रांचीः सरना धर्म कोड की मांग तेज होने लगी है. 8 नवंबर को रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित जनसभा के जरिए सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश आदिवासी सेंगेल अभियान द्वारा किया जाएगा.
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सरना धर्म कोड को लेकर आयोजित जनसभा में देश के विभिन्न प्रांतों से जनजातियों का महाजुटान रांची में करने की तैयारी है. दिन के 12 से शाम 4 बजे तक आयोजित इस जनसभा में धार्मिक आजादी के संघर्ष को मंजिल तक पहुंचाने का शंखनाद किया जाएगा. आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा है कि 8 नवंबर की सरना जनसभा एतिहासिक होगी. रांची से निर्णायक जन आंदोलन का आगाज होगा जो देश में रहने वाले 15 करोड़ आदिवासियों के सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक गुलामी से आजादी के रोड मैप को प्रस्तुत करेगा.
असम और अरुणाचल से भी जनजाति करेंगे शिरकतः रांची के मोरहाबादी मैदान में होने वाली यह जनसभा सरना धर्म कोड को लेकर संभवत पहली जनसभा होगी. जिसमें सिर्फ इसी मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश होगी. इस जनसभा में पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न जनजातीय समूह के सदस्य भी शामिल होंगे. असम और अरुणाचल प्रदेश के सुदूरवर्ती इलाकों से बड़ी संख्या में रांची के आसपास के जिलों में पहुंचने लगे हैं. इस जनसभा के जरिए जहां सरना धर्मकोड की मांग केन्द्र सरकार से की जायेगी वहीं जनजातीय एकजुटता का परिचय देने का काम किया जायेगा.
झारखंड विधानसभा से हो चुका है पासः हेमंत सरकार के द्वारा सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव 11 नवंबर 2020 को झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र से पास कराकर केंद्र सरकार से 2021 की जनगणना में संशोधन करने की मांग रखी गई थी. उसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सरना धर्म कोड को जनगणना में शामिल करने की मांग रखी थी. सरना प्रकृति पर आधारित है जो जनजातियों के लिए खास है. 2011 के जनगणना मुताबिक झारखंड में 40.75 लाख और देशभर में छह करोड़ लोगों ने सरना धर्म दर्ज कराया था.Conclusion:नो