रांचीः राज्य निर्वाचन आयोग के फैसले को लेकर आदिवासी समाज मुखर नजर आ रहा है. रांची नगर निगम मेयर पद को एसटी से हटाकर एससी (ranchi mayors post reserved for sc) किये जाने का वो विरोध कर रहे हैं. निर्वाचन आयोग के फैसले से नाराज आदिवासी संगठनों का धरना प्रदर्शन शुरू हो गया है. इस मुद्दे को लेकर मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कुछ आदिवासी नेताओं से मिल सकते हैं और इस संदर्भ में विचार विमर्श कर सकते हैं.
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आदिवासी संगठनों का मानना है कि शिड्यूल एरिया में रांची नगर निगम सहित अन्य क्षेत्र हैं. वहां किसी तरह का बदलाव नहीं हो सकता, मगर सरकार नगरपालिका अधिनियम का हवाला देकर जो निर्णय लिया है उससे कहीं ना कहीं आदिवासी हितों को क्षति पहुंची है. इसके खिलाफ ना केवल धरना प्रदर्शन के जरिए महामहिम राज्यपाल से गुहार लगाई जा रही है. अगर इसपर भी कोई संज्ञान नहीं लिया जाएगा तो हाईकोर्ट का दरबाजा खटखटाया जायेगा.
पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में चुनाव कराना असंवैधानिक- केंद्रीय सरना समितिः राजभवन के समक्ष धरना पर बैठे केंद्रीय सरना समिति नगर निकाय चुनाव पर सवाल खड़ा किया है. उनका कहना है कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में चुनाव कराना असंवैधानिक है. इसके बावजूद सरकार नगर निकाय चुनाव कराने की तैयारी में है. झारखंड का 14 जिला अनुसूचित क्षेत्र में घोषित है जिसमें सामान्य कानून लागू नहीं होता. पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में आदिवासी ही व्यवसाय कर सकता है, आदिवासी ही नौकरी कर सकता है और ग्राम सभा के माध्यम से कानून बना सकता है. लेकिन पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में इसे लागू नहीं किया जा रहा है. उनका कहना है कि महापौर जैसे एकल पद आदिवासियों के लिए सुरक्षित किया जाना चाहिए नहीं तो संघर्ष तेज होगा.
आदिवासी संगठनों की मांग और विरोध के स्वर तेज होता देख सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने में जुटी है. संभावना है कि मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कुछ आदिवासी नेताओं से इस संदर्भ में विचार विमर्श करेंगे. बहरहाल विवादों के बीच राज्य में नगर निकाय चुनाव की तैयारी पूर्ण हो गई (Municipal elections in Jharkhand) है और राज्य निर्वाचन आयोग सरकार की सहमति का इंतजार कर रही है. जैसे है सरकार की सहमति प्राप्त हो जायेगी चुनाव की औपचारिक घोषणा हो जायेगी.