रांची: नियोजन नीति को लेकर नाराज छात्र एक तरफ झारखंड बंद कराने की तैयारी में जुटे हुए हैं वहीं दूसरी ओर छात्रों के इस आंदोलन पर सियासत भी शुरू हो गई है. नियोजन नीति के मुद्दे पर छात्रों के इस आंदोलन के पीछे भारतीय जनता पार्टी का हाथ होने का आरोप सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के द्वारा लगाया जाता रहा है. ऐसे में 10 अप्रैल को झारखंड बंद और 8 अप्रैल को मुख्यमंत्री आवास घेराव की घोषणा ने इस मुद्दे पर जारी सियासत को और तेज कर दिया है.
5 लाख नौकरी देने के वादे का क्या हुआ: भारतीय जनता पार्टी ने छात्रों के इस आंदोलन को नैतिक समर्थन देने की घोषणा करते हुए हेमंत सरकार पर जमकर निशाना साधा है. भाजपा विधायक अमर कुमार बाउरी ने वर्तमान सरकार को छात्र विरोधी बताते हुए कहा है कि यह नाराजगी छात्रों की स्वाभाविक है. क्योंकि जो वादा करके हेमंत सरकार सत्ता पर बैठने का काम किया उसे पूरा करने में अब तक विफल रही है. ऐसे में नौकरी नहीं मिलने से नाराज छात्र सड़कों पर हैं और सरकार से जवाब मांग रहे हैं कि कहां गया वह वादा जिसमें 5 लाख नौकरी हर वर्ष देने का आपने घोषणा की थी और नौकरी नहीं देने पर बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही थी.
शांतिपूर्ण आंदोलन का समर्थन: उन्होंने कहा कि रघुवर सरकार की नियोजन नीति को इस सरकार ने खारिज कर नई नियोजन नीति तो बनाई मगर असंवैधानिक होने की वजह से वह भी न्यायालय से रद्द हो गया. उसके बाद जो संशोधन की गई है उससे झारखंड के मूलवासी छात्रों की हकमारी होगी, जिससे छात्र नाराज हैं और उनकी मांग जायज है. भारतीय जनता पार्टी ने छात्रों के इस आंदोलन को नैतिक समर्थन देने की घोषणा की है और छात्र अपनी बातों को जरूर रखें मगर अहिंसात्मक रूप से बातों को रखने की कोशिश होनी चाहिए. भारतीय जनता पार्टी हिंसा में विश्वास नहीं रखती हैं और झारखंड के युवाओं के हर मुद्दे पर उन्हें समर्थन देने का काम करती रही है आगे भी करती रहेगी.
सरकार के लिए खतरे की घंटी: छात्रों के आंदोलन को देखते हुए सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस और राजद के अंदर बेचैनी बढ़ी हुई है. क्योंकि इसी यूथ के भरोसे हेमंत सरकार सत्ता पर काबिज होने में सफलता पाई थी. यदि यह आंदोलन आगे भी जारी रहा है तो कहीं ना कहीं यूपीए गठबंधन के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है. शायद यही वजह है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने छात्रों से अपील करते हुए कहा है कि वह विपक्ष के बहकावे में ना आवे क्योंकि आपके ही द्वारा बनाई गई यह सरकार है और आपकी भावना के अनुरूप सरकार आगे काम करती रहेगी.
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छात्र बहकावे में ना आएं: झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता मनोज पांडे ने छात्रों से अपील करते हुए कहा है यदि कुछ बातों को रखनी है तो मुख्यमंत्री बातचीत करने के लिए तैयार हैं. छात्र कभी भी अपनी बातों को मुख्यमंत्री के समक्ष रख सकते हैं. उन्होंने इसे भारतीय जनता पार्टी की साजिश बताते हुए कहा की छात्र विपक्ष के बहकावे में ना आएं क्योंकि भारतीय जनता पार्टी नहीं चाहती है कि एक युवा आदिवासी मुख्यमंत्री कि जिस तरह से लोकप्रियता देश में बढ़ रही है वह आगे और भी बढ़ती रहे.
1932 आधारित नियोजन नीति होगी लागू: उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब रघुवर दास के शासनकाल में 1985 कट ऑफ रखते हुए 50% बाहरियों के लिए निर्धारित की गई थी तो उस समय आंदोलन क्यों नहीं हुआ. 50-50 चलतो और 60-40 नाय चलतो ये कौन सा तरीका है. हेमंत सरकार 1932 आधारित नियोजन नीति लाने को लेकर कृतसंकल्पित है इसके लिए दिल्ली तक आंदोलन करना होगा तो किया जाएगा. भारतीय जनता पार्टी को स्पष्ट करना चाहिए कि जब विधानसभा से 1932 आधारित स्थानीयता को पास कराकर नौवीं अनुसूची में केंद्र को भेजा गया तो बीजेपी ने क्यों नहीं पहल की. इसके बावजूद वर्तमान सरकार दिल्ली तक इसको लेकर दबाव बनाने की कोशिश करेगी और उन्हें 1932 आधारित नियोजन नीति को लेकर हमारा आंदोलन जारी रहेगा.