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रांचीः जनजातीय भाषा कवि सम्मेलन का हुआ समापन, क्षेत्रीय भाषाओं से जुड़ी कविताओं का किया गया पाठ

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Published : Mar 20, 2021, 5:41 PM IST

रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग और झारखंड सरकार के सांस्कृतिक कार्य निदेशालय की ओर से दो दिवसीय जनजातीय भाषा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. शनिवार को समापन समारोह में मुंडारी, खोरठा, पंचपरगनिया समेत कई भाषाओं से जुड़े कवि पहुंचे और अपनी-अपनी कविता पाठ किया.

टरांची
जनजातीय भाषा कवि सम्मेलन का हुआ समापन

रांचीः रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग और झारखंड सरकार के सांस्कृतिक कार्य निदेशालय की ओर से आयोजित दो दिवसीय जनजातीय भाषा कवि सम्मेलन का शनिवार को समापन हो गया. समापन समारोह में मुंडारी, खोरठा, पंचपरगनिया समेत कई भाषाओं से जुड़े कवि पहुंचे और अपनी-अपनी कविता का पाठ किया.

देखें वीडियो
45 कवियों ने दी प्रस्तुति

दो दिवसीय जनजातीय भाषा कवि सम्मेलन में 9 जनजातीय भाषाओं से जुड़े कविता की प्रस्तुति 45 कवियों की ओर से दी गई. इस दौरान हो, कुडुख, संथाली, मुंडारी, पंचपरगनिया और खोरठा जैसे भाषा के कवियों ने अपनी-अपनी कविता पाठ किया. बता दें कि उद्घाटन समारोह के दौरान भी विभिन्न भाषाओं से जुड़े कविताएं प्रस्तुत किए गए थे, जिसमें पद्मश्री मुकुंद नायक और पद्मश्री मधु मंसूरी भी शामिल थे.



कई गणमान्य हुए शामिल

समापन समारोह में पहुंचे विभागीय पदाधिकारी ने कहा कि यह आयोजन बेहतर साबित हुआ है. जनजातीय भाषाओं को बचाने और संरक्षण करने के लिए ऐसे कार्यक्रम लगातार होने चाहिए. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जनजातीय भाषाओं से जुड़े और भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. राज्य सरकार जनजातीय भाषाओं को संरक्षित करने को लेकर लगातार काम कर रही है.

रांचीः रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग और झारखंड सरकार के सांस्कृतिक कार्य निदेशालय की ओर से आयोजित दो दिवसीय जनजातीय भाषा कवि सम्मेलन का शनिवार को समापन हो गया. समापन समारोह में मुंडारी, खोरठा, पंचपरगनिया समेत कई भाषाओं से जुड़े कवि पहुंचे और अपनी-अपनी कविता का पाठ किया.

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45 कवियों ने दी प्रस्तुति

दो दिवसीय जनजातीय भाषा कवि सम्मेलन में 9 जनजातीय भाषाओं से जुड़े कविता की प्रस्तुति 45 कवियों की ओर से दी गई. इस दौरान हो, कुडुख, संथाली, मुंडारी, पंचपरगनिया और खोरठा जैसे भाषा के कवियों ने अपनी-अपनी कविता पाठ किया. बता दें कि उद्घाटन समारोह के दौरान भी विभिन्न भाषाओं से जुड़े कविताएं प्रस्तुत किए गए थे, जिसमें पद्मश्री मुकुंद नायक और पद्मश्री मधु मंसूरी भी शामिल थे.



कई गणमान्य हुए शामिल

समापन समारोह में पहुंचे विभागीय पदाधिकारी ने कहा कि यह आयोजन बेहतर साबित हुआ है. जनजातीय भाषाओं को बचाने और संरक्षण करने के लिए ऐसे कार्यक्रम लगातार होने चाहिए. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जनजातीय भाषाओं से जुड़े और भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. राज्य सरकार जनजातीय भाषाओं को संरक्षित करने को लेकर लगातार काम कर रही है.

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