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पर्यटन प्रभाग का बजट पारित, विपक्ष का आरोप, चौपट है विधि व्यवस्था, क्यों आएंगे टूरिस्ट

मंगलवार को झारखंड विधानसभा से पर्यटन प्रभाग का बजट पास हो गया. इस पर चर्चा के दौरान बीजेपी विधायक अनंत ओझा ने कटौती प्रस्ताव लाया. वहीं, कई विधायकों ने सरकार को कई सुक्षाव भी दिए. मंत्री हफीजुल हसन ने सदन ने इस पर जवाब दिया.

Tourism department budget passed from Jharkhand assembly
Tourism department budget passed from Jharkhand assembly
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Published : Mar 22, 2022, 10:54 PM IST

रांची: पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग, राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग और वाणिज्य कर विभाग के 2022-23 के अनुदान मांगों पर सदन में जमकर वाद-विवाद हुआ. पर्यटन विभाग के बजट पर चर्चा के दौरान विधायकों के सवाल और सुझाव पर बिंदुवार फोकस करने की जगह सिर्फ नाम लेकर विभागीय मंत्री हफीजुल हसन ने कहा कि कोरोना की वजह से पर्यटन जरूर प्रभावित हुआ है. लेकिन पर्यटन नीति 2021 की वजह से बदलाव नजर आने लगेगा.

ये भी पढ़ें- हजारीबाग के रामनवमी जुलूस पर घमासान, पूर्व स्पीकर सीपी सिंह बोले- कोई माय का लाल नहीं रोक सकता

उन्होंने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटक स्थलों पर होटल, रिसॉर्ट, जल क्रीड़ा, रोपवे की व्यवस्था की जाएगी. इसी बीच महिलाओं के नाम 1 रुपया में जमीन की रजिस्ट्री का मामला उठने पर मंत्री ने कहा कि इससे 400 करोड़ रुपए के राजस्व की हानि हो रही थी. उन्होंने सुझाव दिया कि भाजपा के विधायकों को अपने नाम पर जमीन खरीदना चाहिए, औरतों के नाम पर नहीं. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने 40 खिलाड़ियों को सीधी नियुक्ति दी है.

कटौती प्रस्ताव लाकर भाजपा विधायक अनंत ओझा ने पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के कमल क्लब योजना को बंद करने पर सवाल खड़े किए. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में विदेशी लोग तेजी से धर्मांतरण करा रहे हैं, जिस पर रोक लगनी चाहिए. उन्होंने एक रुपए में महिलाओं के नाम जमीन की रजिस्ट्री की व्यवस्था बंद करने पर भी सवाल खड़े किए.

वहीं झामुमो विधायक दीपक बिरूवा ने राज्य में विस्थापन आयोग के गठन की जरूरत पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि राज्य में सीएनटी और एसपीटी का जमकर उल्लंघन हो रहा है. एचईसी द्वारा अधिग्रहित अतिरिक्त 4000 एकड़ जमीन रैयतों को लौटा देना चाहिए. उन्होंने भूमि बैंक की व्यवस्था को भी खत्म करने की मांग की.

ये भी पढ़ें- पलामू में सोन-पंडा नदी पर तटबंध की मांग, मंत्री ने कहा- कटाव निरोधक समिति की रिपोर्ट का है इंतजार

भाजपा विधायक अमर बाउरी ने कहा कि सरकार बनने पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह सरकार खनन पर नहीं पर्यटन पर जोर देगी, लेकिन पिछले 2 वर्षों में इस दिशा में सरकार एक कदम भी आगे नहीं पढ़ पाई. पर्यटन को आगे ले जाने की पहली शर्त है सुरक्षा लेकिन यहां तो विधि व्यवस्था चौपट हाल में है.

उन्होंने कहा कि साजिश के तहत म्यूटेशन के आवेदनों को रद्द किया जाता है और पैसे देने पर रसीद काटे जाते हैं. तमाम अंचल कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन गए हैं. निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ क्या-क्या हो रहा है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार की कंपनियों पर एक लाख 10 हजार करोड़ का मुआवजा बकाया है. दूसरी तरफ जमशेदपुर में सरकारी जमीन पर बिरसा नगर जैसी बड़ी कॉलोनी बस गई है.

उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वहां के बाशिंदों के नाम जमीन की रजिस्ट्री कर दी जाए. इससे सरकार को राजस्व मिलेगा. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 1981 में ही अपने एक आदेश में कहा था कि अगर किसी जमीन पर कोई 30 साल से ज्यादा समय से रह रहा है तो उसी के नाम जमीन की रजिस्ट्री हो जानी चाहिए.

ये भी पढ़ें- पूर्व मंत्री अमर बाउरी ने साधा निशाना, कहा- हेमंत सरकार का एक ही नारा खाली प्लॉट हमारा

बंधु तिर्की ने वर्तमान सरकार से जल, जंगल और जमीन के संरक्षण की उम्मीद जताई. उन्होंने कहा कि इस राज्य में जमीन का वर्गीकरण करना बेहद जरूरी है. एसटी जमीन और गैर एसटी जमीन को वर्गीकृत करना चाहिए. वहीं भाजपा विधायक अमित मंडल ने कहा कि इस राज्य में स्थानीय नीति ही स्पष्ट नहीं है. उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के लैंडबैंक पर सत्ता पक्ष के लोग सवाल खड़े कर रहे हैं. अगर यह व्यवस्था ठीक नहीं है तो सरकार रैयतों को जमीन क्यों नहीं दे देती है.

उन्होंने कहा कि गोड्डा में संथाल परगना टेनेंसी यानी एसपीटी लागू है. जहां स्कूल के लिए भी जमीन की रजिस्ट्री संभव नहीं है. इसकी वजह से वहां के बाशिंदे भागलपुर और बांका में जाकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. लेकिन आश्चर्य है कि अनारक्षित खतियानी जब पड़ोसी राज्य से मैट्रिक पास कर यहां नौकरी करना चाहेंगे तो उन्हें अवसर नहीं मिलेगा.

रांची: पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग, राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग और वाणिज्य कर विभाग के 2022-23 के अनुदान मांगों पर सदन में जमकर वाद-विवाद हुआ. पर्यटन विभाग के बजट पर चर्चा के दौरान विधायकों के सवाल और सुझाव पर बिंदुवार फोकस करने की जगह सिर्फ नाम लेकर विभागीय मंत्री हफीजुल हसन ने कहा कि कोरोना की वजह से पर्यटन जरूर प्रभावित हुआ है. लेकिन पर्यटन नीति 2021 की वजह से बदलाव नजर आने लगेगा.

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उन्होंने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटक स्थलों पर होटल, रिसॉर्ट, जल क्रीड़ा, रोपवे की व्यवस्था की जाएगी. इसी बीच महिलाओं के नाम 1 रुपया में जमीन की रजिस्ट्री का मामला उठने पर मंत्री ने कहा कि इससे 400 करोड़ रुपए के राजस्व की हानि हो रही थी. उन्होंने सुझाव दिया कि भाजपा के विधायकों को अपने नाम पर जमीन खरीदना चाहिए, औरतों के नाम पर नहीं. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने 40 खिलाड़ियों को सीधी नियुक्ति दी है.

कटौती प्रस्ताव लाकर भाजपा विधायक अनंत ओझा ने पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के कमल क्लब योजना को बंद करने पर सवाल खड़े किए. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में विदेशी लोग तेजी से धर्मांतरण करा रहे हैं, जिस पर रोक लगनी चाहिए. उन्होंने एक रुपए में महिलाओं के नाम जमीन की रजिस्ट्री की व्यवस्था बंद करने पर भी सवाल खड़े किए.

वहीं झामुमो विधायक दीपक बिरूवा ने राज्य में विस्थापन आयोग के गठन की जरूरत पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि राज्य में सीएनटी और एसपीटी का जमकर उल्लंघन हो रहा है. एचईसी द्वारा अधिग्रहित अतिरिक्त 4000 एकड़ जमीन रैयतों को लौटा देना चाहिए. उन्होंने भूमि बैंक की व्यवस्था को भी खत्म करने की मांग की.

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भाजपा विधायक अमर बाउरी ने कहा कि सरकार बनने पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह सरकार खनन पर नहीं पर्यटन पर जोर देगी, लेकिन पिछले 2 वर्षों में इस दिशा में सरकार एक कदम भी आगे नहीं पढ़ पाई. पर्यटन को आगे ले जाने की पहली शर्त है सुरक्षा लेकिन यहां तो विधि व्यवस्था चौपट हाल में है.

उन्होंने कहा कि साजिश के तहत म्यूटेशन के आवेदनों को रद्द किया जाता है और पैसे देने पर रसीद काटे जाते हैं. तमाम अंचल कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन गए हैं. निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ क्या-क्या हो रहा है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार की कंपनियों पर एक लाख 10 हजार करोड़ का मुआवजा बकाया है. दूसरी तरफ जमशेदपुर में सरकारी जमीन पर बिरसा नगर जैसी बड़ी कॉलोनी बस गई है.

उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वहां के बाशिंदों के नाम जमीन की रजिस्ट्री कर दी जाए. इससे सरकार को राजस्व मिलेगा. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 1981 में ही अपने एक आदेश में कहा था कि अगर किसी जमीन पर कोई 30 साल से ज्यादा समय से रह रहा है तो उसी के नाम जमीन की रजिस्ट्री हो जानी चाहिए.

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उन्होंने कहा कि गोड्डा में संथाल परगना टेनेंसी यानी एसपीटी लागू है. जहां स्कूल के लिए भी जमीन की रजिस्ट्री संभव नहीं है. इसकी वजह से वहां के बाशिंदे भागलपुर और बांका में जाकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. लेकिन आश्चर्य है कि अनारक्षित खतियानी जब पड़ोसी राज्य से मैट्रिक पास कर यहां नौकरी करना चाहेंगे तो उन्हें अवसर नहीं मिलेगा.

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