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ये है मास्टरजी का घर, यहां 700 रूपों में विराजते हैं गणपति बप्पा - 700 different idols of ganesha in kanpur

देश भर में गणेश महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. वहीं यूपी के कानपुर जिले के एक शिक्षक ने गणेश भक्ति की एक अनोखी मिसाल पेश की है. शिक्षक ने अपने घर के हर हिस्से में बप्पा की 700 अलग-अलग प्रतिमाएं स्थापित की हैं.

गणपति बप्पा
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Published : Sep 4, 2019, 11:55 PM IST

कानपुर: आपने बप्पा के आठ अवतार देखे होंगे..दशावतार देखे होंगे, लेकिन क्या 700 रूपों में गणपति को कहीं विराजते हुए देखा है. अलग-अलग मुद्राओं में विराजे बप्पा को एक साथ देखकर जहां चेहरे पर हल्की मुस्कान तो वहीं हृदय में भक्ति भाव खुद ब खुद जाग उठता है. कहीं प्रसन्न मुद्रा में ढोलक बजाते, कहीं नृत्य करते तो कहीं मोदक खाते...अपने प्यारे गणेश के इतने अलौकिक रूप आखिर किसको न भाएं.

देखें एक जगह विराजमान गणपति बप्पा के 700 रूप

700 अवतारों में विराजते हैं गणेश
यूपी के कानपुर में एक ऐसा घर है, जिसके हर हिस्से में गणपति विभिन्न रूपों में विराजे हैं, लेकिन इसकी स्थापना एक दिन में नहीं हुई, पेशे से शिक्षक विकास श्रीवास्तव के 20 सालों की श्रद्धा और विश्वास का प्रतिफल हैं, प्रथम पूज्य गणेश के एक साथ 700 रूप.

देश के अलग-अलग हिस्सों से लाई गईं हैं ये प्रतिमाएं
विकास हर महीने गणेश जी की 2 प्रतिमाएं घर लेकर आते हैं. उनका कोई मित्र अगर कहीं बाहर जाता है तो वह भी विकास के लिए गणपति प्रतिमा लाना नहीं भूलता. एक साथ विराजे 700 रूपों में परमपूज्य गणेश देश के अलग-अलग हिस्सों से लाए गए हैं. ये प्रतिमाएं मिट्टी, मेटल, संगमरमर और पीओपी से बनी हुई हैं. प्रतिमाओं को घर लाने का ये सिलसिला आज से 20 साल पहले शुरू हुआ था.

ये भी पढ़ें- बच्चा चोरी की अफवाह में हिंसक हो रही भीड़, गाइडलाइंस के भरोसे झारखंड पुलिस

ऐसे जागी बप्पा के प्रति अटूट आस्था
विकास बताते हैं कि बचपन में उनके पिता की तबीयत खराब रहती थी, जिसको लेकर वह गणेश जी की पूजा करते थे. इसके बाद उनके पिता जी की तबीयत में काफी आराम मिला, तब से उनका विश्वास और आस्था गणेश जी की के लिए बढ़ गई. तब से वे गणेश जी की मूर्तियां इकट्ठा कर रहे हैं. गणपति के प्रति विकास का यह लगाव जहां उनके समर्पण को दर्शाता है तो दूसरों में भक्ति भावना को भी बढ़ावा देता है.

कानपुर: आपने बप्पा के आठ अवतार देखे होंगे..दशावतार देखे होंगे, लेकिन क्या 700 रूपों में गणपति को कहीं विराजते हुए देखा है. अलग-अलग मुद्राओं में विराजे बप्पा को एक साथ देखकर जहां चेहरे पर हल्की मुस्कान तो वहीं हृदय में भक्ति भाव खुद ब खुद जाग उठता है. कहीं प्रसन्न मुद्रा में ढोलक बजाते, कहीं नृत्य करते तो कहीं मोदक खाते...अपने प्यारे गणेश के इतने अलौकिक रूप आखिर किसको न भाएं.

देखें एक जगह विराजमान गणपति बप्पा के 700 रूप

700 अवतारों में विराजते हैं गणेश
यूपी के कानपुर में एक ऐसा घर है, जिसके हर हिस्से में गणपति विभिन्न रूपों में विराजे हैं, लेकिन इसकी स्थापना एक दिन में नहीं हुई, पेशे से शिक्षक विकास श्रीवास्तव के 20 सालों की श्रद्धा और विश्वास का प्रतिफल हैं, प्रथम पूज्य गणेश के एक साथ 700 रूप.

देश के अलग-अलग हिस्सों से लाई गईं हैं ये प्रतिमाएं
विकास हर महीने गणेश जी की 2 प्रतिमाएं घर लेकर आते हैं. उनका कोई मित्र अगर कहीं बाहर जाता है तो वह भी विकास के लिए गणपति प्रतिमा लाना नहीं भूलता. एक साथ विराजे 700 रूपों में परमपूज्य गणेश देश के अलग-अलग हिस्सों से लाए गए हैं. ये प्रतिमाएं मिट्टी, मेटल, संगमरमर और पीओपी से बनी हुई हैं. प्रतिमाओं को घर लाने का ये सिलसिला आज से 20 साल पहले शुरू हुआ था.

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ऐसे जागी बप्पा के प्रति अटूट आस्था
विकास बताते हैं कि बचपन में उनके पिता की तबीयत खराब रहती थी, जिसको लेकर वह गणेश जी की पूजा करते थे. इसके बाद उनके पिता जी की तबीयत में काफी आराम मिला, तब से उनका विश्वास और आस्था गणेश जी की के लिए बढ़ गई. तब से वे गणेश जी की मूर्तियां इकट्ठा कर रहे हैं. गणपति के प्रति विकास का यह लगाव जहां उनके समर्पण को दर्शाता है तो दूसरों में भक्ति भावना को भी बढ़ावा देता है.

Intro:कानपुर:-गणेश भक्ति में लीन शिक्षक के घर में 700 मुद्राओं में विराजे है गजानन

पूरे देश भर में गणेश महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है , कानपुर महानगर भी गणेश भक्ति में पीछे नही है , हम आज आपको मिलवाने जा रहे कानपुर के एक शिक्षक से जिसने गणेश भक्ति की एक अनोखी मिशाल पेश की है , कानपुर के श्याम नगर के रहने वाले शिक्षक विकास श्रीवास्तव ने गणेश भक्ति में आस्था की अनोखी मिशाल पेश करते हुए बप्पा की लगभग 700 अलग अलग मुद्राओ में प्रतिमायें इक्कठा की है ।


Body:आपने बप्पा के 8 अवतार देखें होंगे दशावतार देखें लेकिन कानपुर के रहने वाले विकास श्रीवास्तव ने गणेश भगवान के 700 विभिन्न स्वरूप इक्कठा कर रखे है । इनके घर में घुसते ही आपको गणपत भगवान की 700 अलग-अलग तरह के मुद्राओं में दर्शन होंगे कहीं भगवान का चला रहे हो कहीं प्रसन्न मुद्रा में ढोलक बजाते हुए कहीं नृत्य करते हुए तो कहीं मोदक खाते हुए । ईटीवी भारत से विशेष बातचीत विकास श्रीवास्तव वह दो मूर्तियां हर महा लेकर आते हैं उनका कोई मित्र अगर कहीं बाहर जाता है वह भी उनके लिए गणेश जी की मूर्ति लेकर आता है उनकी मूर्तियां देश के विभिन्न शहरों से आएंगे आज से लगभग 20 साल पहले शुरू हुआ सिलसिला अब लगभग 700 मुर्गियों तक पहुंच चुका है इनके पास गणेश जी की तरह तरह के मुर्तिया मौजूद है कोई मिट्टी की मूर्ति है कोई संगमरमर की मूर्ति है कोई मेटल की मूर्ति है कोई पीओपी की मूर्ति है विकास बताते हैं कि बचपन में उनके पिता की तबीयत खराब रहती थी जिसको लेकर वह गणेश जी की पूजा करते थे इसके बाद उनके पिताजी की तबीयत में काफी आराम मिल लेना जिसके बाद से उनका विश्वास आस्था गणेश जी की तरफ बढ़ गई तब सेवर गणेश जी की मूर्तियां इकट्ठा कर रहे हैं ।

बाइट :- विकास श्रीवास्तव , शिक्षक

रजनीश दीक्षित
कानपुर।


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