रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दो पूर्व अध्यक्षों में एक प्रदीप बलमुचू को पार्टी में एंट्री, तो दूसरी तरफ सुखदेव भगत को नो एंट्री की चर्चा राजनीतिक गलियारे में जोरों पर है. जबकि दोनों पूर्व अध्यक्षों ने चुनाव से ठीक पहले विपक्षी पार्टी का दामन थाम लिया था और कांग्रेस के खिलाफ ही चुनावी मैदान में उतरे थे. लेकिन फिर भी एक पूर्व अध्यक्ष को पार्टी में वापसी की बात सामने आ रही है. वहीं, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष की वापसी से किसको खतरा है और वापसी की राह में कौन कांटे बिछा रहा है. ये एक पहेली बनी हुई है. साथ ही सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या पार्टी के कुछ बड़े नेताओं को उनके आने से पॉलिटिकल खतरे का तो आभास नहीं हो गया है.
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दरअसल माना जा रहा है कि झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव की राजनीति में यह अंतिम पारी है और आने वाले समय में कयास लगाए जा रहे हैं कि वह अपने बेटे रोहित प्रियदर्शी को पॉलिटिक्स में लॉन्च करने की तैयारी में है. ऐसे में अगर सुखदेव भगत की घर वापसी होती है, तो वर्तमान अध्यक्ष के बेटे के पॉलिटिकल कैरियर पर ग्रहण लग सकता है. ऐसे में सबसे ज्यादा पॉलिटिकल खतरा डॉ रामेश्वर उरांव को है, तो वहीं यह भी माना जा रहा है कि राज्यसभा सांसद धीरज साहू से सुखदेव भगत की अनबन भी उनके घर वापसी में रोड़ा बनने का काम कर रही है. क्योंकि हमेशा से यह धारणा रही है कि साहू परिवार के आशीर्वाद के बिना लोहरदगा में जीतना मुश्किल है. ऐसे में घर वापसी के लिए भी साहू परिवार का आशीर्वाद मिलना जरूरी है.