रांची: झारखंड सरकार की नई नियोजन नीति का विरोध लगातार जारी है. झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन पिछले कई महीनों से इसे लेकर लगातार आंदोलन कर रहा है. छात्र संगठन अब आर-पार के मूड में हैं. इसे लेकर 17 अप्रैल से तीन दिनों का महाआंदोलन शुरू हो रहा है.
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सोमवार को सीएम आवास घेराव: राज्यभर के 18-19 छात्र संगठनों ने एकजुट होकर 17 से 19 अप्रैल तक महाआंदोलन की घोषणा की है. 17 अप्रैल को मुख्यमंत्री आवास घेराव, 18 अप्रैल को विशाल मशाल जुलूस और 19 अप्रैल को झारखंड बंद की घोषणा छात्र संगठनों ने कर रखी है. छात्र नेता देवेंद्र महतो ने बताया कि 17 अप्रैल को मुख्यमंत्री आवास घेरने सभी 24 जिलों से छात्र रांची पहुंचेंगे. 10 बजे तक मोराबादी में महाजुटान होगा और उसके बाद मुख्यमंत्री आवास घेरने निकल जाएंगे. वहीं 18 अप्रैल को जिला मुख्यालयों और प्रखंड मुख्यालयों में छात्र मशाल जुलूस निकलेंगे तथा 19 अप्रैल को पूरा झारखंड बंद रहेगा.
लाठी-डंडा खाने को तैयार हैं छात्र: आंदोलित अभ्यर्थियों का कहना था कि सरकार उनकी मांगें माने जाने की जगह आंदोलन को कैसे कमजोर किया जाए इस पर ध्यान दे रही है. आखिर नई नियोजन नीति कब लेकर आएगी, जब 60:40 से ही भर्तियां हो जाएगी तो फिर यहां के बेरोजगार युवा क्या करेंगे? झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन का कहना है कि इस बार का छात्र आंदोलन ऐतिहासिक होगा और हम लाठी डंडा खाने के लिए तैयार हैं. देवेंद्र महतो ने कहा कि हमारे तीन दिवसीय महाआंदोलन को आदिवासी छात्रसंघ, आइसा, आदिवासी सेंगेल अभियान, आदिवासी जनपरिषद सहित कई संगठनों का समर्थन प्राप्त है. वहीं झामुमो, भाजपा के कई नेताओं ने भी फोन कर हमारी मांगों को जायज बताया है.
हाई कोर्ट के आदेश के बाद नई नियोजन नीति की घोषणा: झारखंड सरकार द्वारा बनाई गई नियोजन नीति 2021 को झारखंड उच्च न्यायालय ने 16 दिसंबर को रद्द कर दिया था. इसके बाद झारखंड में कई परीक्षाएं और नियुक्तियां भी रद्द हो गई थीं. इसके बाद नई नियोजन नीति बनाने के लिए हेमंत सरकार ने राज्य के युवाओं से राय मांगी थी. उसी के आधार पर नई नियोजन नीति बनाई गई है. इस नीति की घोषणा से पहले यह कहा गया था कि राज्य के 70 प्रतिशत युवा 2016 से पहले जैसा नियोजन नीति चाहते हैं. इसलिए सरकार उनकी राय के मुताबिक नियोजन नीति ला रही है. जब नई नियोजन नीति की घोषणा की गई तो इसमें 60/40 का प्रावधान रखा गया, जिसके तहत 60 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय को और बाकि 40 प्रतिशत में अन्य को नौकरी दी जाएगी. स्थानीय युवा इसी प्रावधान से नाराज हैं. इसे लेकर ट्वीटर से लेकर सड़क और सदन तक आंदोलन कर रहे हैं.