ETV Bharat / state

गरीब किसानों के लिए वरदान साबित होगा नैनो यूरिया तेल, अधिक उपज के साथ प्रदूषण का प्रभाव भी होगा कम

रांची में इफको और बीएयू के संयुक्त तत्वावधान में नैनो यूरिया तरल के महत्त्व और उपयोगी विषय पर राज्यस्तरीय वेबिनार का आयोजन किया गया. इस दौरान बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने नैनो यूरिया तरल लांच करने पर इफको प्रबंधन को बधाई दी.

state-level-webinar-organized-under-joint-aegis-of-iffco-and-bau-in-ranchi
बीएयू
author img

By

Published : Jun 6, 2021, 5:41 PM IST

रांची: इंडियन फर्टिलाइजर कारपोरेशन ऑफ इंडिया (इफको) और बीएयू के संयुक्त तत्वावधान में नैनो यूरिया तरल के महत्त्व एवं उपयोगी विषय पर राज्यस्तरीय वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने भारतीय बाजार में नैनो यूरिया तरल लांच करने पर अपार हर्ष जताया और इफको प्रबंधन को बधाई दी.

इसे भी पढे़ं: जमीन पर कब्जे की खौफनाक दास्तान, लड़की को जिंदा दीवार में चुनवाया

डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि इस नैनो उर्वरक से उर्वरक लागत में कमी और अधिक उपज के साथ प्रदूषण का प्रभाव भी कम होगा, इसके प्रयोग से अन्य उर्वरकों की उपयोगिता क्षमता के बढ़ने से उपज की गुणवत्ता भी बढ़ेगी, सही मायने में नैनो उर्वरक आने वाले वर्षो में झारखंड के गरीब किसानों के लिए वरदान साबित होगा, आज का किसान काफी जागरूक हैं, खेतों में लाभ दिखने पर किसी भी तकनीक को अपनाने में हिचक नहीं दिखाते, नैनो उर्वरक के प्रयोग को बीएयू के अलावा किसी जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में भी प्रदर्शित किया जाय, ताकि अधिक से अधिक किसानों को इसके उपयोग के प्रति जागरूक किया जा सके.


नैनो उर्वरक के जनक ने रखी अपनी बात
वहीं नैनो उर्वरक के जनक डॉ रमेश रसिया ने बताया की हाल में ही गजट ऑफ इंडिया में इस उर्वरक के प्रयोग की अनुमति भारत सरकार ने दी है, इस उर्वरक के प्रभाव का देश में 94 मुख्य फसलों में प्रभाव का अध्ययन किया गया, देश के बीच शोध केंद्र एवं 11000 किसानों को खेतों में तकनीकी प्रशिक्षण के बाद इसे किसानों के लिए हाल में इफको ने लांच किया है, इस तरल उर्वरक का आधा बोतल करीब एक बोरी यूरिया के समान है.

इसे भी पढे़ं: कोरोना से अनाथ बच्चों को सरकार देना चाहती है संरक्षण, जानिए कितना सुरक्षित है साहिबगंज का बाल गृह


कार्यक्रम में 400 लोग रहे उपस्थित

बीएयू के अध्यक्ष (मृदा) डॉ डीके शाही ने विवि में नैनो उर्वरक का गेहूं फसल पर प्रभाव पर शोध से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि अनुशंषित उर्वरक, चूना, कम्पोस्ट की मात्रा की बुआई के समय प्रयोग और बाद में दो बार यूरिया की जगह नैनो उर्वरक के टॉप ड्रेसिंग से उपज में 20 प्रतिशत तक अधिक उपज पाया गया है, भूमि पर इसके कोई दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिला. इफको विपणन निदेशक योगेन्द्र कुमार ने कहा कि इफको ने प्रयोगशाला में नैनो डीएपी विकसित कर ली है, एक-दो वर्षो में इसे बाजार में लांच किया जाएगा, यह उर्वरक झारखंड के अम्लीय भूमि के लिए काफी उपयोगी साबित होगी. कार्यक्रम में स्वागत इफको के राज्य विपणन प्रबंधक आरके सिंह और धन्यवाद ज्ञापन उप क्षेत्र प्रबंधक चन्दन कुमार ने किया. वेबिनार में राज्य के किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि पदाधिकारियों सहित करीब 400 लोगों ने भाग लिया.

रांची: इंडियन फर्टिलाइजर कारपोरेशन ऑफ इंडिया (इफको) और बीएयू के संयुक्त तत्वावधान में नैनो यूरिया तरल के महत्त्व एवं उपयोगी विषय पर राज्यस्तरीय वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने भारतीय बाजार में नैनो यूरिया तरल लांच करने पर अपार हर्ष जताया और इफको प्रबंधन को बधाई दी.

इसे भी पढे़ं: जमीन पर कब्जे की खौफनाक दास्तान, लड़की को जिंदा दीवार में चुनवाया

डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि इस नैनो उर्वरक से उर्वरक लागत में कमी और अधिक उपज के साथ प्रदूषण का प्रभाव भी कम होगा, इसके प्रयोग से अन्य उर्वरकों की उपयोगिता क्षमता के बढ़ने से उपज की गुणवत्ता भी बढ़ेगी, सही मायने में नैनो उर्वरक आने वाले वर्षो में झारखंड के गरीब किसानों के लिए वरदान साबित होगा, आज का किसान काफी जागरूक हैं, खेतों में लाभ दिखने पर किसी भी तकनीक को अपनाने में हिचक नहीं दिखाते, नैनो उर्वरक के प्रयोग को बीएयू के अलावा किसी जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में भी प्रदर्शित किया जाय, ताकि अधिक से अधिक किसानों को इसके उपयोग के प्रति जागरूक किया जा सके.


नैनो उर्वरक के जनक ने रखी अपनी बात
वहीं नैनो उर्वरक के जनक डॉ रमेश रसिया ने बताया की हाल में ही गजट ऑफ इंडिया में इस उर्वरक के प्रयोग की अनुमति भारत सरकार ने दी है, इस उर्वरक के प्रभाव का देश में 94 मुख्य फसलों में प्रभाव का अध्ययन किया गया, देश के बीच शोध केंद्र एवं 11000 किसानों को खेतों में तकनीकी प्रशिक्षण के बाद इसे किसानों के लिए हाल में इफको ने लांच किया है, इस तरल उर्वरक का आधा बोतल करीब एक बोरी यूरिया के समान है.

इसे भी पढे़ं: कोरोना से अनाथ बच्चों को सरकार देना चाहती है संरक्षण, जानिए कितना सुरक्षित है साहिबगंज का बाल गृह


कार्यक्रम में 400 लोग रहे उपस्थित

बीएयू के अध्यक्ष (मृदा) डॉ डीके शाही ने विवि में नैनो उर्वरक का गेहूं फसल पर प्रभाव पर शोध से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि अनुशंषित उर्वरक, चूना, कम्पोस्ट की मात्रा की बुआई के समय प्रयोग और बाद में दो बार यूरिया की जगह नैनो उर्वरक के टॉप ड्रेसिंग से उपज में 20 प्रतिशत तक अधिक उपज पाया गया है, भूमि पर इसके कोई दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिला. इफको विपणन निदेशक योगेन्द्र कुमार ने कहा कि इफको ने प्रयोगशाला में नैनो डीएपी विकसित कर ली है, एक-दो वर्षो में इसे बाजार में लांच किया जाएगा, यह उर्वरक झारखंड के अम्लीय भूमि के लिए काफी उपयोगी साबित होगी. कार्यक्रम में स्वागत इफको के राज्य विपणन प्रबंधक आरके सिंह और धन्यवाद ज्ञापन उप क्षेत्र प्रबंधक चन्दन कुमार ने किया. वेबिनार में राज्य के किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि पदाधिकारियों सहित करीब 400 लोगों ने भाग लिया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.