रांची: कोरोना की संभावित तीसरी लहर से राज्य को बचाने और संक्रमण की स्थिति में संदिग्धों के सैंपल जांच के लिए सरकार अपनी तैयारियों में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रही है. राज्य के दो मेडिकल कॉलेज अस्पताल रिम्स और दुमका मेडिकल कॉलेज में अत्याधुनिक कोबास 6800 मशीन लगाई गई है. रिम्स में तो इस मशीन से कोरोना सैंपल की आरटी-पीसीआर (RT-PCR) जांच का ट्रायल भी शुरू हो गया है. अत्याधुनिक कोबास मशीन से 24 घंटे में 1200 सैंपल की जांच हो सकेगी. इस मशीन के लग जाने से रिम्स के माइक्रो बायोलॉजी लैब में हर दिन RT-PCR जांच की क्षमता 3000 प्रतिदिन हो गई है.
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HIV, TB, हेपेटाइटिस सहित कई बीमारियों और वायरस की हो सकती है पहचान
रिम्स माइक्रोबायोलॉजी विभाग के हेड डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि कोबास मशीन से ज्यादा सटीक नतीजे तेजी से आते हैं. वहीं, इस मशीन से अलग-अलग बीमारियों के वायरस और बैक्टेरिया की जांच संभव हो सकेगी. उन्होंने कहा कि अभी भी हम सरकार से BSL-3 स्टैंडर्ड के लैब की मांग कर रहे हैं क्योंकि वह न सिर्फ यहां के डॉक्टर और लैब में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए ज्यादा सुरक्षित होगा बल्कि आसपास का क्षेत्र भी सुरक्षित होगा. उन्होंने कहा कि BSL-2 प्लस में अपग्रेड हो जाने से पहले की अपेक्षा थोड़ी ज्यादा सुरक्षा मिल सकेगी.
कोबास से वायरस का जीनोम सिक्वेंसिंग संभव नहीं
डॉ. मनोज कुमार ने साफ किया कि कोबास 6800 मॉडल की मशीन से सिर्फ वायरस की जांच संभव है. उसके वैरिएंट और जीनोम सिक्वेंसिंग को डिटेक्ट नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि रिम्स ने जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन की खरीद का प्रस्ताव सरकार को भेजा है.
जल्द कोबास 6800 से होने लगेगी सैंपल जांच
रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. डीके सिन्हा ने बताया कि अभी कोबास पर जांच कर ट्रायल चल रहा है और जल्द ही इस पर आधिकारिक रूप से कोरोना सैंपल की जांच शुरू हो जाएगी. डॉ. डीके सिन्हा ने कहा कि लैब अभी BSL-2 प्लस में अपग्रेड हुआ है लेकिन इसे BSL-3 में उत्क्रमित करने की कोशिशें की जा रही है.