रांची: झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 46 लाख कैश के साथ पकड़े गए कांग्रेस के तीन विधायकों इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी के मामले में रांची में की गई जीरो एफआइआर को कोलकाता स्थानांतरित किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के उपरांत मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए तीन फरवरी की तिथि निर्धारित की है.
बंगाल सरकार की ओर से दायर जवाब की प्रति नहीं मिली है झारखंड कोः मामले की सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से बताया गया कि जवाब फाइल नहीं किया जाएगा. हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में बंगाल सरकार की ओर से मामले में जवाब दायर किया गया है. उसकी प्रति नहीं मिलने के कारण केंद्र सरकार की ओर से जवाब फाइल नहीं किया गया है. उन्होंने अदालत को बताया कि बंगाल सरकार की ओर से जो जवाब फाइल की गई है, उसकी प्रति उन्हें नहीं मिली है. इसलिए जवाब नहीं दिया जा सका.
अदालत ने बंगाल पुलिस को जांच पर रोक लगाने से किया इनकारः जिस पर बंगाल सरकार के अधिवक्ता ने उन्हें जवाब की कॉपी देने की बात कही है. उसके बाद झारखंड सरकार की ओर से जवाब पेश की जाएगी. अदालत ने बंगाल पुलिस की जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. वहीं बंगाल पुलिस को मामले में चार्ज शीट जमा करने पर जो रोक लगाई है उसे अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दिया गया है.
विधायकों ने मामले की जांच झारखंड में कराने की मांग कीः गौरतलब हो कि तीन विधायकों के खिलाफ रांची के अरगोड़ा थाने में अनूप सिंह की ओर से जीरो एफआईआर करायी गई थी. जिसे कोलकाता ट्रांसफर कर दिया गया था. विधायकों ने इसे कोलकाता भेजे जाने को निरस्त करने मांग की है. प्रार्थी विधायकों का कहना है कि झारखंड में जांच होनी चाहिए, कोलकाता में इसकी जांच नहीं होनी चाहिए. बता दें कि इन तीनों विधायकों के खिलाफ कांग्रेस विधायक अनूप सिंह की ओर से जीरो एफआइआर दर्ज करायी गई है. इसे कोलकाता ट्रांसफर कर दिया गया है.
तीनों विधायकों को 46 लाख कैश के साथ कोलकाता में पकड़े गए थेः इन तीन विधायकों की बेल पर सुनवाई करते हुए कोलकाता हाइकोर्ट ने कोलकाता पुलिस को 10 नवंबर को जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा है. उक्त तीनों विधायकों को 46 लाख कैश के साथ 30 जुलाई को पश्चिम बंगाल के हावड़ा में कोलकाता पुलिस ने पकड़ा था. कलकत्ता हाइकोर्ट ने उन्हें पूर्व में जमानत दे दी है.