रांचीः होली अवकाश के बाद 13 मार्च को झारखंड बजट सत्र की कार्यवाही शुरू होते ही पूरा सदन 'नाय चलतो, नाय चलतो' के नारे से गूंज उठा. प्रश्नकाल शुरू होते ही भाजपा के विधायक वेल में आ गये और सरकार से जवाब मांगने लगे.
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बजट सत्र की कार्यवाही के दौरान भाजपा विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने सरकार से पूछा कि सदन से स्थानीयता और नियोजन नीति को लेकर बिल पास हुआ था. लेकिन हाई कोर्ट में नियोजन नीति रद्द होने के बाद सरकार ने इस मामले को सदन में लाने के बजाय कैबिनेट के जरिए क्यों लाया. उन्होंने पूछा कि 60 और 40 का क्या मामला है. उन्होंने कहा कि इस पर मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहिए. यही सवाल सत्तापक्ष के विधायक लोबिन हेंब्रम ने भी उठाया. आजसू विधायक सुदेश महतो ने भी कहा कि सदन की अवमानना हुई है. विपक्ष के विधायकों ने सरकार से पूछा कि सारी जानकारी मीडिया के हवाले से मिल क्यों मिल रही है. इस पर मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहिए.
इसी बीच प्रश्नकाल के दौरान निर्दलीय विधायक अमित यादव का इसी मसले पर अल्प सूचित प्रश्न आ उठा. उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या यह बात सही है कि झारखंड में नियोजन नीति नहीं बनने के कारण पिछले 3 वर्षों से सभी प्रकार के वर्ग तीन और चार के पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया बाधित है. इसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित किए जाने वाले विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए परीक्षा संचालन संशोधन नियमावलियों के अनुसार विभिन्न पदों से संबंधित नियुक्ति और सेवा संशोधित नियमावली का गठन करते हुए किया जा रहा है.
इसको लेकर 11 हजार रिक्त पदों पर साल 2021 और 2022 में नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया. उसी आधार पर राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला में वैज्ञानिक सहायक के कुल 58 रिक्त पदों और रिम्स में परिचारिका श्रेणी ए के कुल 333 पदों पर नियुक्ति भी हुई. हालांकि झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा रिट पिटिशन संख्या 3894/2021 में रमेश हांसदा एवं अन्य बनाम राज्य मामले में 16 दिसंबर 2022 को हाईकोर्ट के आदेश के बाद कार्मिक विभाग ने 30 जनवरी 2023 को राज्य कर्मचारी आयोग के सभी 12 विज्ञापनों को रद्द कर दिया था.
संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि यह नीति सदन से पारित हुई थी और हाई कोर्ट के निर्देश के बाद इसमें संशोधन किया गया है. अब झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली विभिन्न स्तर की प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए परीक्षा संचालन संशोधन नियमावलियों का गठन किया जा चुका है. लेकिन भाजपा विधायक सरकार के जवाब को नाकाफी बताते हुए वेल में हंगामा करते रहे. इस दौरान भाजपा विधायकों ने कहा कि 1932 की भेलो. सदन में हंगामा को देखते हुए स्पीकर ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी.