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DSP करेंगे सरकार गिराने की साजिश की जांच, पहले मिली थी प्रशिक्षु दारोगा को जिम्मेदारी

झारखंड सरकार (Jharkhand Government) के खिलाफ साजिश रचने के मामले में रांची के कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है, जिस पर अब सवाल उठने लगे हैं. केस की जांच डीएसपी करेंगे. इससे पहले अनुसंधानक एक प्रशिक्षु दारोगा को बनाया गया था.

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कोतवाली थाना
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Published : Jul 25, 2021, 10:46 PM IST

Updated : Jul 26, 2021, 8:10 AM IST

रांची: झारखंड सरकार (Jharkhand Government) के खिलाफ साजिश रचने के मामले में रांची के कोतवाली थाने में दर्ज की गई प्राथमिकी पर अब सवाल उठने लगे हैं. मामले में प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट (Prevention of Corruption Act) की धारा जोड़ी गई है, अब इसकी जांच का जिम्मा डीएसपी प्रभात रंजन बड़वार को दिया गया है.

बता दें कि इससे पहले केस का अनुसंधानक एक प्रशिक्षु दारोगा को बनाया गया था. जबकि प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के धाराओं में दर्ज की गई प्राथमिकी की अनुसंधान की जिम्मेवारी डीएसपी रैंक के अधिकारियों को दी जाती है. जिसके बाद रविवार देर रात डीएसपी को यह जिम्मेदारी दी गई.


इसे भी पढे़ं: विधायकों को तोड़ने के लिए निवारण को मिला था 50 लाख का लालच, एमपी उपचुनाव में आया था नेताओं के संर्पक में


क्या है मामला

सरकार के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में रांची की कोतवाली पुलिस ने कांग्रेस विधायक जयमंगल सिंह की शिकायत के आधार पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा एफआईआर में जोड़ी है. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, पीसी एक्ट की धाराओं में अनुसंधान की जिम्मेदारी डीएसपी रैंक के अधिकारियों को दी जाती है, लेकिन इस केस में पुलिस ने प्रशिक्षु दारोगा कमलेश राय को जांच पदाधिकारी बनाया है. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, हाल के दिनों में राज्यसभा चुनाव 2016 के मामले में सरकार के आदेश पर पीसी एक्ट की धारा जोड़ी गई थी, तब तत्काल केस के थानेदार इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी अभय कुमार सिंह को हटाकर एएसपी रैंक के अधिकारी विनित कुमार को जांच का जिम्मा दिया गया था.



जयमंगल के पत्र के आधार पर जिन्हें लालच मिली वह भी बनते आरोपी

कांग्रेस विधायक जयमंगल सिंह ने सत्तारूढ़ पार्टियों के विधायकों की खरीद फरोख्त की बात कही थी. यानि विधायकों को भी लालच दिया गया है. ऐसे में पुलिस को इस मामले में उन विधायकों को भी आरोपी बनाया जाना चाहिए था, जिन्होंने खरीद फरोख्त में हिस्सा लिया. वहीं किसी विधायक ने स्वयं ही खुल कर स्वयं को खरीदे जाने या किसी तरह की डील की बात नहीं कही है. ऐसे में जानकारों के मुताबिक, पीपुल्स रिप्रेजेंटेटिव एक्ट की धारा लगाना भी तकनीकी तौर पर गलत है.

रांची: झारखंड सरकार (Jharkhand Government) के खिलाफ साजिश रचने के मामले में रांची के कोतवाली थाने में दर्ज की गई प्राथमिकी पर अब सवाल उठने लगे हैं. मामले में प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट (Prevention of Corruption Act) की धारा जोड़ी गई है, अब इसकी जांच का जिम्मा डीएसपी प्रभात रंजन बड़वार को दिया गया है.

बता दें कि इससे पहले केस का अनुसंधानक एक प्रशिक्षु दारोगा को बनाया गया था. जबकि प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के धाराओं में दर्ज की गई प्राथमिकी की अनुसंधान की जिम्मेवारी डीएसपी रैंक के अधिकारियों को दी जाती है. जिसके बाद रविवार देर रात डीएसपी को यह जिम्मेदारी दी गई.


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क्या है मामला

सरकार के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में रांची की कोतवाली पुलिस ने कांग्रेस विधायक जयमंगल सिंह की शिकायत के आधार पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा एफआईआर में जोड़ी है. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, पीसी एक्ट की धाराओं में अनुसंधान की जिम्मेदारी डीएसपी रैंक के अधिकारियों को दी जाती है, लेकिन इस केस में पुलिस ने प्रशिक्षु दारोगा कमलेश राय को जांच पदाधिकारी बनाया है. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, हाल के दिनों में राज्यसभा चुनाव 2016 के मामले में सरकार के आदेश पर पीसी एक्ट की धारा जोड़ी गई थी, तब तत्काल केस के थानेदार इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी अभय कुमार सिंह को हटाकर एएसपी रैंक के अधिकारी विनित कुमार को जांच का जिम्मा दिया गया था.



जयमंगल के पत्र के आधार पर जिन्हें लालच मिली वह भी बनते आरोपी

कांग्रेस विधायक जयमंगल सिंह ने सत्तारूढ़ पार्टियों के विधायकों की खरीद फरोख्त की बात कही थी. यानि विधायकों को भी लालच दिया गया है. ऐसे में पुलिस को इस मामले में उन विधायकों को भी आरोपी बनाया जाना चाहिए था, जिन्होंने खरीद फरोख्त में हिस्सा लिया. वहीं किसी विधायक ने स्वयं ही खुल कर स्वयं को खरीदे जाने या किसी तरह की डील की बात नहीं कही है. ऐसे में जानकारों के मुताबिक, पीपुल्स रिप्रेजेंटेटिव एक्ट की धारा लगाना भी तकनीकी तौर पर गलत है.

Last Updated : Jul 26, 2021, 8:10 AM IST
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