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राज्य के 17 जिलों में स्वास्थ्य विभाग चलाएगा मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम, लोगों को खिलाई जाएगी फाइलेरिया रोधी दवा

झारखंड के 17 जिलों में 10 फरवरी से स्वास्थ्य विभाग फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एमडीए कार्यक्रम चलाएगा. जिसे सफल बनाने के लिए जिलों के स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों को रांची के नामकुम में विशेष प्रशिक्षण (Training Workshop On Mass Drug Administration) दिया गया.

Training Workshop On Mass Drug Administration
Health Department Officials Present In Meeting
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Published : Jan 6, 2023, 1:37 PM IST

रांचीः राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से झारखंड फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत राज्य के 17 जिलों में 10 फरवरी से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम चलाया जाएगा. सर्वजन दवा सेवन मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को सफल बनाने के लिए शुक्रवार को रांची के नामकुम में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला सह समीक्षा बैठक आयोजित (Review Meeting Of Health Department In Ranchi) की गई.

कार्यक्रम में डॉ अनिल कुमार की अध्यक्षता में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में 17 जिलों जिनमें बोकारो, देवघर, धनबाद, गुमला, रामगढ़, साहिबगंज, पाकुड़, कोडरमा, रांची, गिरिडीह, हजारीबाग, खूंटी, गढ़वा, लोहरदगा, सिमडेगा, प. सिंहभूम और पूर्वी सिंहभूम के जिले भीबीडी पदाधिकारी, जिला भीबीडी सलाहकार, जिला कार्यक्रम समन्वयक और एफएलए ने प्रतिभागी के रूप में भाग लिया. इस मौके पर डॉ अनिल कुमार ने कहा कि एमडीए के दौरान 10 फरवरी से 25 फरवरी तक फाइलेरिया रोधी दवा की एकल खुराक अपने जिलों में लक्षित जन समुदाय को अवश्य खिलाएं. यह सुनिश्चित करें कि दवा प्रशासक अपने सामने ही दवा खिलवाएं. किसी भी परिस्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जाना है.

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इन्हें फाइलेरिया रोधी दवा नहीं खिलानी हैः बैठक सह प्रशिक्षण (Review Meeting Regarding Eradication Of Filaria) के दौरान बताया गया कि फाइलेरिया से मुक्ति के लिए दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को दवा नहीं खिलानी है. इनको छोड़कर सभी उम्र के लोगों को उम्र के अनुसार डीइसी और एलबेंडाजोल की निर्धारित खुराक खिलाना सुनिश्चित करें. इस संबंध में डॉ अनिल कुमार ने कहा कि एमडीए के पहले दिन निर्धारित बूथों-सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों, वार्ड कार्यालय, स्वास्थ्य उपकेन्द्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, विद्यालयों, महाविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों में दवा मुफ्त खिलाना सुनिश्चित करें. शेष 14 दिन घर-घर जाकर दवा प्रशासकों द्वारा दवा खिलायी जाएगी.

फाइलेरिया उन्मूलन की रणनीति बनायी गईः उन्होंने प्रशिक्षण कार्यशाला में फाइलेरिया उन्मूलन की रणनीति और झारखंड में फाइलेरिया की पृष्ठभूमि के बारे में विस्तृत जानकारी (Review Meeting Regarding Eradication Of Filaria) दी. साथ ही एमडीए कार्यक्रम के पर्यवेक्षण, मूल्यांकन और जनजागरुकता के लिए प्रचार-प्रसार गतिविधियों के क्रियान्वयन संबंधी कार्य योजना के बारे में बताया. एमडीए कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए जिलों से आए पदाधिकारियों और कर्मियों को उनकी भूमिका और जिम्मेदारियों के बारे में बताया गया. डॉ अनिल कुमार ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए समय पर सभी तैयारियां और कार्य करते हुए लक्ष्य को प्राप्त करना है. जब भी हम अभियान चलाएं, तो इसमें हमारी भागीदारी 100 प्रतिशत होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आपका सहयोग हमारे प्रयास से ही फाइलेरिया मुक्त झारखंड का सपना साकार होगा.

मच्छर के काटने से होती है फाईलेरिया बीमारीः फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है. व्यक्ति किसी भी उम्र में फाइलेरिया से संक्रिमत हो सकता है. फाइलेरिया के लक्षणों में हाथ और पैर के सूजन (हाथी पांव) और अंडकोष का सूजन है. फाइलेरिया नियंत्रण और रोकथाम के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें. अपने आसपास जल-जमाव न होने दें और एमडीए के दौरान सरकार द्वारा मुफ्त में दी जाने वाली फाइलेरिया रोधी दवा अवश्य खाएं. यह दवा फाइलेरिया के रोगाणु को मार देती है और आपको हाथीपांव और हाइड्रोसिल जैसी बीमारी से बचाने में मदद करती है. इस मौके पर राज्य स्तर से सभी सलाहकार, कर्मी और सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे.

रांचीः राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से झारखंड फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत राज्य के 17 जिलों में 10 फरवरी से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम चलाया जाएगा. सर्वजन दवा सेवन मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को सफल बनाने के लिए शुक्रवार को रांची के नामकुम में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला सह समीक्षा बैठक आयोजित (Review Meeting Of Health Department In Ranchi) की गई.

कार्यक्रम में डॉ अनिल कुमार की अध्यक्षता में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में 17 जिलों जिनमें बोकारो, देवघर, धनबाद, गुमला, रामगढ़, साहिबगंज, पाकुड़, कोडरमा, रांची, गिरिडीह, हजारीबाग, खूंटी, गढ़वा, लोहरदगा, सिमडेगा, प. सिंहभूम और पूर्वी सिंहभूम के जिले भीबीडी पदाधिकारी, जिला भीबीडी सलाहकार, जिला कार्यक्रम समन्वयक और एफएलए ने प्रतिभागी के रूप में भाग लिया. इस मौके पर डॉ अनिल कुमार ने कहा कि एमडीए के दौरान 10 फरवरी से 25 फरवरी तक फाइलेरिया रोधी दवा की एकल खुराक अपने जिलों में लक्षित जन समुदाय को अवश्य खिलाएं. यह सुनिश्चित करें कि दवा प्रशासक अपने सामने ही दवा खिलवाएं. किसी भी परिस्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जाना है.

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इन्हें फाइलेरिया रोधी दवा नहीं खिलानी हैः बैठक सह प्रशिक्षण (Review Meeting Regarding Eradication Of Filaria) के दौरान बताया गया कि फाइलेरिया से मुक्ति के लिए दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को दवा नहीं खिलानी है. इनको छोड़कर सभी उम्र के लोगों को उम्र के अनुसार डीइसी और एलबेंडाजोल की निर्धारित खुराक खिलाना सुनिश्चित करें. इस संबंध में डॉ अनिल कुमार ने कहा कि एमडीए के पहले दिन निर्धारित बूथों-सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों, वार्ड कार्यालय, स्वास्थ्य उपकेन्द्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, विद्यालयों, महाविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों में दवा मुफ्त खिलाना सुनिश्चित करें. शेष 14 दिन घर-घर जाकर दवा प्रशासकों द्वारा दवा खिलायी जाएगी.

फाइलेरिया उन्मूलन की रणनीति बनायी गईः उन्होंने प्रशिक्षण कार्यशाला में फाइलेरिया उन्मूलन की रणनीति और झारखंड में फाइलेरिया की पृष्ठभूमि के बारे में विस्तृत जानकारी (Review Meeting Regarding Eradication Of Filaria) दी. साथ ही एमडीए कार्यक्रम के पर्यवेक्षण, मूल्यांकन और जनजागरुकता के लिए प्रचार-प्रसार गतिविधियों के क्रियान्वयन संबंधी कार्य योजना के बारे में बताया. एमडीए कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए जिलों से आए पदाधिकारियों और कर्मियों को उनकी भूमिका और जिम्मेदारियों के बारे में बताया गया. डॉ अनिल कुमार ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए समय पर सभी तैयारियां और कार्य करते हुए लक्ष्य को प्राप्त करना है. जब भी हम अभियान चलाएं, तो इसमें हमारी भागीदारी 100 प्रतिशत होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आपका सहयोग हमारे प्रयास से ही फाइलेरिया मुक्त झारखंड का सपना साकार होगा.

मच्छर के काटने से होती है फाईलेरिया बीमारीः फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है. व्यक्ति किसी भी उम्र में फाइलेरिया से संक्रिमत हो सकता है. फाइलेरिया के लक्षणों में हाथ और पैर के सूजन (हाथी पांव) और अंडकोष का सूजन है. फाइलेरिया नियंत्रण और रोकथाम के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें. अपने आसपास जल-जमाव न होने दें और एमडीए के दौरान सरकार द्वारा मुफ्त में दी जाने वाली फाइलेरिया रोधी दवा अवश्य खाएं. यह दवा फाइलेरिया के रोगाणु को मार देती है और आपको हाथीपांव और हाइड्रोसिल जैसी बीमारी से बचाने में मदद करती है. इस मौके पर राज्य स्तर से सभी सलाहकार, कर्मी और सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे.

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