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आयुष्मान कार्ड रहने के बावजूद इलाज से किया इनकार, मरीज को लेकर भटकते रहे परिजन

सरकार आयुष्मान भारत योजना के माध्यम से गरीब और उपेक्षित परिवार को स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराना चाहती है, लेकिन मंगरु उरांव को इसका लाभ राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के साथ-साथ निजी अस्पतालों में भी नहीं मिल पाया. आयुष्मान कार्ड रहने के बावजूद अनगड़ा के रहने वाले मंगरू उरांव का अस्पतालों ने इलाज करने से मना कर दिया.

आयुष्मान कार्ड रहने के बावजूद भी नहीं हो सका इलाज
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Published : Aug 2, 2019, 5:12 PM IST

रांची: आयुष्मान कार्ड रहने के बावजूद राजधानी के मंगरू उरांव का अस्पतालों में इलाज नहीं हो पा रहा है. बता दें कि अनगड़ा के रहने वाले मंगरू उरांव सिर में चोट के बाद अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे थे. उनकी नाजुक हालत को देखते हुए परिजनों ने उसे रिम्स में भर्ती कराया था, जहां इमरजेंसी में रखने के बाद उसे मेडिसिन विभाग में शिफ्ट किया गया.

देखें पूरी खबर

दवाई के नाम पर परिजनों से वसूले गए 2200 रुपये
मंगरू उरांव की बेटी सोनामनी ने बताया कि रिम्स में उचित इलाज नहीं होने के कारण वह अपने मरीज को मेडिका अस्पताल ले गए. अस्पताल महंगा होने के कारण जब उसने डॉक्टरों को आयुष्मान कार्ड के माध्यम से इलाज करने की बात कही तो उन्होंने इलाज करने से साफ इनकार कर दिया. उसके बाद परिजन आनन-फानन में मरीज को लेकर ओरमांझी स्थित एसीएमएस अस्पताल पहुंचे, जहां आयुष्मान कार्ड के माध्यम से इलाज करने की बात तो कही गई, लेकिन कार्ड रहने के बावजूद भी मरीज के परिजन से 2200 रुपये वसूल लिए.

बड़े सरकारी अस्पताल के साथ-साथ निजी अस्पतालों में भी नहीं हो सका इलाज
इस मामले को लेकर ईटीवी के संवाददाता ने जब मेडिका के प्रबंधन से बात की तो उन्होंने इस बात से साफ इंकार करते हुए कहा कि इस तरह की कोई मरीज अस्पताल में नहीं आई है. वहीं, एसीएमएस के कर्मचारी ने बताया कि मरीज का इलाज आयुष्मान योजना के तहत ही किया जाएगा, लेकिन प्राथमिक इलाज के लिए 2200 रुपये जमा किए गए हैं, साथ ही अस्पताल के मेडिकल दुकान से ग्लव्स, मास्क, सिरिंज और मेनीटॉल जैसे कई प्रकार की दवाएं खरीदने के लिए कहा गया.

आयुष्मान कार्डधारी मरीजों के इलाज करने की क्या है प्रक्रिया

  • आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी को अस्पताल में एडमिट होने के लिए कोई चार्ज नहीं चुकाना पड़ेगा.
  • अस्पताल में दाखिल होने से लेकर इलाज तक का सारा खर्च इस योजना में कवर किया जायेगा.
  • आयुष्मान भारत योजना के लाभ के तहत अस्पताल में दाखिल होने से पहले और बाद के खर्च भी कवर किये जायेंगे.
  • आयुष्माण भारत के तहत शामिल हर अस्पताल में एक आयुष्मान मित्र होगा. वह मरीज की मदद करेगा और उसे अस्पताल की सुविधाएं दिलाने में मदद करेगा.
  • अस्पताल में एक हेल्प डेस्क भी होगा जो दस्तावेज चेक करने और स्कीम में नामांकन के लिए वेरिफिकेशन में मदद करेगा.
  • आयुष्मान भारत योजना में शामिल व्यक्ति देश के किसी भी सरकारी अस्पतालों में आयुष्माण भारत के तहत शामिल निजी अस्पताल में इलाज करा सकते हैं.

ये भी पढ़ें-NIA ने टेरर फंडिंग केस में गुजरात के व्यवसायी को भेजा जेल, तीन दिन तक का रिमांड भी लिया

जिस प्रकार से आयुष्मान कार्ड रहने के बावजूद भी मंगरु उरांव को रिम्स, मेडिका और एसीएमएस अस्पताल में इलाज कराने के लिए दिक्कतें झेलनी पड़ी. जो स्पष्ट रूप से भारत सरकार द्वारा गरीबों को बेहतर स्वास्थ्य लाभ देने के लिए लागू की गई आयुष्मान योजना का मखौल उड़ाता नजर आ रहा है.

रांची: आयुष्मान कार्ड रहने के बावजूद राजधानी के मंगरू उरांव का अस्पतालों में इलाज नहीं हो पा रहा है. बता दें कि अनगड़ा के रहने वाले मंगरू उरांव सिर में चोट के बाद अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे थे. उनकी नाजुक हालत को देखते हुए परिजनों ने उसे रिम्स में भर्ती कराया था, जहां इमरजेंसी में रखने के बाद उसे मेडिसिन विभाग में शिफ्ट किया गया.

देखें पूरी खबर

दवाई के नाम पर परिजनों से वसूले गए 2200 रुपये
मंगरू उरांव की बेटी सोनामनी ने बताया कि रिम्स में उचित इलाज नहीं होने के कारण वह अपने मरीज को मेडिका अस्पताल ले गए. अस्पताल महंगा होने के कारण जब उसने डॉक्टरों को आयुष्मान कार्ड के माध्यम से इलाज करने की बात कही तो उन्होंने इलाज करने से साफ इनकार कर दिया. उसके बाद परिजन आनन-फानन में मरीज को लेकर ओरमांझी स्थित एसीएमएस अस्पताल पहुंचे, जहां आयुष्मान कार्ड के माध्यम से इलाज करने की बात तो कही गई, लेकिन कार्ड रहने के बावजूद भी मरीज के परिजन से 2200 रुपये वसूल लिए.

बड़े सरकारी अस्पताल के साथ-साथ निजी अस्पतालों में भी नहीं हो सका इलाज
इस मामले को लेकर ईटीवी के संवाददाता ने जब मेडिका के प्रबंधन से बात की तो उन्होंने इस बात से साफ इंकार करते हुए कहा कि इस तरह की कोई मरीज अस्पताल में नहीं आई है. वहीं, एसीएमएस के कर्मचारी ने बताया कि मरीज का इलाज आयुष्मान योजना के तहत ही किया जाएगा, लेकिन प्राथमिक इलाज के लिए 2200 रुपये जमा किए गए हैं, साथ ही अस्पताल के मेडिकल दुकान से ग्लव्स, मास्क, सिरिंज और मेनीटॉल जैसे कई प्रकार की दवाएं खरीदने के लिए कहा गया.

आयुष्मान कार्डधारी मरीजों के इलाज करने की क्या है प्रक्रिया

  • आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी को अस्पताल में एडमिट होने के लिए कोई चार्ज नहीं चुकाना पड़ेगा.
  • अस्पताल में दाखिल होने से लेकर इलाज तक का सारा खर्च इस योजना में कवर किया जायेगा.
  • आयुष्मान भारत योजना के लाभ के तहत अस्पताल में दाखिल होने से पहले और बाद के खर्च भी कवर किये जायेंगे.
  • आयुष्माण भारत के तहत शामिल हर अस्पताल में एक आयुष्मान मित्र होगा. वह मरीज की मदद करेगा और उसे अस्पताल की सुविधाएं दिलाने में मदद करेगा.
  • अस्पताल में एक हेल्प डेस्क भी होगा जो दस्तावेज चेक करने और स्कीम में नामांकन के लिए वेरिफिकेशन में मदद करेगा.
  • आयुष्मान भारत योजना में शामिल व्यक्ति देश के किसी भी सरकारी अस्पतालों में आयुष्माण भारत के तहत शामिल निजी अस्पताल में इलाज करा सकते हैं.

ये भी पढ़ें-NIA ने टेरर फंडिंग केस में गुजरात के व्यवसायी को भेजा जेल, तीन दिन तक का रिमांड भी लिया

जिस प्रकार से आयुष्मान कार्ड रहने के बावजूद भी मंगरु उरांव को रिम्स, मेडिका और एसीएमएस अस्पताल में इलाज कराने के लिए दिक्कतें झेलनी पड़ी. जो स्पष्ट रूप से भारत सरकार द्वारा गरीबों को बेहतर स्वास्थ्य लाभ देने के लिए लागू की गई आयुष्मान योजना का मखौल उड़ाता नजर आ रहा है.

Intro:आयुष्मान कार्ड रहने के बावजूद भी राजधानी रांची के अनगड़ा का रहने वाला मंगरू उरांव का अस्पतालों में नहीं हो पा रहा है इलाज।

दरअसल अनगड़ा के रहने वाले मंगरू उरांव बुधवार की सुबह जमीन पर गिर जाने की वजह से उनके सिर में काफी चोट आई, इसके बाद मंगरु उरांव अपना होश खो बैठे।

मंगरू उरांव की नाजुक हालत को देख परिजनों ने मंगरू उरांव को रिम्स में भर्ती कराया जहां इमरजेंसी में रखने के बाद उसे मेडिसिन विभाग में शिफ्ट किया गया।

Body:मंगरू उरांव की बेटी सोनामनी बताती हैं कि रिम्स के मेडिसिन विभाग में उचित इलाज नहीं होने के कारण हम अपने मरीज को मेडिका अस्पताल ले आए। महंगा अस्पताल होने के कारण हमने जब मेडिका के डॉक्टरों को आयुष्मान कार्ड के माध्यम से इलाज करने की बात कही तो उन्होंने इलाज करने से साफ मना कर दिया।
उसके बाद परिजन अपने मरीज की जान बचाने के लिए आनन-फानन में ओरमांझी स्थित एसीएमएस अस्पताल पहुंचे जहां पर आयुष्मान कार्ड के माध्यम से इलाज करने की बात तो कही गई, लेकिन आयुष्माण कार्ड रहने के बावजूद भी गरीब मरीज के परिजनों से 2200 रुपये दवाई के नाम पर ले लिये गये।
हमने जब इसको लेकर मेडिका के प्रबंधन से बात की तो उन्होंने बात को साफ इंकार कहते हुए मरीज के अस्पताल में नहीं आने की बात कही, वहीं एसीएमएस के कर्मचारी ने बताया कि मरीज का इलाज आयुष्मान योजना के तहत ही किया जाएगा लेकिन प्राथमिक इलाज के लिए 2200 रुपये जमा किए गए हैं। यहां तक कि अस्पताल के मेडिकल दुकान से ग्लब्स, मास्क,सिरिंज, मेनीटॉल जैसे कई प्रकार की दवाएं खरीदवाये गयी उसके बाद मरीज का इलाज शुरू हुआ।

सरकार आयुष्मान भारत योजना (ABY) के माध्यम से गरीब, उपेक्षित परिवार और शहरी गरीब लोगों के परिवारों को स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराना चाहती है,लेकिन मंगरु उरांव को इसका लाभ राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के साथ साथ निजी अस्पतालों में भी नहीं मिल पाया।

आयुष्मान कार्ड धारी मरीजों के इलाज करने की क्या है प्रक्रिया।
*आयुष्मान भारत योजना (ABY) का लाभार्थी अस्पताल में एडमिट होने के लिए कोई चार्ज नहीं चुकाना पड़ेगा।
*अस्पताल में दाखिल होने से लेकर इलाज तक का सारा खर्च इस योजना में कवर किया जायेगा।
*आयुष्मान भारत योजना (ABY) के लाभ के तहत अस्पताल में दाखिल होने से पहले और बाद के खर्च भी कवर किये जायेंगे।
*आयुष्माण भारत के तहत शामिल हर अस्पताल में एक आयुष्मान मित्र होगा. वह मरीज की मदद करेगा और उसे अस्पताल की सुविधाएं दिलाने में मदद करेगा।
*अस्पताल में एक हेल्प डेस्क भी होगा जो दस्तावेज चेक करने, स्कीम में नामांकन के लिए वेरिफिकेशन में मदद करेगा।
*आयुष्मान भारत योजना में शामिल व्यक्ति देश के किसी भी सरकारी/ आयुष्माण भारत के तहत शामिल निजी अस्पताल में इलाज करा सकते हैं।

Conclusion:गौरतलब है कि जिस प्रकार से आयुष्मान कार्ड रहने के बावजूद भी मंगरु उरांव को रिम्स, मेडिका और एसीएमएस अस्पताल में इलाज कराने के लिए दिक्कतें झेलनी पड़ी,जो स्पष्ट रूप से भारत सरकार द्वारा गरीबों को बेहतर स्वास्थ्य लाभ देने के लिए लागू की गई आयुष्मान योजना का मखौल उड़ाता नजर आ रहा है।

बाइट-सोनामनी(मरीज मंगरु उरांव की बेटी)
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