रांची: पीएम मोदी के आह्वान पर वोकल फॉर लोकल को प्रमोट करने के लिए सीसीएल और एमएसएमई के द्वारा दो दिवसीय वेंडर विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया (vendor development program at CCL Darbhanga House ). इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों में काम करनेवाले कारोबारियों द्वारा 60 स्टॉल लगाये गए. इस प्रदर्शनी में पर्यावरण संरक्षण से लेकर महिला सशक्तिकरण पर फोकस किया गया है.
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कहते हैं कि अगर आपमें कुछ करने की ललक है तो आप उस काम में सफलता की पहली सीढ़ी पार कर ली है. उसके बाद जब इसे मूर्तरूप दे दिया गया तो सफलता की आप दूसरी सीढ़ी पार कर ली है और जब दुनियां आपके हुनर को मानने लगे सफलता के चरमोत्कर्ष पर आप पहुंचने वाले हैं. कुछ ऐसे ही हुनरमंदों का जमावड़ा राजधानी रांची के सीसीएल दरभंगा हाउस कैंपस में दिखा.
पीएम मोदी के आह्वान पर वोकल फॉर लोकल को प्रमोट करने के लिए सीसीएल और एमएसएमई के द्वारा दो दिवसीय वेंडर विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों में काम करनेवाले कारोबारियों ने 60 स्टॉल लगाये. इस मौके पर सीसीएल निदेशक हर्ष नाथ मिश्र ने कहा कि सीसीएल द्वारा पब्लिक प्रोक्योरमेंट पॉलिसी का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है. ज्यादा से ज्यादा प्रोक्योरमेंट सूक्ष्म और लघु उद्यमों से किया जा रहा है. इससे क्रेता और विक्रेता दोनों को फायदा होगा. उन्होंने ये भी कहा कि इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले एमएसएमई के वेंडर को विकास और प्रगति का मूल्यांकन समय-समय पर किया जाना चाहिए. इनके द्वारा तैयार सामान को सीसीएल प्राथमिकता के आधार पर लेती है.
प्रदर्शनी में पर्यावरण संरक्षण से लेकर महिला सशक्तिकरण पर फोकस: सीसीएल दरभंगा हाउस कैंपस में लगे 60 स्टॉल में पर्यावरण संरक्षण से लेकर महिला सशक्तिकरण की झलक देखने को मिलेगी. सीएस और एलएलबी की पढ़ाई करने के बाद महिला सशक्तिकरण पर काम कर रही रामगढ़ की सरिता पांडे भी इस प्रदर्शनी में शामिल हुईं हैं. ये असहाय महिलाओं का सहारा बनकर उनके हाथों बने एक से बढ़कर एक घरेलू सामान की प्रदर्शनी कर लोगों को खासा आकर्षित कर रही हैं. सरिता पांडे का मानना है कि सामाजिक क्षेत्र में काम करने में उनके पति और परिवार के लोग काफी सहयोग करते हैं. जिस वजह से अब तक करीब ढाई हजार महिलाओं के हुनर को देश दुनियां के समक्ष लाने में वे सफल हुई हैं.
इसी तरह प्रदूषण दूर करने के लिए अनोखे ढंग से जैविक खाद बनाने में जुटे धनबाद के रवि कुमार निषाद बताते हैं कि शुरुआत भलें ही छोटे स्तर पर हुआ, मगर चार वर्षों में ही उनके साथ 400 लोगों की टीम बन गई है, जिससे हजारों लोगों को लाभ मिल रहा है. बहरहाल दो दिनों तक चले इस वेंडर विकास कार्यक्रम के जरिए जहां लोगों को स्वरोजगार के प्रति प्रेरित किया गया वहीं इससे होनेवाले लाभ और परेशानियों पर विस्तार से चर्चा की गई.