रांचीः झारखंड में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो. इसको लेकर मधु कोड़ा के शासनकाल यानी वर्ष 2007 में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाने की आधारशिला रखी गई. इस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को 134 करोड़ की लागत से बनाया जाना है, जिसमें 530 बेड की व्यवस्था की जानी है. लेकिन 15 साल खत्म होने के बावजूद अस्पताल भवन बनकर तैयार नहीं हो सका है. स्थिति यह है कि आज भी आधारभूत संरचना से संबंधित काम चल रहा है.
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वर्ष 2007 में स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल भवन बनने का काम शुरू किया गया. 14 साल के बाद पिछले वर्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जनवरी महीने में कोरोना टीकाकरण का शुभारंभ करने आये तो उन्होंने कहा कि अब इस अस्पताल का वनवास खत्म होना चाहिए. लेकिन मुख्यमंत्री के इस घोषणा के भी एक साल हो गए. इसके बावजूद अस्पताल भवन नहीं बन सका है.
आरटीआई कार्यकर्ता ज्योति शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट ने समय सीमा निर्धारित करते हुए काम पूरा करने का आदेश दिया था. लेकिन निर्धारित समय से अस्पताल भवन बनकर तैयार नहीं हुआ तो अवमानना वाद दायर किया गया. अवमाननावाद दायर करने वाले ज्योति शर्मा ने ईटीवी भारत से कहते हैं कि 15 फरवरी तक अस्पताल भवन बनकर तैयार नहीं हुआ तो 18 फरवरी को फिर सुनवाई होगी.
रांची सदर अस्पताल परिसर में 530 बेड के सुपर स्पेशलिटी भवन बन रहा है. निर्माण कार्य की धीमी गति की वजह से 15 फरवरी तक पूरा होने की संभावना कम दिख रही है. प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. एसएस मंडल कहते हैं कि आंशिक रूप से हैंडओवर लेकर ओपीडी चलाने की कोशिश की जा रही है. डॉ. एके झा कहते हैं कि अगर अस्पताल संचालित होता तो एक नये मेडिकल कॉलेज शुरू होने की भी संभावना बढ़ जाती, जिसका लाभ झारखंड के लोगों को मिलता. बता दें कि प्रशासनिक अनदेखी की वजह से 134 करोड़ की योजना की लगात बढ़कर करीब 330 करोड़ रुपये की हो गई है. इसके बावजूद भवन निर्माण कार्य अधूरा है.