रांचीः कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा विरोधी दल ऊर्जा से लबरेज दिख रहे हैं. कर्नाटक वाली जीत को दोहराने के लिए चुनावी राज्यों में वोट के गणित का फार्मूला निकालने का दौर शुरू हो चुका है. इसकी आहट झारखंड में भी नजर आने लगी है. झामुमो, कांग्रेस और राजद के गठबंधन से हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी सरकार भी 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी एकता की गांठ को और मजबूत करने में जुटी हुई है. जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की अध्यक्षता में उनकेे आवास पर 10 जून को 11 बजे राज्य समन्वय समिति की बैठक बुलाई गई है. इसमें भाग लेने के लिए सभी सदस्यों, विशेष आमंत्रित सदस्यों और आमंत्रित सदस्य को पत्र भेजा गया है.
ये भी पढ़ेंः झारखंड राज्य समन्वय समिति गठित, जानिए कितने वर्षों का होगा कार्यकाल, काैन बने अध्यक्ष
पलायन के मुद्दे पर किया जाएगा फोकसः खास बात है कि गठनबंधन की सरकार बनने के बावजूद समन्वय समिति को बनाने में तीन साल लग गए. समन्वय समिति के सदस्य के रूप में मंत्री का दर्जा पा चुका प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने बताया कि पलायन को रोकने के लिए और क्या कुछ किया जा सकता है, इस पर फोकस किया जाएगा. उन्होंने कहा कि गुरूजी के मार्गदर्शन में जनआंकाक्षाओं को पूरा करना सरकार की प्राथमिकता है. लिहाजा, वैसे तमाम मसलों पर चर्चा होगी. जहां तक बोर्ड और निगम की बात है तो इस पर मुख्यमंत्री के रांची लौटने के बाद चर्चा होगी.
क्यों बनायी गई थी राज्य समन्वय समितिः दरअसल, चुनाव पूर्व गठबंधन के दौरान ही तीनों सत्ताधारी दलों ने ऐलान कर रखा था कि जीत मिलने पर एक समन्वय समिति बनाकर सरकार काम करेगी. लेकिन सरकार बनने के साथ ही कोरोना की एंट्री और कल्याणकारी योजनाओं की जरूरत बदलने, सरकार को अस्थिर करने जैसे मामलों की वजह से समिति का गठन लटकता चला गया. लेकिन प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय इसकी जरूरत का मुद्दा बार-बार उठाते रहे. पिछले दिनों कुछ मामलों को लेकर बैकफुट में सरकार के आने के बाद समन्वय समिति गठित की गई थी. गठन के बाद एक बैठक हुई थी, जिसमें कोई बड़ा फैसला नहीं लिया गया था. लिहाजा, 10 जून को बुलायी गई बैठक में लोक कल्याणकारी योजनाओं पर समिति सरकार को अपने विचारों से अवगत कराएगी. मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए योजना बनाने का सुझाव दिया जा सकता है. साथ ही उपलब्ध संसाधनों के आधार पर जनहित में कैसे काम हो सकते हैं, इसपर भी सुझाव दिया जा सकता है.
आपको बता दें कि नवंबर 2022 में राज्य समन्वय समिति का गठन हुआ था. इसमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, झामुमो नेता सरफराज अहमद, झामुमो नेता विनोद पांडेय के अलावा फागु बेसरा और योगेंद्र महतो को सदस्य का दर्जा दिया गया था. इसके अलावा कांग्रेस नेता सह मंत्री आलमगीर आलम और राजद नेता सह मंत्री सत्यानंद भोक्ता को विशेष सदस्य बनाया गया था. साथ ही बंधु तिर्की को आमंत्रित सदस्य बनाया गया था. हालाकि 9 सदस्यीय कमेटी में सिर्फ राजेश ठाकुर, बिनोद पांडेय, फागु बेसरा और योगेंद्र महतो को मंत्री का दर्जा दिया गया है. इनका कार्यकाल तीन साल का है. इनको मंत्री की सभी सुविधाएं मिल रही हैं. अब देखना है कि आगामी बैठक में किन बिंदुओं पर फोकस किया जाता है.