रांची: एसएपी अनीश गुप्ता ने जवान सुधीर खाखा को सस्पेंड कर दिया है. निलंबन आदेश में कहा गया है कि सुधीर खाखा ने पहले भी लोहरदगा में गार्ड प्रभारी से गाली-गलौज करते हुए एसएलआर रायफल से फायरिंग की थी. उस समय भी उसे सस्पेंड किया गया था. इस बार उसने तीन राउंड फायरिंग की. इससे किसी की जान भी जा सकती थी.
जवान सुधीर खाखा के बारे किसी को कुछ भी पता नहीं है कि वह कहां गया. वह अपने ड्यूटी वाले स्थान तक नहीं पहुंचा. पुलिस लाइन का कोई भी अधिकारी कुछ नहीं बता रहे हैं. पुलिस लाइन से यही जानकारी बाहर आई है कि पुलिस लाइन प्रशासन ने सुधीर खाखा का इंसास रायफल छीन लिया है. बताया जा रहा है कि पुलिस लाइन से सुधीर खाखा सहित सात जवानों की बरियातू रोड स्थित ग्रीन पार्क अपार्टमेंट में ड्यूटी दी गई थी. लाठी पार्टी में सभी को भेजा गया था.
इतनी गंभीर घटना के बाद भी सुधीर ने सुबह कमान थाम लिया. हालांकि वह ग्रीन पार्क तक नहीं पहुंचा था. ग्रीन पार्क अपार्टमेंट में एक अधिकारी का कार्यक्रम था. इसे लेकर ड्यूटी लगाई गई थी. इधर, एसएपी अनीश गुप्ता ने जवान सुधीर खाखा को सस्पेंड कर दिया है. निलंबन आदेश में कहा गया है कि सुधीर खाखा ने पहले भी लोहरदगा में गार्ड प्रभारी को गाली-गलौज करते हुए एसएलआर रायफल से फायरिंग की थी. उस समय भी उसे सस्पेंड किया गया था. इस बार उसने तीन राउंड फायरिंग की. इससे किसी की जान भी जा सकती थी.
आठ बार हो चुका है फरार
निलंबन आदेश में लिखा है कि जवान सुधीर खाखा को अब तक तीन बार दंडित किया जा चुका है. दो बार लघु सजा और एक बार वृहद सजा दिया गया है. वह अपनी ड्यूटी से आठ बार फरार हुआ है और पांच बार अवकाश तिथि से पिछड़ा है. 26 जुलाई 2019 तक में सारे अवकाश का उपभोग भी कर चुका है. मौजूदा समय में छुट्टी के लिए कंट्रोलिंग ऑफिसर सीसीआर डीएसपी को छुट्टी के लिए कोई भी आवेदन नहीं दिया था. अगस्त महीने में उसे वेतन दिया गया है.
सार्जेंट मेजर की प्रताड़ना से था परेशान
पुलिस लाइन में गोलियों की बौछार के पीछे सार्जेंट मेजर की प्रताड़ना से गुस्सा फूटना बताया जा रहा है. गुरुवार रात घटना के समय मौजूद पुलिसकर्मियों के अनुसार इंसास रायफल लेकर सार्जेंट मेजर कार्यालय के बाहर गोली चलाने वाला जवान यह कहकर गोलियां चला रहा था कि बाहर निकल आज नहीं छोड़ूंगा. उसे बेकाबू होता देख लोगों ने पकड़ा और जमकर पिटाई कर दी. उसके बाद अस्पताल भेजा गया था.
वहां के सिपाहियों का कहना है कि सुधीर खाखा ने यह कदम सार्जेंट मेजर की प्रताड़ना से तंग आकर उठाया था. उसके भाई की मौत हो चुकी थी और उसे दशकर्म में शामिल होने गुमला के पालकोट जाना था, लेकिन नहीं जाने दिया गया. छुट्टी मांगने पर गाली-गलौज किया गया. उसका वेतन पिछले पांच माह से रुका है, जिससे वह काफी परेशान था.
दूसरे सिपाही की बेड पर करता था गुजारा
जवान सुधीर खाखा के बारे बताया जा रहा है कि वह बैरक में नहीं, बल्कि तंबू में रहकर ड्यूटी कर रहा था. सार्जेंट मेजर की ओर से उसे बेड तक नहीं दिया गया था. वह दूसरे के बेड पर सोता था. वेतन नहीं मिलने से सहकर्मियों से कर्ज लेकर गुजारा कर रहा था. नाम नहीं छापने के शर्त पर एक पुलिसकर्मी ने बताया कि सुधीर खाखा को देवघर में ड्यूटी के लिए प्रतिनियुक्त किया गया था, लेकिन पैसे नहीं रहने की बात कह वह ड्यूटी पर नहीं गया था.
वेतन रिलीज की नहीं थी जानकारी
झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष रामअवतार सिंह के अनुसार अप्रैल से जवान सुधीर खाखा का वेतन रुका हुआ था. जिससे वह काफी परेशान था. एसोसिएशन को जानकारी मिलने पर एसएसपी से मिलकर वेतन रिलीज करवाया गया था. वेतन रिलीज की जानकारी जवान को नहीं थी. इस वजह से आवेश में आकर घटना को अंजाम दिया. उसका वेतन बिना सूचना गायब रहने की वजह से रोका गया था.