रांचीः भाजपा के विधायक समरी लाल को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. अदालत ने विधायक की याचिका को खारिज कर दिया है. विधायक समरी लाल की उम्मीदवारी को कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश बैठा ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है, गलत जाति प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव जीतने का आरोप लगाया है. इस पर सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट में चल रही है. उस मामले में विधायक ने अदालत से 35 गवाह की गवाही करवाने की आग्रह किया था, अदालत ने उनके आग्रह को ठुकराते हुए सिर्फ 15 गवाहों की गवाही की अनुमति दी. हाई कोर्ट के इसी आदेश को विधायक ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने विधायक की एसएलपी याचिका पर सुनवाई के उपरांत उसे खारिज कर दिया है.
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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश गौतम कुमार चौधरी की अदालत में विधायक की चुनाव चुनौती याचिका पर सुनवाई हो रही है. विधायक समरी लाल की ओर से अपने पक्ष में लगभग 18 गवाहों की गवाही करवा ली गई है. जिसमें 15 प्राइवेट गवाह और 3 सरकारी गवाहों की गवाही कलम बंद कर ली गई है. विधायक और गवाहों की गवाही करवाना चाहते थे लेकिन अदालत ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी. 5 जनवरी 2023 को उनके गवाहों की गवाही बंद कर दी गई और अधिक गवाहों की गवाही की अनुमति अदालत के द्वारा नहीं दी गई. उसके बाद विधायक ने अदालत के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर कांके विधानसभा से समरी लाल वर्ष 2019 में चुनाव जीते हैं. कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश बैठा ने उनकी उम्मीदवारी को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी है. बैठा का कहना है कि विधायक ने जो जाति प्रमाण पत्र दिया है, वह गलत है. इसलिए उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी जानी चाहिए. वह दूसरे स्थान पर हैं इसलिए उन्हें विधायक घोषित किया जाना चाहिए. वही वधायक समरी लाल का कहना है कि उनका परिवार लगभग 75 वर्षों से अधिक से झारखंड में रह रहा है.
कांके विधायक समरीलाल द्वारा वर्ष 2019 झारखंड विधानसभा चुनाव में दिए गए जाति प्रमाण पत्र गलत बताते हुए कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश बैठा की याचिका में झारखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति गौतम कुमार चौधरी कोर्ट द्वारा गवाहों की संख्या 15 निर्धारित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई. सुप्रीम कोर्ट ने समरीलाल की याचिका को खारिज कर दी. उक्त याचिका में प्रतिवादी समरीलाल की ओर से 35 प्राइवेट गवाहों की सूची हाई कोर्ट को सौंपी गई थी, लेकिन कोर्ट ने 24 नवंबर 2022 को 15 गवाह लाने की अनुमति दी थी. विधायक समरीलाल ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
समरी लाल की ओर से लगभग सभी गवाहों ने झारखंड हाईकोर्ट में बताया है कि समरी लाल का परिवार आजादी के पहले से रांची में रह रहा है, लेकिन इससे संबंधित कोई दस्तावेज उसके पास उपलब्ध नहीं है. हाईकोर्ट में प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विभाष सिन्हा और अखौरी अविनाश ने पैरवी की थी. वहीं प्रतिवादी की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने पैरवी की थी. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में कांके से भाजपा के टिकट पर समरी लाल जीते थे. सुरेश बैठा ने उनके जाति प्रमाण पत्र को गलत बताते हुए उनके निर्वाचन को रद्द करने का आग्रह कोर्ट से किया है.