रांची: झारखंड राज्य पहाड़ और पर्वत से घिरा हुआ है. जगह-जगह पर झील और झरने हैं. जिस वजह से कई बार आपदा आने की संभावना बनी रहती है. ऐसे में झारखंड का आपदा प्रबंधन विभाग अपने आपको मजबूत करने के लिए समय-समय पर मॉक ड्रिल और अभ्यास के कार्यक्रम का आयोजन करता रहता है.
इसी के मद्देनकर गुरुवार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एवं झारखंड सरकार की आपदा प्रबंधन विभाग ने मिलकर मॉक ड्रिल किया. जिसमें एनडीआरएफ के जवानों को कई टिप्स दिए गए. मॉक ड्रिल के माध्यम से आगजनी, बाढ़, भूकंप जैसी आपदाओं से निपटने के लिए एनडीआरएफ और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों को कई जानकारियां दी गईं. मॉक ड्रिल को लेकर राजधानी के धुर्वा डैम में एक स्थिति उत्पन्न की गई, जिसमें यह माना गया कि गांव के लोग नदी के बीच में फंस गए हैं और उन्हें कैसे बचाया जाए. विपरीत परिस्थितियों में एनडीआरएफ व अन्य सक्रिय संस्थाएं लोगों को बचाने में कैसे काम करती हैं. इन सभी पॉइंट्स पर कर्मचारियों को महत्वपूर्ण बातें कही गईं.
रांची के धुर्वा डैम में हुई मॉक ड्रिल को लेकर राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण के ब्रिगेडियर बी ठक्कर ने बताया कि युद्ध और आपदा ही एक ऐसे संकट हैं. जिस दौरान देश के सभी विभाग एक साथ काम करते हैं. इसीलिए आज के मॉक ड्रिल में आए सभी संस्थाओं के कर्मचारियों को यह बताया गया कि आपदा के दौरान एक दूसरे से समन्वय स्थापित करना सबसे जरूरी है. आपदा के दौरान एक दूसरे के बीच कैसे आपसी समझ को विकसित करें. इस पर आज के मॉकड्रिल में विशेष फोकस किया गया.
आपदा प्रबंधन विभाग की अवर सचिव राकेश कुमार ने कहा कि किसी भी तरह के आपदा में रेस्क्यू करना बहुत जरूरी होता है. आज के मॉक ड्रिल में रेस्क्यू कैसे करें इसको लेकर भी जवानों को जानकारी दी गई. सभी तरह की आपदाओं में रेस्क्यू के बेसिक नियम होते हैं. आपदा में फंसे लोगों को दवा, कपड़ा, खाना कैसे पहुंचाएं, इसको लेकर भी जवानों को जानकारी दी गई.
जिला प्रशासन और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों से कैसे समन्वय स्थापित करें इस पर भी आज के मॉक ड्रिल कार्यक्रम में विशेष चर्चा किया गया. धुर्वा डैम में आयोजित मॉक ड्रिल एक्सरसाइज में एनडीआरएफ की टीम, बिजली विभाग के पदाधिकारी, एंबुलेंस कर्मी, मेडिकल टीम, एसडीआरएफ की टीम और संबंधित विभाग के अधिकारी मौजूद रहे
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