रांची: झारखंड विधानसभा का छह दिवसीय मानसून सत्र कुछ उपलब्धियों और कुछ विवादों के बीच संपन्न हो गया. सत्र के अंतिम दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने वक्तव्य में पीएम मोदी, भाजपा और आजसू विधायक सुदेश महतो पर जमकर निशाना साधना. मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के लोगों ने विधि व्यवस्था की बात को लेकर सदन की ही विधि व्यवस्था बिगाड़ दी. मैं समझ नहीं पाया कि आखिर विपक्ष के पास क्या है. जनता को क्या बताना चाहते थे. इनके पास मुद्दे हैं ही नहीं. ऐसा लगा जैसे कहीं से इंपोर्ट करते हैं. कभी इन लोगों ने 60-40, कभी विधि व्यवस्था तो कभी भ्रष्टाचार की बात की.
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अपने वक्तव्य को आगे बढ़ाने से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राहुल गांधी के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि गलत की हार हुई और सच की जीत. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि ये लोग आदिवासी, दलित, पिछड़ों की बात करते हैं. लेकिन सबसे ज्यादा यही लोग घृणा करते हैं. इस पर भाजपा के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने आपत्ति जताई. भाजपा के विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया. भाजपा की गैर मौजूदगी में मुख्यमंत्री ने कहा कि ये लोग धन बल पर सत्ता में काबिज हैं. कदाचार और पेपर लीक पर अंकुश लगाने के लिए बिल लाया तो महामहिम के यहां पहुंच गए और उसे काला कानून बताने लगे. ये लोग बंदूक की नोंक पर देश चलाना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग देश के विकास की नहीं बल्कि देश के विनाश पर ज्यादा चिंतन करते हैं. ट्रेन में चार लोगों को एक पुलिस वाले ने गोली मार दी. उसके बाद पुलिस वाले ने क्या कहा, यह कह नहीं सकता. आजकल पूरे देश में कॉमन आवाज सुनाई दे रही है कि एक दूसरे को मारो, फूट डालो और राज करो. 2024 का चुनाव होना है. I.N.D.I.A गठबंधन के समूह से डरे हुए हैं. संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है. इनका काम है, बम फेंकवाओ और दंगे करवाओ. हमको ईस्ट इंडिया का नाम दे रहे हैं लेकिन इनका आचरण ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह है.
पीएम मोदी पर साधा निशाना: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व गवर्नर सतपाल मलिक का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने जो बातें कही है वह देश के सामने है. मैं अक्सर सोचता था कि पीएम मोदी कभी लेह लद्दाख तो कभी कश्मीर में जवानों के बीच दिवाली मनाने क्यों जाया करते थे. क्या मनोबल बढ़ाने गए थे. कुछ दिन बाद बलि का बकरा कैसे बन गए जवान. इन बातों को देश के युवाओं को समझना होगा।. रोजगार देने, महंगाई घटाने के नाम पर सत्ता में आए. अब युवाओं को दंगाई बना रहे हैं. व्यवसाई समूह की जमात का देश पर कब्जा हो गया है. देश की सारी संपति बिकती चली गई. पहले अंग्रेजों और मुगलों ने लूटा, अब ये लूट रहे हैं.
केंद्र सरकार पर साधा निशाना: मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी कर्मियों को सुरक्षा की चिंता है. इसको ध्यान में रखकर हमने पुरानी पेंशन योजना शुरू की. लेकिन केंद्र सरकार ऐसी है कि अपनी योजनाओं के वक्त अनुबंध कर्मियों को जोड़ती है और बाद में उन्हें राज्य सरकार पर थोप देती है. उन्होंने कहा कि रसोईया के लिए केंद्र सरकार ₹600 देती है जबकि राज्य सरकार अपने खजाने से 14 सौ रुपए देती है. सेविकाओं को केंद्र सरकार 2700 देती है तो राज्य सरकार 7300 रुपए देती है. सहायिका को केंद्र की तरफ से 1350 रुपए मिलते हैं लेकिन राज्य सरकार 3600 देती है. पारा शिक्षकों को केंद्र सरकार की तरफ से 6500 मिलता है जबकि राज्य सरकार 13000 देती है. जीएसटी लगाकर राज्य के धन संग्रहण का रास्ता बंद कर दिया.पीएम आवास के पैसे नहीं मिले. आवास भी कैंसिल कर दे रहे हैं.
1932 पर अडिग है सरकार: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सदन में आजसू नेता सुदेश जी ने चतुराई से सरकार को घेरने की कोशिश की. अब ये लोग 60-40 का नारा लगा रहे हैं. युवाओं को गुमराह कर रहे हैं. समाज में जहर फेंक रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की स्पष्ट सोच थी कि स्थानीय को 100% नौकरी मिले. नियोजन नीति लेकर आए जो महामहिम के यहां फंस गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम 1932 पर अडिग हैं और फिर से विधेयक लाएंगे. उन्होंने कहा कि ये पूछते हैं कि किस नियम से नियुक्ति हो रही है. इस नियम को उन्हीं लोगों ने बनाया था. हमारी सरकार ने नौजवानों से पूछा कि 1932 का इंतजार करें या वर्तमान परिस्थिति के साथ आगे बढ़ें. युवाओं को वक्त पर राह नहीं दिखाया तो भटक जाते हैं. हमने उनके तनाव को कम करने की कोशिश की. वर्तमान में 60% सीटें रिजर्व हैं. लेकिन 40% में क्या सभी बाहरी आ जाएंगे. ऐसा नहीं हो सकता. वर्तमान में सरकार की कड़ी निगरानी की वजह से बहुत मुश्किल से 15 से 20% बाहरी आ पा रहे हैं. आने वाले समय में उसको भी जीरो करेंगे. इतनी बातें कहने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि जिनको सुनाना था, वो सदन में हैं नहीं. उन्होंने कहा कि रात के 9:00 बज गए हैं. इसलिए ज्यादा ना कहते हुए मेरे शेष वक्तव्य को पढ़ा हुआ मान लिया जाए.
बता दें कि 6 दिन के सत्र में कुल 8 विधेयक स्वीकृत किए गए. ध्यानाकर्षण की 51 सूचनाएं ली गई. कुल 223 तारांकित प्रश्न और 121 अल्प सूचित प्रश्न लिए गये.