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सीआईडी ने देवघर से दो साइबर अपराधियों को दबोचा, रांची की युवती से की थी 3.50 लाख की ठगी

देवघर से सीआईडी की टीम ने देवघर से दो साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. इन पर एसबीआई का प्रतिनिधि बनकर एक युवती से साढ़े तीन लाख रुपए ठगने का आरोप है. आखिर कैसे करते हैं ठगी करते हैं ये साइबर अपराधी आपके लिए इसे जानना बेहद जरूरी है.

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Published : Jan 19, 2023, 8:52 PM IST

Two cyber criminals arrested from Deoghar
पुलिस की गिरफ्त में साइबर अपराधी

रांची: सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच ने देवघर से दो साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. साइबर अपराधियों ने रांची की एक युवती से एसबीआई कस्टमर केयर का प्रतिनिधि बनकर साढ़े तीन लाख रुपये की ठगी की थी. मामले को लेकर सीआईडी के साइबर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी.

ये भी पढ़ें- Cyber Crime in Jamtara: फर्जी बैंक अधिकारी बन करते थे ठगी, 7 साइबर अपराधी गिरफ्तार

क्या है पूरा मामला: रांची के बरियातू इलाके की रहने वाली युवती पूजा कुमारी से साइबर अपराधियों ने खुद को स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया का कस्टमर केयर प्रतिनिधि बनकर 3.50 लाख की ठगी कर डाली थी. ठगी की शिकार होने के बाद पूजा कुमारी ने सीआईडी के साइबर थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी. मामले की तफ्तीश में जुटी सीआईडी के साइबर टीम को यह जानकारी मिली कि इस ठगी को देवघर से अंजाम दिया गया है और जिस अकाउंट में पैसे को ट्रांसफर किया गया है उसका डिटेल भी जांच के दौरान मिला. जिसके बाद मामले में कार्रवाई करते हुए टीम ने देवघर में छापेमारी कर दो साइबर अपराधियों एनुल अंसारी और बहारूद्दीन अंसारी को धर दबोचा. दोनों ही अपराधी देवघर जिले के पथरघटिया गांव के रहने वाले हैं.

एनी डेस्क से ऐसे होती है ठगी: एनी डेस्क ऐप मोबाइल में डाउनलोड करते ही संबंधित मोबाइल या कंप्यूटर साइबर अपराधियों के कंट्रोल में हो जाती है. इसके बाद साइबर अपराधी ई-वॉलेट, यूपीआइ ऐप सहित अन्य बैंक खातों से जुड़े सभी ऐप को आसानी से ऑपरेट कर रुपये उड़ा लेते है. इस ऐप को साइबर अपराधी मदद के नाम पर डाउनलोड करवाते हैं, इसके बाद पूरी मोबाइल पर कब्जा जमा लेते हैं. इसके लिए साइबर अपराधी तब लोगों को कॉल करते हैं, जब कोई बैंक से मदद के लिए गूगल पर टोल-फ्री नंबर ढूंढकर कॉल करते हैं. कॉल करने पर मदद के नाम पर झांसे में देते हैं.

मांगा जाता है नौ अंकों का कोड: जब यह एप डाउनलोड किए जाने के बाद नौ अंकों का एक कोड जेनरेट होता है. जिसे साइबर अपराधी शेयर करने के लिए कहते हैं. जब यह कोड अपराधी अपने मोबाइल फोन में फीड करता है तो संबंधित व्यक्ति के मोबाइल फोन का रिमोट कंट्रोल अपराधी के पास चला जाता है. वह उसे एक्सेस कर लेता है. अपराधी खाता धारक के फोन का सभी डेटा की चोरी कर लेता है. वह इसके माध्यम से यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) सहित अन्य वॉलेट से रुपये से उड़ा लेते हैं.

16 जनवरी को भी हुई थी साइबर अपराधी की गिरफ्तारी: बीते सोमवार को भी सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच ने असम जाकर एक साइबर अपराधी को गिरफ्तार किया था. रांची में अवध पोद्दार नाम के व्यक्ति के खाते से 11 अक्तूबर 2022 को 2.50 लाख रुपये की फर्जी निकासी कर ली गई थी. इस मामले में साइबर क्राइम ब्रांच ने असम के मारीगांव से गणेश मंडल को गिरफ्तार किया था. गणेश ने साइबर ठगी के तरीके के बारे में जो जानकारी दी है वह काफी चौंकाने वाली थी. गणेश ने अवध पोद्दार के बैंक खाते से लिंक बोयोमेट्रिक थंप्रेशन की क्लोनिंग कर ली थी इसके बाद आधार इनेबल पेमेंट सिस्टम का दुरुपयोग करते हुए पीओएस मशीन से पैसे की निकासी कर ली थी. जांच में यह बात सामने आयी थी कि इसके लिए फिनो पेमेंट बैंक में फर्जी दस्तावेज का प्रयोग करके बैंक कॉरेस्पोंडेंट और बैंक मित्र खाता खुलवाया गया था. इसके बाद क्लोन की गई फिंगरप्रिंट का उपयोग करके विभिन्न खातों में पैसा हस्तांतरित कर दिया गया था.

रांची: सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच ने देवघर से दो साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. साइबर अपराधियों ने रांची की एक युवती से एसबीआई कस्टमर केयर का प्रतिनिधि बनकर साढ़े तीन लाख रुपये की ठगी की थी. मामले को लेकर सीआईडी के साइबर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी.

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क्या है पूरा मामला: रांची के बरियातू इलाके की रहने वाली युवती पूजा कुमारी से साइबर अपराधियों ने खुद को स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया का कस्टमर केयर प्रतिनिधि बनकर 3.50 लाख की ठगी कर डाली थी. ठगी की शिकार होने के बाद पूजा कुमारी ने सीआईडी के साइबर थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी. मामले की तफ्तीश में जुटी सीआईडी के साइबर टीम को यह जानकारी मिली कि इस ठगी को देवघर से अंजाम दिया गया है और जिस अकाउंट में पैसे को ट्रांसफर किया गया है उसका डिटेल भी जांच के दौरान मिला. जिसके बाद मामले में कार्रवाई करते हुए टीम ने देवघर में छापेमारी कर दो साइबर अपराधियों एनुल अंसारी और बहारूद्दीन अंसारी को धर दबोचा. दोनों ही अपराधी देवघर जिले के पथरघटिया गांव के रहने वाले हैं.

एनी डेस्क से ऐसे होती है ठगी: एनी डेस्क ऐप मोबाइल में डाउनलोड करते ही संबंधित मोबाइल या कंप्यूटर साइबर अपराधियों के कंट्रोल में हो जाती है. इसके बाद साइबर अपराधी ई-वॉलेट, यूपीआइ ऐप सहित अन्य बैंक खातों से जुड़े सभी ऐप को आसानी से ऑपरेट कर रुपये उड़ा लेते है. इस ऐप को साइबर अपराधी मदद के नाम पर डाउनलोड करवाते हैं, इसके बाद पूरी मोबाइल पर कब्जा जमा लेते हैं. इसके लिए साइबर अपराधी तब लोगों को कॉल करते हैं, जब कोई बैंक से मदद के लिए गूगल पर टोल-फ्री नंबर ढूंढकर कॉल करते हैं. कॉल करने पर मदद के नाम पर झांसे में देते हैं.

मांगा जाता है नौ अंकों का कोड: जब यह एप डाउनलोड किए जाने के बाद नौ अंकों का एक कोड जेनरेट होता है. जिसे साइबर अपराधी शेयर करने के लिए कहते हैं. जब यह कोड अपराधी अपने मोबाइल फोन में फीड करता है तो संबंधित व्यक्ति के मोबाइल फोन का रिमोट कंट्रोल अपराधी के पास चला जाता है. वह उसे एक्सेस कर लेता है. अपराधी खाता धारक के फोन का सभी डेटा की चोरी कर लेता है. वह इसके माध्यम से यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) सहित अन्य वॉलेट से रुपये से उड़ा लेते हैं.

16 जनवरी को भी हुई थी साइबर अपराधी की गिरफ्तारी: बीते सोमवार को भी सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच ने असम जाकर एक साइबर अपराधी को गिरफ्तार किया था. रांची में अवध पोद्दार नाम के व्यक्ति के खाते से 11 अक्तूबर 2022 को 2.50 लाख रुपये की फर्जी निकासी कर ली गई थी. इस मामले में साइबर क्राइम ब्रांच ने असम के मारीगांव से गणेश मंडल को गिरफ्तार किया था. गणेश ने साइबर ठगी के तरीके के बारे में जो जानकारी दी है वह काफी चौंकाने वाली थी. गणेश ने अवध पोद्दार के बैंक खाते से लिंक बोयोमेट्रिक थंप्रेशन की क्लोनिंग कर ली थी इसके बाद आधार इनेबल पेमेंट सिस्टम का दुरुपयोग करते हुए पीओएस मशीन से पैसे की निकासी कर ली थी. जांच में यह बात सामने आयी थी कि इसके लिए फिनो पेमेंट बैंक में फर्जी दस्तावेज का प्रयोग करके बैंक कॉरेस्पोंडेंट और बैंक मित्र खाता खुलवाया गया था. इसके बाद क्लोन की गई फिंगरप्रिंट का उपयोग करके विभिन्न खातों में पैसा हस्तांतरित कर दिया गया था.

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