रांचीः पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव प्रशांत कुमार ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन किया. इस दौरान राज्य में प्रचंड गर्मी में आमजन को पीने के पानी की किल्लत न हो, इसके लिए विभाग की ओर से की गई तैयारियों की जानकारी दी.सचिव प्रशांत कुमार ने टोल फ्री नंबर 18003456502 की भी जानकारी दी और कहा कि इस पर कॉल कर पानी की समस्या का निदान करा सकते हैं. उन्होंने झारखंड के 78 टोलों के भूजल में अधिक आर्सेनिक की समस्या बताई. हालांकि कहा कि यहां अलग से जल की व्यवस्था की गई है.
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव प्रशांत कुमार ने कहा कि राज्यस्तर पर पेयजल एवं स्वच्छता से संबंधित सभी प्रकार की जन शिकायत के निवारण के लिए टॉल फ्री नम्बर 18003456502 और व्हाट्सएप नम्बर 9470176901 पर 2326 शिकायत मिली है. इसमें से 1502 शिकायतों का निवारण कर दिया गया है. स्वच्छता सचिव ने कहा कि राज्य में एक लाख 20 हजार टोले हैं, जिसमें 4 लाख 40 हजार से अधिक चापाकल हैं यानी औसतन हर टोले में 3-4 चापाकल हैं.
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव प्रशांत कुमार ने कहा कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग पहले से जारी टोल फ्री नंबर को मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने की अपील करता है. साथ ही उन्होंने कहा कि कई शिकायतें लगातार पानी को लेकर के राज्य भर से मिल रही हैं, जिसका निष्पादन भी किया जा रहा है और प्रयास विभाग का यह है कि अब अभी भी अगर लोगों को कहीं भी पानी की समस्या होती है तो वह इस टोल फ्री नंबर 18003456502 पर कॉल करके समस्या का निदान करवा सकते हैं. उन्होंने कहा कि विभाग लगातार तत्पर है कि इस गर्मी में कहीं भी पानी की समस्या किसी को भी ना हो.
राज्य में बड़े जलाशयों की जगह छोटे बराज,चेक डैम और तालाब ज्यादा कारगरः सचिव
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव प्रशांत कुमार ने कहा कि निर्बाध पेयजल के लिए सर्फेस वाटर को एकत्रित करने के लिए छोटे चेकडैम,बराज,तालाब ज्यादा कारगर होते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में 78 टोले ऐसे चिन्हित किये गए हैं जहां के पानी में आर्सेनिक या फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा है,ऐसे टोलों में साफ पीने की पानी की व्यवस्था की गई है.
रांची के सप्लाई वाटर में गंदगी की यह वजहः प्रशांत कुमार ने कहा कि राजधानी में सप्लाई वाटर में गंदा पानी आने की शिकायत मिलती रहती है,इसकी मूल वजह पानी के पाइपों का पुराना पड़ जाना और अवैध वाटर कनेक्शन के लिए पानी के पाइपों में छेद करना है. उन्होंने कहा कि हटिया डैम की क्षमता के सवाल और उसके शिल्ट की सफाई से पहले यह जानना जरूरी है कि औसतन हटिया डैम में कितना जल संग्रह हम कर पाते हैं. उन्होंने कहा कि हटिया डैम अपनी क्षमता के अनुसार नहीं भरता है.