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सुखदेव भगत-प्रदीप बलमुचू की होगी कांग्रेस में वापसी, झारखंड कांग्रेस स्वागत के लिए तैयार - झारखंड कांग्रेस न्यूज

झारखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने डॉ अजय कुमार ने विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी का साथ छोड़कर आप का दामन थाम लिया था, लेकिन अब एक बार फिर से उनका कांग्रेस में वापसी हो गया है, जिसके बाद से अब जल्द ही दो और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत और प्रदीप बलमुचू की भी वापसी की उम्मीदें बढ़ गई हैं.

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दोनों नेताओं की कांग्रेस में होगी वापसी
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Published : Oct 22, 2020, 5:02 PM IST

रांची: झारखंड कांग्रेस में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार की वापसी के बाद अब जल्द ही दो और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत और प्रदीप बलमुचू की भी वापसी होगी, क्योंकि इन दोनों पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के ओर से आलाकमान को वापसी के लिए आवेदन दिया गया है. ऐसे में प्रदेश कांग्रेस का भी कहना है कि अगर सुबह का भूला शाम को वापस आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते, आलाकमान अगर उन्हें पार्टी में वापस लेने का निर्णय लेती है तो उनका स्वागत होगा.

देखें पूरी खबर
प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने प्रदीप बलमुचू और सुखदेव भगत के वापसी के मामले पर कहा कि उन्होंने आलाकमान को आवेदन दिया है, अब अंतिम निर्णय आलाकमान को लेना है. हालांकि उन्होंने कहा कि आलाकमान जो भी निर्णय लेगी, उसे कांग्रेस का प्रत्येक कार्यकर्ता मानेंगे और उनका स्वागत करेगा. उन्होंने कहा कि जिस तरह से बंधु तिर्की और प्रदीप यादव के आने से पार्टी में मजबूती आई है, उसी तरह पुराने नेता होने के नाते सुखदेव भगत और प्रदीप बलमुचू के पार्टी में वापसी से कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार होगा.इसे भी पढे़ं:- बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कांग्रेस और राज्य सरकार पर साधा निशाना, राज्य सरकार को बताया फेलविधानसभा चुनाव 2019 के समय में दोनों पूर्व अध्यक्ष ने हाथ का साथ छोड़ दूसरे दल का दामन थाम लिया था. प्रदीप बलमुचू ने आजसू पार्टी का जबकि सुखदेव भगत ने भाजपा का दामन थामा था, जिसके बाद दोनों गठबंधन प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे थे. सुखदेव भगत ने तो लोहरदगा से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव के खिलाफ, जबकि प्रदीप बलमुचू ने घाटशिला से गठबंधन के झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन दोनों को हार हाथ लगी. उसके बाद से ही दोनों पूर्व अध्यक्ष उन राजनीतिक दलों में सक्रिय भी नहीं रहे. प्रदीप बलमुचू हाल ही में एक बार प्रदेश कांग्रेस कार्यालय भी श्रद्धांजलि समारोह कार्यक्रम में पहुंचे थे, जिसके बाद से यह अटकलें तेज हो गई थी कि उनकी जल्द पार्टी में वापसी हो सकती है. प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने साफ तौर पर कहा था कि पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ने वालों के पार्टी में 6 साल तक नो इंट्री है.

रांची: झारखंड कांग्रेस में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार की वापसी के बाद अब जल्द ही दो और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत और प्रदीप बलमुचू की भी वापसी होगी, क्योंकि इन दोनों पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के ओर से आलाकमान को वापसी के लिए आवेदन दिया गया है. ऐसे में प्रदेश कांग्रेस का भी कहना है कि अगर सुबह का भूला शाम को वापस आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते, आलाकमान अगर उन्हें पार्टी में वापस लेने का निर्णय लेती है तो उनका स्वागत होगा.

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प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने प्रदीप बलमुचू और सुखदेव भगत के वापसी के मामले पर कहा कि उन्होंने आलाकमान को आवेदन दिया है, अब अंतिम निर्णय आलाकमान को लेना है. हालांकि उन्होंने कहा कि आलाकमान जो भी निर्णय लेगी, उसे कांग्रेस का प्रत्येक कार्यकर्ता मानेंगे और उनका स्वागत करेगा. उन्होंने कहा कि जिस तरह से बंधु तिर्की और प्रदीप यादव के आने से पार्टी में मजबूती आई है, उसी तरह पुराने नेता होने के नाते सुखदेव भगत और प्रदीप बलमुचू के पार्टी में वापसी से कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार होगा.इसे भी पढे़ं:- बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कांग्रेस और राज्य सरकार पर साधा निशाना, राज्य सरकार को बताया फेलविधानसभा चुनाव 2019 के समय में दोनों पूर्व अध्यक्ष ने हाथ का साथ छोड़ दूसरे दल का दामन थाम लिया था. प्रदीप बलमुचू ने आजसू पार्टी का जबकि सुखदेव भगत ने भाजपा का दामन थामा था, जिसके बाद दोनों गठबंधन प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे थे. सुखदेव भगत ने तो लोहरदगा से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव के खिलाफ, जबकि प्रदीप बलमुचू ने घाटशिला से गठबंधन के झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन दोनों को हार हाथ लगी. उसके बाद से ही दोनों पूर्व अध्यक्ष उन राजनीतिक दलों में सक्रिय भी नहीं रहे. प्रदीप बलमुचू हाल ही में एक बार प्रदेश कांग्रेस कार्यालय भी श्रद्धांजलि समारोह कार्यक्रम में पहुंचे थे, जिसके बाद से यह अटकलें तेज हो गई थी कि उनकी जल्द पार्टी में वापसी हो सकती है. प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने साफ तौर पर कहा था कि पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ने वालों के पार्टी में 6 साल तक नो इंट्री है.
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