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NEET की तर्ज पर जेईई परीक्षा की मांग, जानें क्या कहते हैं शिक्षाविद् और मनोचिकित्सक - students demand only one paper for jee exam

देशभर में मांग उठ रही है कि नीट की तर्ज पर जेईई के लिए भी एक परीक्षा होनी चाहिए ताकि छात्रों का तनाव कम हो और उनका आर्थिक दोहन भी नहीं हो. हालांकि इसको लेकर छात्रों, अभिभावकों और एक्सपर्ट्स की राय अलग अलग है.

students demand only one paper for jee exam
NEET की तर्ज पर जेईई परीक्षा की मांग
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Published : Jul 30, 2020, 8:10 PM IST

Updated : Jul 31, 2020, 12:36 PM IST

रांचीः मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए छात्रों को राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (नीट) पास कर मेरिट में आना होता है. इसी तरह इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) साल में दो बार आयोजित की जाती है. इसके तरह जईई मेन और जेईई एडवांस परीक्षाएं होती हैं.

NEET की तर्ज पर जेईई परीक्षा की मांग

ये भी पढ़ेंः 'IIT- JEE की परीक्षा में बदलाव की जरूरत, लेकिन राज्य की स्थानीय नीति का रखा जाए ख्याल'

जेईई मेन में बीई-बीटेक और बी-आर्किटेक्ट के लिए अलग-अलग पेपर्स होते हैं. जेईई-मेन परीक्षा एक से छह सितंबर तक होगी, जबकि जेईई-एडवांस परीक्षा 27 सितंबर को होगी. नीट की परीक्षा 13 सितंबर को होगी.

इस बीच कई छात्रों और अभिभावकों ने नीट की तर्ज पर जेईई के लिए भी एक परीक्षा पैटर्न की मांग की है. हालांकि इसे लेकर आमराय नहीं है. कुछ लोग मौजूदा पैटर्न को सही बता रहे हैं तो कुछ बदलाव की मांग कर रहे हैं. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने रांची के शिक्षाविद् विनोद कुमार और मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ से बात की.

विनोद कुमार के अनुसार मौजूदा पैटर्न छात्रों को ज्यादा अवसर देता है. साल में दो बार परीक्षाएं होने से मौके ज्यादा मिलते हैं. जिन्हें आईआईटी में दाखिला लेना है, वे मेन पास करने के बाद एडवांस ट्राइ कर सकते हैं. इसके साथ ही जिनका रुझान बी-आर्किटेक्ट की ओर है, वे इसके लिए अलग से तैयारी कर परीक्षा दे सकते हैं.

मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ ने बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले की तैयारी थोड़ी कठिन होती है, जिससे छात्र तनावग्रसित हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि परीक्षा में सफल होने का छात्रों पर बड़ा दबाव रहता है. कई बार बच्चे आत्मघाती कदम उठा लेते हैं. ऐसे में परीक्षा के पैटर्न में कुछ बदलाव लाकर कुछ हद तक इस बर्डन को कम किया जा सकता है.

रांचीः मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए छात्रों को राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (नीट) पास कर मेरिट में आना होता है. इसी तरह इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) साल में दो बार आयोजित की जाती है. इसके तरह जईई मेन और जेईई एडवांस परीक्षाएं होती हैं.

NEET की तर्ज पर जेईई परीक्षा की मांग

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जेईई मेन में बीई-बीटेक और बी-आर्किटेक्ट के लिए अलग-अलग पेपर्स होते हैं. जेईई-मेन परीक्षा एक से छह सितंबर तक होगी, जबकि जेईई-एडवांस परीक्षा 27 सितंबर को होगी. नीट की परीक्षा 13 सितंबर को होगी.

इस बीच कई छात्रों और अभिभावकों ने नीट की तर्ज पर जेईई के लिए भी एक परीक्षा पैटर्न की मांग की है. हालांकि इसे लेकर आमराय नहीं है. कुछ लोग मौजूदा पैटर्न को सही बता रहे हैं तो कुछ बदलाव की मांग कर रहे हैं. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने रांची के शिक्षाविद् विनोद कुमार और मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ से बात की.

विनोद कुमार के अनुसार मौजूदा पैटर्न छात्रों को ज्यादा अवसर देता है. साल में दो बार परीक्षाएं होने से मौके ज्यादा मिलते हैं. जिन्हें आईआईटी में दाखिला लेना है, वे मेन पास करने के बाद एडवांस ट्राइ कर सकते हैं. इसके साथ ही जिनका रुझान बी-आर्किटेक्ट की ओर है, वे इसके लिए अलग से तैयारी कर परीक्षा दे सकते हैं.

मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ ने बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले की तैयारी थोड़ी कठिन होती है, जिससे छात्र तनावग्रसित हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि परीक्षा में सफल होने का छात्रों पर बड़ा दबाव रहता है. कई बार बच्चे आत्मघाती कदम उठा लेते हैं. ऐसे में परीक्षा के पैटर्न में कुछ बदलाव लाकर कुछ हद तक इस बर्डन को कम किया जा सकता है.

Last Updated : Jul 31, 2020, 12:36 PM IST
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