसपी को कोर्ट में तलब किया. सुनवाई के दौरान एसपी ने अदालत को बताया कि इस मामले का अनुसंधान जारी है. जब्त किए गए सैंपल की जांच जादूगोड़ा स्थित यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ( यूसीआईएल) से कराई गई है. यूसीआईएल ने जांच में जब्त पदार्थ के यूरेनयम नहीं होने की बात कही. उसे यूरेनियम जैसा बताया.

सीलबंद रिपोर्ट मांगी

इस पर अदालत ने एसपी से कहा कि यह संगीन और गंभीर मामला है. यूरेनियम काफी संवेदनशील और महत्वपूर्ण पदार्थ है. इस मामले की गहन जांच होनी चाहिए. इसके बाद अदालत ने एनआईए को प्रतिवादी बनाते हुए केस को टेक ओवर करने का निर्देश दिया. बार्क और अन्य न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर की सीलबंद रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. अदालत ने राणा को फिलहाल जमानत देने से इनकार करते हुए जांच रिपोर्ट मिलने के बाद सुनवाई करने की बात कही. अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी.

झारखंड में यूरेनियम

बता दें कि भारत के कई राज्यों में यूरेनियम के भंडार पाए जाते हैं. इनमें राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, मेघालय, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश आदि हैं. वर्तमान में झारखंड और आंध्र प्रदेश में ही यूरेनियम का खनन होता है. झारखंड में यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ इंडिया 1967 से यूरेनियम का खनन कर रही है.

निजी वाहन पर नाम पट्टिका लगाने के मामले में नाराजगी

वहीं वाहन पर नाम पट्टिका लगाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार के जवाब पर नाराजगी जताई. झारखंड सरकार के परिवहन सचिव को लिखित रूप से स्पष्ट जवाब शपथ पत्र के माध्यम से देने के निर्देश दिए हैं. अदालत ने यह जानना चाहा कि, जब नियम में यह प्रावधान है कि सिर्फ सरकारी गाड़ी पर ही नाम पट्टिका या बोर्ड लगाए जाएंगे तो जनप्रतिनिधियों की निजी गाड़ी पर यह नाम पट्टिका लगाने की छूट कैसे दी गई?

झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने बताया कि कोर्ट ने सरकार से यह भी जानना चाहा है कि कितने निजी वाहनों पर अवैध रूप से लगे बोर्ड के कारण कार्रवाई की गई है, शपथ पत्र के माध्यम से जानकारी दें. अदालत ने सरकार को 14 जनवरी से पूर्व अपना जवाब अदालत में पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 14 जनवरी को होगी. इस मामले की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश एसएन प्रसाद की अदालत में हुई. बता दें कि इस बारे में गजावा तनवीर ने हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी.

Last Updated : Dec 3, 2021, 10:42 PM IST
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