रांचीः हटिया रेलवे स्टेशन पर केरल के एर्नाकुलम से शनिवार को लगभग 11:00 बजे एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन पहुंची. इस श्रमिक स्पेशल ट्रेन से लगभग 350 प्रवासी महिला यात्री भी पहुंची, जो एर्नाकुलम में फंसी हुई थी. उनको फैक्ट्री मालिक वहां लगातार परेशान कर रहा था. इन तमाम यात्रियों ने रेलवे स्टेशन पर आपबीती और अपनी पीड़ा सुनाई. वैसे तो लगातार खासकर दक्षिण भारत से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें झारखंड आ रही हैं. हटिया रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों की आवाजाही जारी है.
इसी कड़ी में शनिवार को केरल के एर्नाकुलम से हटिया रेलवे स्टेशन पर एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन पहुंची. इस ट्रेन से लगभग 1,400 यात्री पहुंचे, लेकिन इसमे शामिल 350 महिला यात्रियों की परेशानी कुछ अलग नजर आई.
ये सभी झारखंड सरकार के कौशल विकास विभाग के तहत प्रशिक्षण लेकर केरल की विभिन्न फैक्ट्रियों में नौकरी करने गईं थीं. तमाम लड़कियां कई वर्षों से इन फैक्ट्रियों में नौकरी कर रहीं थीं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण तमाम फैक्ट्रियों में काम बंद हो गया और इनके लिए मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा.
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उनके अनुसार फैक्ट्री मालिक का कोई सहयोग नहीं मिला. खाने-पीने के लाले पड़ गए. यहां तक फैक्ट्री प्रबंधकों इन्हें झारखंड जाने के लिए भी रोके दिया. लड़कियों ने आपबीती सुनाते हुए कहा है कि कमरों में ताले जड़ दिए गए थे और खाने-पीने के नाम पर कुछ भी नहीं दिया जाता था. भूखे प्यासे किसी तरह दिन कट रहा था. कभी ब्रेड तो कभी दो केला देकर लोग चले जाते थे.
अब नहीं जाएंगे अन्य प्रदेश में मजदूरी करने
अंततः 350 लड़कियों ने वहां से भागने का निर्णय लिया और फैक्टरी मालिक से बगावत कर वहां से सीधे रेलवे पैदल स्टेशन पंहुची. रेलवे स्टेशन में आनन-फानन में किसी तरीके से व्यवस्था की गई और अब जाकर अपना प्रदेश यानी कि झारखंड पहुंची हैं. झारखंड पहुंचने के बाद उन्हें काफी सुकून मिल रहा है .अब यह लड़कियां और महिलाएं किसी भी हालत में अन्य प्रदेश जाकर मजदूरी नहीं करना चाहती हैं. हटिया रेलवे स्टेशन पर बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि अगर झारखंड में ही कोई काम मिल जाए तो यह बाहर जाने के लिए सोचेंगे भी नहीं.