रांची: झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र गुरुवार को समाप्त हो गया. पूरा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया. इसपर सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष ने भी दुख जताया है. उन्होंने माना है कि अगर सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण तरीके से चलती तो जनता से जुड़े कई मुद्दे सदन में उठाए जाते और जिनका निपटारा भी किया जाता.
यह भी पढ़ें: सदन में नमाज कक्ष का विवाद सुलझाने के लिए बनी कमेटी, भानू ने कहा- भाजपा के दबाव का हुआ असर
भाजपा बोली- सदन नहीं चलने के लिए सरकार जिम्मेदार
सदन नहीं चलने को लेकर विपक्षी दल के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने सरकार और सत्ता पक्ष को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि सरकार जानबूझकर दो ऐसी चीजें लाई जिसके चलते सदन की हंगामे की भेंट चढ़ गई. पहला सदन के अंदर नमाज पढ़ने को लेकर कमरा आवंटित करना और उर्दू को दूसरे मुख्य विषय में शामिल करना. राज्य सरकार यह जानती थी कि भाजपा इन मुद्दों को लेकर निश्चित रूप से विरोध करेगी. सरकार खुद नहीं चाहती थी कि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चले. सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चलने के लिए सिर्फ सरकार जिम्मेदार है.
सरकार को आइना दिखा सकता था विपक्ष, लेकिन वे सिर्फ हंगामा करते रहे: कांग्रेस
कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि सदन के अंदर कई मुद्दों को लेकर सरकार को घेरा जा सकता था लेकिन भाजपा ने सदन के अंदर उन मुद्दों को नहीं उठाया. भाजपा को एजुकेशन, रोजगार, जेटेट, नर्स ट्रेनिंग जैसे मुद्दों को सदन में लाकर सरकार को एक्सपोज करना चाहिए था लेकिन विपक्ष की ओर से ऐसे मुद्दों को सदन में नहीं उठाया गया. विपक्ष सरकार को आइना दिखा सकता था और जनता से जुड़े मुद्दों को उठा सकता था लेकिन किसी ने ऐसा कुछ नहीं किया.
निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा कि जितने दिन से भी सदन चल रहा है, कुछ अपवाद को छोड़कर हमेशा हंगामे की भेंट चढ़ा है. पिछले 5 साल में भी एक साल सदन सिर्फ सुचारू रूप से चला. बाकी 4 साल इसी तरह से हंगामे की भेंट चढ़ा. इस बार भी यही हो रहा है सदन सुचारू रुप से चले इस बारे में सोचना चाहिए. लेकिन इस बारे में कोई नहीं सोचता है.