रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में मौसम आधारित एग्रो एडवाइजरी विषय पर आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण सह संवेदीकरण कार्यक्रम का समापन हो गया. विश्वविद्यालय के कृषि मौसम एवं पर्यावरण विभाग में आयोजित इस कार्यक्रम में राज्य के 11 जिलों के कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के वैज्ञानिकों को डिस्ट्रिक्ट एग्रोमेट यूनिट (डाम) के संचालन की व्यवहारिक तकनीकों से परिचित कराया गया.
दो दिवसीय प्रशिक्षण सह संवेदीकरण कार्यक्रम का समापन
दो दिनों के इस संवेदीकरण कार्यक्रम में प्रतिभागियों को विभाग के अध्यक्ष डॉ. अब्दुल वदूद ने डिस्ट्रिक्ट एग्रोमेट यूनिट (डामू) प्रणाली के कार्यान्वयन के बारे में बताया. विभाग के विश्वविद्यालय प्राध्यापक डॉ. रमेश कुमार ने मौसम विज्ञान से जुड़े वैज्ञानिक उपकरण के संचालन एवं मौसम डाटा संकलन के तरीकों के बारे में बताया. रांची मौसम विभाग के अभिषेक आनंद ने डामू सिस्टम में भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) की भूमिका, मौसम पूर्वानुमान और मूल्य संवर्धन और जिला स्तर पर कृषि सलाहकार बुलेटिन की तैयारी में एनडीवी, वीएचआई, वीसीआई, टीसीआई, एमआई तकनीकों का उपयोग से अवगत कराया. कृषि मौसम क्षेत्र इकाई (एएमएफयू) दुमका केंद्र के सीनियर रिसर्च फेलो बिनोद कुमार ने आईएमडी की एग्रो एडवाइजरी में भूमिका, मौसम आधारित आईसीएआर की मेघदूत एवं दामिनी एप एवं वेबसाइट, एग्रोमेट-डीएसएस और आईएमडी एग्रीमेट वेबसाइट के तकनीकी पहलुओं के बारे में बताया, जबकि एएमएफयू, कांके, रांची केंद्र के सीनियर रिसर्च फेलो संजीव कुमार ने प्रखंड स्तरीय मौसम आधारित कृषि सलाहकार बुलेटिन की तैयारी और प्रसार करने की विधियों की जानकारी दी.
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मौसम आधारित खेती परामर्श सेवा की शुरुआत
समापन समारोह के अवसर पर डायरेक्टर रिसर्च डॉ. अब्दुल वदूद ने कहा कि राज्य के अन्य 11 जिलों में मौसम आधारित खेती परामर्श सेवा की शुरुआत से किसानों को आगामी 5 दिनों के मौसम पूर्वानुमान के साथ-साथ मौसम आधारित विभिन्न कार्य कलापों की विस्तृत जानकारी मिलने लगेगी. इन जानकारियों से किसान अनुकूल मौसम का लाभ लेकर खेती कर सकेंगे. डायरेक्टर एक्सटेंशन एजुकेशन डॉ. जगरनाथ उरांव ने कहा कि केवीके के माध्यम से जानकारी लेकर जिले के किसान प्रतिकूल मौसम में अपनी फसलों की सुरक्षा कर सकेंगे. जल्द ही यह सेवा बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की तरफ से संचालित 11 कृषि विज्ञान केन्द्रों की तरफ से प्रत्येक जिले में प्रत्येक प्रखंड स्तर तक उपलब्ध होगी. इससे प्रखंड स्तर तक के किसानों को लाभ होगा और प्रदेश में कृषि विकास को गति मिलेगी.