रांची: राजस्व संग्रह में झारखंड सरकार के कई विभाग फिसड्डी साबित हो रहे हैं. हालत यह है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के तिमाही तक सरकार को बजट अनुमान के महज 52 प्रतिशत ही प्राप्त हुए हैं. राजस्व संग्रह में राज्य सरकार के कई विभाग लक्ष्य का पचास फीसदी का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाये हैं, जबकि वित्तीय वर्ष 2021-22 का समापन होने में महज डेढ महीने ही शेष हैं. राज्य के अपने राजस्व स्त्रोतों में सबसे बुरी स्थिति उत्पाद विभाग की है जो वार्षिक लक्ष्य की तूलना में महज 47.90% ही राजस्व संग्रह कर पाया है.
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उत्पाद विभाग का वार्षिक लक्ष्य 2460 करोड़ है, जिसमें दिसंबर 21 तक विभाग ने 1178.39 करोड़ राजस्व वसुली की है. इसी तरह राज्य सरकार को केन्द्रीय अनुदान मद में अनुमान के मुताबिक करीब 35% राशि मिली है. आंकड़ों के मुताबिक राज्य सरकार को लक्ष्य के अनुसार अब तक सबसे ज्यादा कमाई भू-राजस्व विभाग से हुआ है, जो करीब 110.69% फीसद राजस्व संग्रह कर नंबर वन पर है. झारखंड सरकार को जीएसटी मद में 6744.23 करोड़ जो वार्षिक लक्ष्य 9500.00 करोड़ का 70.99% है राशि प्राप्त हुआ है. वैट से झारखंड सरकार को 859.25 करोड़, स्टांप व निबंधन से 712.42 केन्द्रीय करों में हिस्सा से सरकार को 14891.69 करोड़ की प्राप्ति हुई है. वहीं गैर कर राजस्व से 6409.21 करोड़ प्राप्त हुए हैं, जो लक्ष्य के 47.48% के करीब है.
लक्ष्य पूर्ण होने की उम्मीद: सरकार के राजकोषीय अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रमुख हरीश्वर दयाल ने उम्मीद जताया है कि जो भी विभाग राजस्व संग्रह में पिछड़े हैं, वो चालू वित्तीय वर्ष के अंतिम तिमाही यानी 31 मार्च तक भरपाई कर लेंगे. उन्होंने राजस्व संग्रह में आई कमी के लिए इस वित्तीय वर्ष में भी कोरोना संकट और कर्मियों की कमी को मुख्य वजह माना है. उन्होंने कहा कि इसके बाबजूद सरकार के विभाग वार्षिक लक्ष्य पूरा करने में जरूर सफल होंगे. वहीं योजना एवं विकास विभाग के वरीय सहायक मृत्युंजय कुमार झा की मानें तो वित्तीय वर्ष के समापन में राजस्व संकलन में तेजी आती है. केन्द्रीय मद के पैसे भी जो विलंबित रहते हैं वो भी स्टेट को मिल जाता है. वहीं, राज्य सरकार के भी विभाग लक्ष्य को पूरा करने में तेजी लाते हैं.
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केन्द्रीय सहाय्य अनुदान मद में कमी: झारखंड सरकार को केंद्रीय सहाय्य अनुदान में मिलने वाली राशि में भी गिरावट देखी जा रही है. पिछले साल के मुकाबले चालू वित्तीय वर्ष के दौरान सरकार को केंद्रीय सहायता के वार्षिक लक्ष्य के मुकाबले अभी तक मात्र 35 फीसदी की मदद मिली है. पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान इस मद में सरकार को 50.31% राशि मिली थी.