रांची: जीएसटी नियम 2020 में किए गए संशोधनों के कारण स्टेकहोल्डर्स के बीच व्याप्त कठिनाइयों पैदा हो गई है, जिसे देखते हुए सोमवार को चैंबर भवन में व्यापारियों की बैठक की गई. बैठक में संशोधन के बारे में कहा गया कि संशोधन से सरकार के राजस्व संग्रह में वृद्धि या सरलीकरण की सार्थकता कहीं भी नहीं दिखती है. जिस पर मंत्रालय को पुर्नविचार करने की जरूरत है.
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चैंबर ने भारत सरकार के वित्त मंत्री को लिखा पत्र
चैंबर ने इसको लेकर भारत सरकार के वित्त मंत्री को पत्र लिखा है. पत्र में कुछ संशोधित प्रावधान जीएसटीआईएन के निलंबन के लिए करदाता को सुनवाई को अवसर नहीं देने, निबंधन प्रक्रिया में भौतिक सत्यापन की व्यवस्था, रूल्स 36(4) के तहत आईटीसी दावे पर प्रतिबंध और सेक्शन 86बी के तहत हर महीने 50 लाख से अधिक के टर्नओवर वाले कारोबारियों को जीएसटी देनदारी का कम से कम एक फीसदी नकद में जमा कराने के प्रावधान से कारोबारियों पर कंप्लायंस का बर्डेन बढने की संभावनाएं हैं.
स्टेकहोल्डर्स का पक्ष सुनना भी जरुरी
चैंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा ने बताया कि जीएसटी के संशोधनों को प्रभावी करने से पूर्व स्टेकहोल्डर्स को प्रशिक्षित करने और उसकी सार्थकता समझाने की परंपरा रही है. उनसे आग्रह किया गया कि प्रस्तावित संशोधनों को 1 जनवरी 2021 से प्रभावी करने के निर्णय को शिथिल करें. इससे पूर्व राज्य के स्टेकहोल्डर्स के बीच नियमों की सार्थकता को बताने और स्टेकहोल्डर्स के पक्ष को सुनने के लिए दिशा-निर्देश जारी करें. इसके साथ ही झारखंड जीएसटी विभाग को भी फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ काॅमर्स एंड इन्डस्ट्रीज के साथ वृहद् बैठक के लिए निर्देशित करें. चैंबर ने वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर के साथ ही जीएसटी पर्षद्, सचिव, वाणिज्यकर विभाग और सीजएसटी के संयुक्त आयुक्त को भी पत्र प्रेषित किया गया है.