रांचीः झारखंड के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अब स्नातक स्नातकोत्तर में आपदा प्रबंधन से जुड़े विषयों की पढ़ाई अनिवार्य कर दी गयी है. अब इसे फाउंडेशन कोर्स में शामिल करने की तैयारी है. यूजीसी की ओर से इस मामले को लेकर राज्य के तमाम विश्वविद्यालयों को दिशा निर्देश दिया गया है.
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राज्य के विश्वविद्यालयों में यूजी और पीजी में आपदा प्रबंधन की पढ़ाई को अब अनिवार्य किया गया है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की ओर से सभी विश्वविद्यालयों को विशेष दिशा निर्देश जारी किया गया है. जानकारी के मुताबिक सत्र 2022-23 से इस कोर्स को संचालित करने का आदेश है. इसके लिए मॉडल पाठ्यक्रम तैयार किया गया है. यूजीसी का निर्देश है कि शैक्षणिक सत्र 2022-23 के तहत अन्य डिग्री प्रोग्राम की तरह इस कोर्स में भी पहले, दूसरे और तीसरे वर्ष के विद्यार्थियों को पढ़ाई छोड़ने और फिर से पढ़ने की सुविधा मिलेगी. पहले वर्ष की पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्र को सर्टिफिकेट कोर्स दूसरे वर्ष में पढ़ाई छोड़ने पर डिप्लोमा का प्रमाण पत्र दिया जाएगा. कोर्स पूरा होने पर डिग्री दी जाएगी
यह कोर्स च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के तहत चलाने पर फैसला हुआ है. इसमें छात्र क्रेडिट के साथ जुड़ेंगे. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (National Institute of Disaster Management) ने 18 विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की टीम के साथ नई शिक्षा नीति के तहत मॉडल पाठ्यक्रम तैयार किया है. पहले वर्ष में विद्यार्थियों के लिए ह्यूमनिटीज, साइंस, कॉमर्स, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट कोर्स में आपदा जोखिम को कम करने के प्रबंधन डिजास्टर रिस्क डिस्कशन एंड मैनेजमेंट पर सर्टिफिकेट कोर्स तैयार किया गया है.
2 साल की पढ़ाई पूरी करने पर पीजी डिप्लोमा का प्रमाण पत्र मिलेगा. इसमें किसी भी स्ट्रीम में 45% अंकों के साथ स्नातक डिग्री में नामांकन होगा. यह 2 सेमेस्टर में चलने वाला प्रोग्राम कुल 45 क्रेडिट का होगा. चौथे सेमेस्टर में आपदा जोखिम करने के प्रबंधन विषय की पढ़ाई अनिवार्य होगी. इसमें तीन क्रेडिट और सी अंक का पेपर होगा. जिसमें 60 फीसदी और बाहर से और 40 फीसदी अंक इंटरनल एसेसमेंट के जरिए दिया जाएगा, 20 अंक का फील्ड वर्क भी होगा. जबकि पूरे कोर्स में 45 घंटे का लेक्चर होगा प्रोग्राम नामांकन के लिए 55 फीसदी अंक के साथ 12वीं पास होना अनिवार्य किया गया है.