रांची: सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आदिवासी समाज के लोग इस बार आर-पार के मूड में हैं. इसी मांग को लेकर समाज के लोगों की ओर से लगातार चरणबद्ध आंदोलन किया जा रहा है. इसी के साथ आदिवासी सामाजिक धार्मिक संगठन के संयुक्त तत्वाधान में 21 सितंबर को मोराबादी स्थित गांधी प्रतिमा के पास सत्याग्रह करने का आवाहन किया गया है, जिसके माध्यम से मांग की जाएगी कि विधानसभा के मानसून सत्र में सरना कोड का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाए. अगर इस सत्र में प्रस्ताव पारित नहीं किया जाए नहीं तो आगामी शीतकालीन सत्र में विधायकों को सदन में प्रवेश करने से रोकने की चेतावनी दी गई.
आदिवासियों को किया जा रहा है टारगेट
आदिवासी सामाजिक-धार्मिक संगठन के संरक्षक करमा उरांव ने कहा कि लंबे समय से सरना धर्म कोड लागू करने की मांग की जा रही है और 2021 में पूरे देश भर में जनगणना होने जा रहा है. ऐसे में विधानसभा का सत्र चल रहा है. सरकार से तमाम आदिवासी संगठनों की ओर से गुजारिश की जा रही है कि सदन से बिल को पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाए. ताकि जनगणना में अलग से आदिवासियों के लिए कॉलम बना हो. उन्होंने कहा कि पूरे देश भर में आदिवासियों की बड़ी संख्या है. लेकिन आदिवासियों को टारगेट कर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. धर्म परिवर्तन को लेकर एक ठोस कानून सरकार की ओर सेबनाया जाए. ताकि किसी भी प्रकार का धर्म परिवर्तन न हो सके.
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सरकार का ध्यान कराया जाए आकृष्ट
इन तमाम मुद्दों को लेकर मोरहाबादी स्थित गांधी प्रतिमा के पास महात्मा गांधी के विचार धाराओं को मानते हुए सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया जाएगा और सरकार का ध्यान आकर्षित कराया जाएगा कि जल्द से जल्द सरना धर्म को लागू किया जाए.
क्या है सरना धर्म कोड
झारखंड में जनगणना में सरना कोड लागू करने की मांग काफी समय से चली आ रही है. सरना एक धर्म है जो प्रकृतिवाद पर आधारित है और सरना धर्मावलंबी प्रकृति के उपासक होते हैं. झारखंड में 32 जनजाति हैं. जिनमें से आठ पीवीटीजी (परटिकुलरली वनरेबल ट्राइबल ग्रुप) हैं. यह सभी जनजाति हिंदू की ही कैटेगरी में आते हैं, लेकिन इनमें से जो ईसाई धर्म स्वीकार कर चुके हैं वे अपने धर्म के कोड में ईसाई लिखते हैं.