रांची: राजधानी में सरना धर्म कोड की मांग को लेकर केंद्रीय सरना समिति, आदिवासी सेंगेल अभियान और अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के संयुक्त तत्वाधान में पूरे राज्य में चक्काजाम का आह्वान किया गया है. हालांकि, चक्काजाम का राजधानी में असर देखने को नहीं मिला. लेकिन आदिवासी समाज इस मांग को लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते नजर आए.
केंद्र तक गूंजेगी सरना धर्म कोड की आवाज
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि आदिवासी समाज के लोग लंबे समय से सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं. लेकिन सरकार आदिवासियों को ठगने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि विधानसभा के मानसून सत्र में भी सरना धर्म कोड प्रस्ताव लाने बात की गई थी. लेकिन मॉनसून सत्र में ऐसा नहीं हुआ क्योंकि 2021 में पूरे देश में जनगणना होने वाली है. ऐसे में आदिवासी अपने वजूद की मांग कर रहे हैं कि जनगणना में आदिवासियों का अपना धर्म कॉलम हो. अगर सरकार मांगे पूरी नहीं करती है, तो सरना धर्म कोड की आवाज केंद्र तक गूंजेगी.
आदिवासी समाज के अस्तित्व से जुड़ी है मांग
आदिवासी समाज के लोगों ने कहा कि सरना धर्म कोड की मांग आदिवासियों के अस्तित्व से जुड़ा हुआ है. ऐसे में सरकार से लगातार मांग की जा रही है कि विशेष कैबिनेट बुलाकर सरना धर्म कोड का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाए. ताकि 2021 में होने वाले जनगणना में अलग से सरना कॉलम रहे.
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सरना धर्म कोड का प्रस्ताव
केंद्रीय सरना समिति के महासचिव ने कहा कि आज पूरे राज्य में चक्का जाम का आह्वान किया गया था. विभिन्न जिलों में आदिवासी समाज के लोग निकले हैं और सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आवाज बुलंद कर रहे हैं. सरकार सरना धर्म कोड का प्रस्ताव जल्द केंद्र सरकार को नहीं भेजती है तो 6 दिसंबर को देशव्यापी रेल, बस का परिचालन बंद कर सड़क जाम किया जाएगा. वहीं उन्होंने कहा कि सरना धर्म कोड की मांग आदिवासियों के अस्तित्व से जुड़ा हुआ है और यह लड़ाई अस्तित्व की लड़ाई है और उन्होंने कहा कि बहुत ही दुर्भाग्य बात है कि जिस राज्य में मुख्यमंत्री आदिवासी हो, राज्यपाल आदिवासी हो और विपक्ष के विधायक दल के नेता आदिवासी हो. उस राज्य में आदिवासियों की लंबे समय से मांग को पारित नहीं किया जा रहा है.
ठगा महसूस कर रहे हैं लोग
उन्होंने कहा कि तमाम राजनीतिक पार्टियों के चुनावी एजेंडे में आदिवासियों को धर्म कोड देना शामिल था. लेकिन सरकार बनने के बाद भी आदिवासी समाज के लोग ठगा महसूस कर रहे हैं. राज्य सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द आदिवासियों की लंबे समय से चल रही सरना धर्म कोड की मांग को विशेष कैबिनेट बुलाकर सरना धर्म कोड के प्रस्ताव केंद्र में भेजा जाए.