रांचीः झारखंड हाई कोर्ट ने छठी जेपीएससी मामले को लेकर फैसला सुनाया है, जिसमें मेरिट लिस्ट रद्द करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि आठ सप्ताह के भीतर नई मेरिट लिस्ट जारी करें. हाई कोर्ट के फैसले के बाद छठी जेपीएससी परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों ने प्रतिक्रिया दी हैं.
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सोमवार को हाई कोर्ट में छठी जेपीएससी से संबंधित 16 मामलों की सुनवाई हुई है. कोर्ट ने सभी याचिकाओं को चार श्रेणियों में बांट कर सुनवाई की थी और फैसला सुरक्षित रख लिया गया था, जिस पर फैसला सुनाया है.
विज्ञापन की शर्तों का किया गया उल्लंघन
बता दें कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि छठी जेपीएससी परीक्षा के पेपर वन हिंदी और अंग्रेजी के क्वालीफाई अंक को कुल प्राप्तांक में जोड़ दिया गया है, जबकि विज्ञापन के शर्तों के अनुसार अभ्यर्थियों को पेपर वन में सिर्फ क्वालीफाइंग अंक लाना था. क्वालीफाइंग अंक को प्राप्तांक में जोड़ने की वजह से अधिक अंक प्राप्त करने वाले कई अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो सका है.
इसके साथ ही आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को गलत कैडर देने का आरोप से जुड़ी याचिका भी कोर्ट में दाखिल किया गया था. वहीं, जेपीएससी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कुल प्राप्तांक में क्वालीफाइंग मार्क्स को नियम के अनुरूप ही जोड़ना गया है.
326 अभ्यर्थियों की नियुक्ति अवैध घोषित
झारखंड हाई कोर्ट के फैलने के बाद 326 अभ्यर्थियों की नियुक्ति अवैध घोषित हो गयी है. अब कोर्ट के फैसले के बाद फ्रेश मेरिट लिस्ट बनेगी. हाई कोर्ट के फैसले के बाद जेपीएससी अभ्यर्थियों ने खुशी जाहिर की है. छठी जेपीसी अभ्यर्थियों के नेता उमेश प्रसाद ने कहा कि न्यायालय की ओर से निष्पक्ष फैसला सुनाया गया है, जिसका सम्मान करते हैं.
अभ्यर्थियों के लिए बड़ी जीत
छात्र नेता इमाम शफी कहते है कि यह छोटी जीत है. इस फैसले से संतुष्ट नहीं है. इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. अभ्यर्थी देवेंद्र नाथ महतो कहते है कि हाई कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है. अभ्यर्थियों के लिए एक बड़ी जीत है.