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झारखंड विधानसभा में मनोनीत एंग्लो इंडियन का प्रतिनिधित्व चाहती है राज्य सरकार, प्रस्ताव पास

झारखंड में 81 विधायकों के अलावा एक एंग्लो इंडियन समुदाय के विधायक का मनोनयन होता है. यह व्यवस्था देश के करीब 14 राज्यों में लागू है. लेकिन पिछले दिनों ही केंद्रीय कैबिनेट को अगले 10 वर्षों के लिए इस व्यवस्था को लागू करने की स्वीकृति देनी थी जो नहीं दी गई.

आलमगीर आलम, Alamgeer alam
आलमगीर आलम
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Published : Jan 8, 2020, 5:56 PM IST

Updated : Jan 8, 2020, 10:20 PM IST

रांची: झारखंड विधानसभा में 81 विधायक चुनाव जीतकर पहुंचते हैं. जबकि एंग्लो इंडियन समुदाय से एक विधायक का मनोनयन होता है. यह व्यवस्था देश के करीब 14 राज्यों में लागू है. लेकिन पिछले दिनों ही केंद्रीय कैबिनेट को अगले 10 वर्षों के लिए इस व्यवस्था को लागू करने की स्वीकृति देनी थी जो नहीं दी गई. इस बाबत केंद्रीय कानून मंत्री की तरफ से सिर्फ यह कहा गया कि इस मामले पर विचार किया जाएगा.

आलमगीर आलम का बयान

केंद्र सरकार के इस रुख से एंग्लो इंडियन दुखी
इस खबर को ईटीवी भारत ने भी प्रकाशित किया था. चतुर्थ झारखंड विधान सभा में एंग्लो इंडियन समुदाय कोटे से मनोनीत विधायक रहे ग्लेन जोसेफ गाल्सटेन ने कहा था कि केंद्र सरकार के इस रुख से एंग्लो इंडियन समुदाय बेहद दुखी है. इस बीच पंचम झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र के समापन से ठीक पहले संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने एक प्रस्ताव पेश किया. जिसमें कहा गया कि झारखंड विधान सभा में एंग्लो इंडियन का मनोनयन होना चाहिए. इस प्रस्ताव को लाए जाने पर विपक्ष की तरफ से भाजपा के कई विधायकों ने इसे संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन बताते हुए विरोध जताया.

ये भी पढ़ें- तबरेज हत्या मामले में झारखंड विधानसभा में हंगामा, सदन की कार्यवाही हुई बाधित

संसद को राज्य की भावना से अवगत कराया जाएगा
इसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि इस प्रस्ताव का मतलब यह नहीं कि झारखंड विधान सभा में एंग्लो इंडियन का मनोनयन संभव होगा. बल्कि पारित प्रस्ताव के जरिए संसद को राज्य की भावना से अवगत कराया जाएगा. बता दें कि संविधान के आर्टिकल 334b में यह प्रावधान है कि जिस राज्य में भी एंग्लो इंडियन समुदाय की संख्या है वहां कि विधानसभा और संसद में भी उनका प्रतिनिधित्व होना चाहिए. लेकिन केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 334a के तहत विधानसभाओं और संसद में एसटी-एससी के आरक्षण की व्यवस्था को 10 साल के लिए स्वीकृति दे दी है.

25 जनवरी 2020 को समाप्त होगी अवधि
एंग्लो इंडियन के मनोनयन को स्वीकृति नहीं दी है. 25 जनवरी 2020 को यह अवधि समाप्त हो जाएगी. खास बात है कि 6 माह बाद भी लोकसभा में एंग्लो इंडियन का मनोनयन नहीं हुआ है लिहाजा यह माना जा रहा है कि केंद्र सरकार अब इस दिशा में आगे नहीं बढ़ने वाली है. लिहाजा झारखंड विधानसभा में राज्य सरकार ने एक प्रस्ताव पारित कर अपनी इस भावना से केंद्र सरकार को अवगत कराने का फैसला लिया है.

रांची: झारखंड विधानसभा में 81 विधायक चुनाव जीतकर पहुंचते हैं. जबकि एंग्लो इंडियन समुदाय से एक विधायक का मनोनयन होता है. यह व्यवस्था देश के करीब 14 राज्यों में लागू है. लेकिन पिछले दिनों ही केंद्रीय कैबिनेट को अगले 10 वर्षों के लिए इस व्यवस्था को लागू करने की स्वीकृति देनी थी जो नहीं दी गई. इस बाबत केंद्रीय कानून मंत्री की तरफ से सिर्फ यह कहा गया कि इस मामले पर विचार किया जाएगा.

आलमगीर आलम का बयान

केंद्र सरकार के इस रुख से एंग्लो इंडियन दुखी
इस खबर को ईटीवी भारत ने भी प्रकाशित किया था. चतुर्थ झारखंड विधान सभा में एंग्लो इंडियन समुदाय कोटे से मनोनीत विधायक रहे ग्लेन जोसेफ गाल्सटेन ने कहा था कि केंद्र सरकार के इस रुख से एंग्लो इंडियन समुदाय बेहद दुखी है. इस बीच पंचम झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र के समापन से ठीक पहले संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने एक प्रस्ताव पेश किया. जिसमें कहा गया कि झारखंड विधान सभा में एंग्लो इंडियन का मनोनयन होना चाहिए. इस प्रस्ताव को लाए जाने पर विपक्ष की तरफ से भाजपा के कई विधायकों ने इसे संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन बताते हुए विरोध जताया.

ये भी पढ़ें- तबरेज हत्या मामले में झारखंड विधानसभा में हंगामा, सदन की कार्यवाही हुई बाधित

संसद को राज्य की भावना से अवगत कराया जाएगा
इसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि इस प्रस्ताव का मतलब यह नहीं कि झारखंड विधान सभा में एंग्लो इंडियन का मनोनयन संभव होगा. बल्कि पारित प्रस्ताव के जरिए संसद को राज्य की भावना से अवगत कराया जाएगा. बता दें कि संविधान के आर्टिकल 334b में यह प्रावधान है कि जिस राज्य में भी एंग्लो इंडियन समुदाय की संख्या है वहां कि विधानसभा और संसद में भी उनका प्रतिनिधित्व होना चाहिए. लेकिन केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 334a के तहत विधानसभाओं और संसद में एसटी-एससी के आरक्षण की व्यवस्था को 10 साल के लिए स्वीकृति दे दी है.

25 जनवरी 2020 को समाप्त होगी अवधि
एंग्लो इंडियन के मनोनयन को स्वीकृति नहीं दी है. 25 जनवरी 2020 को यह अवधि समाप्त हो जाएगी. खास बात है कि 6 माह बाद भी लोकसभा में एंग्लो इंडियन का मनोनयन नहीं हुआ है लिहाजा यह माना जा रहा है कि केंद्र सरकार अब इस दिशा में आगे नहीं बढ़ने वाली है. लिहाजा झारखंड विधानसभा में राज्य सरकार ने एक प्रस्ताव पारित कर अपनी इस भावना से केंद्र सरकार को अवगत कराने का फैसला लिया है.

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Last Updated : Jan 8, 2020, 10:20 PM IST
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