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Ranchi News: टॉर्च की रोशनी में इलाज! रांची सदर अस्पताल का हाल - झारखंड न्यूज

रांची के सदर अस्पताल में अव्यवस्था का आलम कुछ ऐसा है कि मरीज की जान आफत में आ जाए. रांची सदर अस्पताल का एक वीडियो कुछ इसी बात की तस्दीक कर रहा है. ये तस्वीरें सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है.

Treatment in torch light due to power failure in Ranchi Sadar Hospital
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Published : Mar 12, 2023, 2:19 PM IST

Updated : Mar 12, 2023, 2:26 PM IST

देखें वीडियो

रांचीः राजधानी रांची में बिजली की समस्या कोई नई बात नहीं है. इससे आम जनजीवन काफी प्रभावित होता है. अगर बात स्वास्थ्य व्यवस्था या अन्य इमरजेंसी सेवा की हो तो उसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था रहती है. लेकिन ये तमाम व्यवस्थाएं फेल हो जाए तो क्या कहिए. रांची सदर अस्पताल में कुछ ऐसा ही देखने को मिला. रांची सदर अस्पताल में बिजली गुल हो गयी और फ्लैश लाइट की रोशनी में इलाज करते हुए डॉक्टर नजर आए. इस वीडियो सामने आने पर अस्पताल प्रबंधन कई तरह की सफाई पेश कर रहा है.

इसे भी पढ़ें- देखें Video: रांची में बिजली संकट से लोग परेशान

झारखंड सरकार भले ही मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था का दावा करें लेकिन शनिवार देर शाम राजधानी रांची के सदर अस्पताल से आई तस्वीर सरकार के सभी दावे की पोल खोलती है. शनिवार देर शाम राजधानी के सदर अस्पताल में करीब 10 मिनट तक बिजली गुल हो गई. जिस वजह से अस्पताल में पूरी तरह से अंधेरा छा गया. अस्पताल में काम कर रहे डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारी मोबाइल और टॉर्च की लाइट के माध्यम से मरीजों का इलाज करते नजर आ रहे थे.

हद तो तब हो गई जब एक डॉक्टर को इमरजेंसी में टॉर्च की लाइट में एक मरीज को इंजेक्शन लगाना पड़ा. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने बताया कि अगर लाइट का इंतजार करेंगे तो गंभीर मरीज की स्थिति और भी खराब हो जाएगी. ऐसे में हम टॉर्च की लाइट या फिर मोबाइल से लाइट जलाकर मरीज को दवा या फिर इंजेक्शन लगाने को मजबूर होते हैं. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर से जब बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया.

वहीं जब सिविल सर्जन डॉक्टर विनोद कुमार से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि अचानक बिजली जाने के कारण जेनरेटर और चेंजर से लाइट आने में समय लगता है क्योंकि अस्पताल में कई भारी यंत्र लगे हुए हैं, जिसका लोड उठाने में तकनीकी रूप से पांच से दस मिनट का वक्त लग जाता है. इसी दरमियान कुछ लोगों के द्वारा यह वीडियो बनाया गया है. इस वीडियो को लेकर उन्होंने कहा कि मेन लाइन कटने के बाद जनरेटर से लाइट ऑन होने में पांच से दस मिनट का वक्त लगता है.

उन्होंने मरीज के इलाज की प्राथमिकता की दलील देते हुए कहा कि लाइट जाने के दौरान जो जरूरतमंद मरीज होते हैं उन्हें जरूरी दवाएं या फिर इंजेक्शन मोबाइल या फिर टॉर्च की लाइट में लगा दिया जाता है जो कि सामान्य बात है. इस घटना को लेकर सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार ने बताया कि अस्पताल में लाइट या फिर आधुनिक सेवाओं की कोई समस्या नहीं है. जनरेटर ऑन होने और सभी मशीनों को चलने में वक्त लगता है इसीलिए अंधेरा कुछ पल के लिए छाया हुआ था.

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रांचीः राजधानी रांची में बिजली की समस्या कोई नई बात नहीं है. इससे आम जनजीवन काफी प्रभावित होता है. अगर बात स्वास्थ्य व्यवस्था या अन्य इमरजेंसी सेवा की हो तो उसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था रहती है. लेकिन ये तमाम व्यवस्थाएं फेल हो जाए तो क्या कहिए. रांची सदर अस्पताल में कुछ ऐसा ही देखने को मिला. रांची सदर अस्पताल में बिजली गुल हो गयी और फ्लैश लाइट की रोशनी में इलाज करते हुए डॉक्टर नजर आए. इस वीडियो सामने आने पर अस्पताल प्रबंधन कई तरह की सफाई पेश कर रहा है.

इसे भी पढ़ें- देखें Video: रांची में बिजली संकट से लोग परेशान

झारखंड सरकार भले ही मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था का दावा करें लेकिन शनिवार देर शाम राजधानी रांची के सदर अस्पताल से आई तस्वीर सरकार के सभी दावे की पोल खोलती है. शनिवार देर शाम राजधानी के सदर अस्पताल में करीब 10 मिनट तक बिजली गुल हो गई. जिस वजह से अस्पताल में पूरी तरह से अंधेरा छा गया. अस्पताल में काम कर रहे डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारी मोबाइल और टॉर्च की लाइट के माध्यम से मरीजों का इलाज करते नजर आ रहे थे.

हद तो तब हो गई जब एक डॉक्टर को इमरजेंसी में टॉर्च की लाइट में एक मरीज को इंजेक्शन लगाना पड़ा. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने बताया कि अगर लाइट का इंतजार करेंगे तो गंभीर मरीज की स्थिति और भी खराब हो जाएगी. ऐसे में हम टॉर्च की लाइट या फिर मोबाइल से लाइट जलाकर मरीज को दवा या फिर इंजेक्शन लगाने को मजबूर होते हैं. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर से जब बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया.

वहीं जब सिविल सर्जन डॉक्टर विनोद कुमार से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि अचानक बिजली जाने के कारण जेनरेटर और चेंजर से लाइट आने में समय लगता है क्योंकि अस्पताल में कई भारी यंत्र लगे हुए हैं, जिसका लोड उठाने में तकनीकी रूप से पांच से दस मिनट का वक्त लग जाता है. इसी दरमियान कुछ लोगों के द्वारा यह वीडियो बनाया गया है. इस वीडियो को लेकर उन्होंने कहा कि मेन लाइन कटने के बाद जनरेटर से लाइट ऑन होने में पांच से दस मिनट का वक्त लगता है.

उन्होंने मरीज के इलाज की प्राथमिकता की दलील देते हुए कहा कि लाइट जाने के दौरान जो जरूरतमंद मरीज होते हैं उन्हें जरूरी दवाएं या फिर इंजेक्शन मोबाइल या फिर टॉर्च की लाइट में लगा दिया जाता है जो कि सामान्य बात है. इस घटना को लेकर सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार ने बताया कि अस्पताल में लाइट या फिर आधुनिक सेवाओं की कोई समस्या नहीं है. जनरेटर ऑन होने और सभी मशीनों को चलने में वक्त लगता है इसीलिए अंधेरा कुछ पल के लिए छाया हुआ था.

Last Updated : Mar 12, 2023, 2:26 PM IST
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