रांचीः अपराध की दुनिया भी नए बदलावों से गुजर रही है. अपराधियों की सूची में नए-नए तरीके के अपराध भी शामिल हो रहे हैं. साइबर अपराध की दुनिया में साइबर बुलिंग इन्हीं में से एक ऐसा अपराध है , जिसके शिकार मासूम टीनेजर हो रहे हैं. साइबर अपराधी स्कूल - कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों को अपने जाल में फंसाकर उन्हें अपने ही मां-बाप और समाज की नजरों में गुनाहगार बना रहे हैं. साइबर बुलिंग के जरिये अपराधी छात्रों को टारगेट कर रहे हैं.
क्या है साइबर बुलिंग
साइबर एक्सपर्ट की भाषा में अगर हम बात करें तो साइबर बुलिंग का मतलब होता है किसी से दोस्ती कर उसे जानबूझकर परेशान करना. सोशल मीडिया पर निजी या सार्वजनिक संदेश के जरिए यह साइबर बुलिंग की जाती है. इसमें अमूमन लोग दूसरे का नाम लेकर उनको ब्लैकमेल करते हैं. कुछ लोग इसका इस्तेमाल अफवाह फैलाने के लिए भी करते हैं, लेकिन अब इसी का फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं.
वे छात्र-छात्राओं के दोस्तों का फेसबुक-इंस्टाग्राम जैसे एकाउंट हैक कर उनके ही दोस्त बनकर चैटिंग शुरू कर देते हैं. धीरे-धीरे साइबर्स अपराधी उनके साथ घुलमिल जाते हैं और उनकी पर्सनल जानकारियां भी हासिल कर लेते हैं. उसके बाद शुरू होता है उनके द्वारा ब्लैकमेलिंग का खेल.
26 मई को राजधानी रांची के चुटिया इलाके में एक 13 वर्षीय नाबालिग बच्चे को ब्लैकमेल कर साइबर अपराधियों ने उसके ही घर में उसे गुनाहगार बना दिया, जब यह मामला सामने आया तो कई गार्जियंस के होश उड़ गए. बच्चे का इंस्ट्रगाम एकाउंट हैक कर अश्लील फोटो डाल देने के नाम पर ब्लैकमेल किया गया, जिसके बाद बच्चे ने डरकर अपने पिता का अकाउंट डिटेल चोरी छिपे साइबर अपराधियो को दे दी. ठगों ने अकाउंट से 81 हजार रुपये उड़ा लिए. हालांकि समय रहते बच्चे के परिजनों को मामले की जानकारी हो गई.
बचाव के भी हैं उपाय
ऐसा नहीं है कि बच्चों को साइबर अपराधियों से बचाने के उपाय नहीं, इंटरनेट पर ही कई ऐसे ऐप मौजूद हैं जो ब्राउजिंग हिस्ट्री की पूरी निगरानी करते हैं, अगर आप इन पैरंटरल ऐप को अपने सिस्टम में इंस्टॉल कर और फिर उसे अपने बच्चों को पढ़ाई करने के लिए देते हैं तो बच्चों के पढ़ाई करने के बाद आप बाकायदा उनके सारे चैट , बच्चे किन-किन वेबसाइट पर उस दौरान गए इसकी जानकारी ले सकते हैं.
राजधानी में इन दिनों साइबर अपराधियों के निशाने पर नाबालिग हैं. साइबर अपराधी स्कूली छात्रों को साइबर बुलिंग के जरिए डरा धमकाकर उनके परिजनों के अकाउंट साफ कर रहे हैं. रांची में एक बच्चे को ब्लैकमेल कर अपराधियों ने 81 हजार रुपये उड़ा लिए, जब इस संबंध में ईटीवी भारत ने खबर की पड़ताल की तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई. साइबर एक्सपर्ट राहुल कुमार के अनुसार साइबर बुलिंग से बच्चों को टारगेट किया जा रहा है. पिछले चार महीने के दौरान दुनिया भर में वेबसाइट बनाने के लिए करीब 1.4 लाख डोमेन नेम रजिस्टर्ड कराए गए हैं, जिनमें से अधिकांश साइबर अपराधियों के हैं.
लॉकडाउन के दौरान इंटरनेट पर लोगों की बढ़ी निर्भरता का फायदा बड़े ही चतुराई से साइबर अपराधियों ने उठाया है. स्थानीय निवासी रवि कुमार के अनुसार लॉकडाउन के दौरान अधिकांश बच्चे ऑनलाइन क्लासेज के दौरान उन्हें साइबर अपराधी अपना निशाना बनाते हैं.
झारखंड पुलिस के सीनियर एसपी अनीश गुप्ता के अनुसार साइबर अपराध से बचने का एकमात्र उपाय जानकारी और सतर्कता ही है. हालांकि अधिकांश शिकायतें पुलिस तक नहीं आ पाती हैं, क्योंकि कहीं ना कहीं इन मामलों में बच्चों का ही दोष होता है, क्योकि वे पढ़ाई के दौरान ही दूसरी साइट्स पर जाते हैं और वहां साइबर अपराधी उन्हें अपने जाल में फंसा लेते हैं.
साइबर बुलिंग को लेकर परिजनों को काफी सचेत रहने की आवश्यकता है. साइबर ठगी के इस नए प्रकार से नाबालिग विशेष रूप से साइबर अपराधियों के निशाने पर हैं. खासकर बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान उनकी गतिविधियों पर परिजनों को नजर बनाए रखने की जरूरत हैं. कुछ भी संदिग्ध दिखने पर पुलिस को सूचित करें.