रांची: प्रदेश में बड़े ही जोर-शोर से नया ट्रैफिक नियम लागू किया गया था. इसके लिए प्रशासन ने मुहिम छेड़ दी थी लेकिन चौतरफा विरोध के बाद नए ट्रैफिक नियम के तहत वसूले जा रहे जुर्माने को अगले 3 महीने तक राज्य सरकार ने रोकने का निर्णय ले लिया है. सरकार के इस फैसले पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सवाल खड़ा किया है. पार्टी ने सीधे तौर पर आरोप लगाया है कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए राज्य सरकार ने यह निर्देश दिया है.
इस मामले पर झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हैरत की बात यह है कि केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के गृह प्रदेश महाराष्ट्र में परिवहन विभाग के इस आदेश को एक सिरे से खारिज कर दिया गया. वहीं गुजरात ने भी इसमें अपने अनुसार संशोधन कर डाला. ऐसे में झारखंड किस मजबूरी के तहत बढ़े हुए ट्रैफिक जुर्माने को वसूलने पर लगा हुआ था, यह समझ से परे है.
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ट्रैफिक नियम पर मुख्यमंत्री कर रहे हैं राजनीतिक धूर्तता
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर राजनैतिक धूर्त बाजी कर रहे हैं. भट्टाचार्य ने कहा कि वर्तमान नियम के तहत अगर केंद्रीय ट्रैफिक कानून को जारी रखा गया तो आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो जाएगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री का यह अंतिम कार्यकाल है और अपनी संभावित पराजय को देखते हुए वह इस तरह का निर्णय ले रहे हैं. भट्टाचार्य ने कहा कि सरकार को स्पष्ट करना पड़ेगा कि राज्य में राजनैतिक सुविधानुसार नियमों को परिभाषित किया जाएगा या कानून के प्रावधान लागू किए जाएंगे. साथ ही भट्टाचार्य ने पब्लिक अफेयर्स सेंटर एंड गुड गवर्नेंस के मुद्दे पर निकाले गए पब्लिक अफेयर्स इंडेक्स 2018 के आंकड़ों का भी हवाला दिया. उन्होंने कहा कि उन आंकड़ों में झारखंड 28 वें स्थान पर है. वहीं नेशनल काउंसिल फॉर अप्लाइड एंड इकोनामिक रिसर्च के राज्य निवेश संभावित सूचकांक 2018 के अनुसार झारखंड 21 राज्यों में 20वें स्थान पर है जबकि 2017 में यह 19वें पायदान पर था.
झारखंड में बढ़ रहे हैं घोटाले
उन्होंने कहा कि राज्य में लगातार घोटालों की श्रंखला बढ़ती जा रही है। चाहे उद्योग विभाग के कंबल घोटालों की बात करें या करोड़ों रुपए के मोमेंटम झारखंड घोटाले की. इतना ही नहीं नगर विकास विभाग, बिजली विभाग और महिला एवं बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग भी उन घोटालों से अछूता नहीं है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के केंद्रीय नेताओं के चेहरे चमकाने के लिए कथित रूप से पिछले 5 साल में 400 करोड़ों रुपए प्रचार प्रसार में खर्च किए गए. इसलिए अपने कार्यकाल के अंतिम दौर में मुख्यमंत्री को आम जनों से माफी मांगनी चाहिए और केंद-राज्य सरकार के जनविरोधी निर्णय और आदेश को तत्काल रद्द कर देना चाहिए.