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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आदिवासी समाज है खफा, दिल्ली के जंतर मंतर पर करेगा प्रदर्शन

सरना आदिवासी धर्म कोड पारित नहीं होने पर आदिवासी समाज नाराज है. कोड को मंजूरी नहीं मिलने से खफा आदिवासी समाज ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने का फैसला लिया है.

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आदिवासी समाज है खफा
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Published : Nov 10, 2021, 3:19 PM IST

रांचीः 11 नवंबर 2020 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) ने विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित कर सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पारित किया, ताकि आदिवासियों को उसका अधिकार मिल सके. लेकिन, सरना धर्म कोड पारित हुए एक साल बीत जाने के बावजूद आदिवासियों को अधिकार नहीं मिल पाया है. इससे नाराज आदिवासी समाज दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करेगा.

यह भी पढ़ेंःसीएम हेमंत ने उठाया सरना आदिवासी धर्म कोड का मुद्दा, बोले- केंद्र सरकार जल्द करे इस पर विचार

आदिवासी संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिवा कच्छप ने कहा कि हेमंत सरकार ने सरना आदिवासी धर्म कोड प्रस्ताव पारित किया, लेकिन अब तक केंद्र सरकार से मंजूरी नहीं मिली है. केंद्र सरकार से प्रस्ताव को मंजूरी दिलाने के लिए राज्य सरकार प्रयास भी नहीं कर रही है. इससे आदिवासी समाज खफा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री से मुलाकात की, लेकिन सरना आदिवासी धर्म कोड को लेकर कोई भी चर्चा नहीं की. इससे आदिवासी समाज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से खफा हैं. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए आगामी एक और दो दिसंबर को दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन करेगा.

देखें वीडियो

केंद्र में लटका है प्रस्ताव

झारखंड सरकार ने विधानसभा से पास कराकर इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेज दिया है, जिसमें आगामी जनगणना के प्रारूप में सरना आदिवासियों को अलग धर्म के रूप में दर्शाए जाने का जिक्र है. लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है. अलग-अलग आदिवासी संगठन भी केंद्र सरकार पर दबाव बना रहे हैं, ताकि जल्द निर्णय लिया जाए. झारखंड के सीएम भी चाहते हैं कि केंद्र सरकार जल्द इस मुद्दे पर निर्णय ले.

रांचीः 11 नवंबर 2020 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) ने विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित कर सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पारित किया, ताकि आदिवासियों को उसका अधिकार मिल सके. लेकिन, सरना धर्म कोड पारित हुए एक साल बीत जाने के बावजूद आदिवासियों को अधिकार नहीं मिल पाया है. इससे नाराज आदिवासी समाज दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करेगा.

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आदिवासी संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिवा कच्छप ने कहा कि हेमंत सरकार ने सरना आदिवासी धर्म कोड प्रस्ताव पारित किया, लेकिन अब तक केंद्र सरकार से मंजूरी नहीं मिली है. केंद्र सरकार से प्रस्ताव को मंजूरी दिलाने के लिए राज्य सरकार प्रयास भी नहीं कर रही है. इससे आदिवासी समाज खफा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री से मुलाकात की, लेकिन सरना आदिवासी धर्म कोड को लेकर कोई भी चर्चा नहीं की. इससे आदिवासी समाज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से खफा हैं. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए आगामी एक और दो दिसंबर को दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन करेगा.

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केंद्र में लटका है प्रस्ताव

झारखंड सरकार ने विधानसभा से पास कराकर इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेज दिया है, जिसमें आगामी जनगणना के प्रारूप में सरना आदिवासियों को अलग धर्म के रूप में दर्शाए जाने का जिक्र है. लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है. अलग-अलग आदिवासी संगठन भी केंद्र सरकार पर दबाव बना रहे हैं, ताकि जल्द निर्णय लिया जाए. झारखंड के सीएम भी चाहते हैं कि केंद्र सरकार जल्द इस मुद्दे पर निर्णय ले.

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