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रांचीः जगन्नाथपुर मंदिर में घूरती रथ यात्रा और विशेष पूजा अनुष्ठान संपन्न, प्रभु के भक्त दिखे मायूस - कोरोना से जगन्नाथपुर रथ यात्रा प्रभावित

कोरोना महामारी के कारण राज्य में सभी प्रकार की गतिविधियां ठप पड़ी हैं. इस बार धुर्वा स्थित रांची के जगन्नाथपुर मंदिर से रथ यात्रा का आयोजन नहीं हुआ. प्रतिवर्ष इसका भव्य रूप से इसका आयोजन होता था. हालांकि भगवान जगन्नाथ के मुख्य मंदिर में विग्रहों की विशेष पूजा अर्चना की गई.

रथयात्रा
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Published : Jul 1, 2020, 4:50 PM IST

रांचीः धुर्वा स्थित रांची के जगन्नाथपुर मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. इस मंदिर का निर्माण नागवंशी राजा ठाकुर एनी नाथ शाहदेव ने करवाया था. 326 वर्ष पुरानी यहां की परंपरा है. प्रत्येक वर्ष रथ यात्रा और उसके बाद घूरती रथ यात्रा का भी पौराणिक मान्यता है, लेकिन इस बार कोरोना के कारण इस मंदिर में न तो रथ यात्रा का ही आयोजन हुआ और ना ही घूरती रथ यात्रा हुई. हालांकि भगवान जगन्नाथ के मुख्य मंदिर में विग्रहों की विशेष पूजा अर्चना की गई.

घूरती रथ यात्रा संपन्न.

भगवान जगन्नाथ का 9 दिनों का प्रवास खत्म हो गया. भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ 9 दिनों बाद अपने धाम लौटते हैं और यह परंपरा काफी पुरानी है. हालांकि इस वर्ष रांची के जगन्नाथपुर मंदिर में रथ यात्रा का आयोजन नहीं किया गया है और न ही किसी भी तरीके का यहां मेला का आयोजन हुआ है.

कोरोना वायरस के मद्देनजर सुरक्षात्मक कदम उठाते हुए ऐहतिहातन यह फैसला लिया गया है. 9 दिनों बाद भगवान की विशेष पूजा-अर्चना होती है. इसी कड़ी में रांची के जगन्नाथपुर मंदिर में भगवान के मुख्य मंदिर में ही तीनों विग्रहों के लिए विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया गया. भगवान को गर्भगृह में विराजित कर दिया गया. प्रभु की विशेष पूजा अर्चना की गई .

सोशल डिस्टेंसिंग का रखा गया ख्याल

कोविड-19 के मद्देनजर मंदिर के विशेष पुरोहितों द्वारा ही सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए भगवान की आराधना की गई. इस दौरान मंदिर प्रांगण में किसी को भी प्रवेश नहीं करने दिया गया. प्रत्येक वर्ष राजधानी रांची के धुर्वा के इस क्षेत्र में लाखों की तादाद में लोग घूरती रथ यात्रा देखने पहुंचते थे, लेकिन इस बार यह प्रथा और यह परंपरा नहीं हो सका.

यह भी पढ़ेंः शिवभक्तों की आस्था पर कोरोना का ग्रहण, हजार करोड़ की अर्थव्यवस्था ठप

326 वर्षों का इतिहास इस बार बदल गया. घूरती रथयात्रा का अनुष्ठान संपन्न करा लिया गया. इस पूरे अनुष्ठान में सिर्फ 50 लोगों की ही उपस्थिति हुई. वहीं मंदिर प्रांगण और मौसी बाड़ी में भक्तों का एक-एक कर आना जाना लगा रहा. लोग मंदिर के बाहर ही पूजा अर्चना करते दिखे.

भक्तों में मायूसी

भगवान जगन्नाथ के भक्तों ने इस बार पूजा तो की, लेकिन काफी मायूस भी दिखे. भक्तों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष यह क्षेत्र गुलजार रहा करता था, लेकिन इस बार कोरोना वायरस ने सब कुछ प्रभावित कर दिया है.

लोग घरों से निकल नहीं पा रहे हैं भगवान का दर्शन भी नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि लोग भगवान से यह प्रार्थना जरूर किया है कि सब कुछ ठीक हो जाए और पूरे भारत वर्ष से कोरोना वायरस से निजात प्रभु दिलाएं.

रांचीः धुर्वा स्थित रांची के जगन्नाथपुर मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. इस मंदिर का निर्माण नागवंशी राजा ठाकुर एनी नाथ शाहदेव ने करवाया था. 326 वर्ष पुरानी यहां की परंपरा है. प्रत्येक वर्ष रथ यात्रा और उसके बाद घूरती रथ यात्रा का भी पौराणिक मान्यता है, लेकिन इस बार कोरोना के कारण इस मंदिर में न तो रथ यात्रा का ही आयोजन हुआ और ना ही घूरती रथ यात्रा हुई. हालांकि भगवान जगन्नाथ के मुख्य मंदिर में विग्रहों की विशेष पूजा अर्चना की गई.

घूरती रथ यात्रा संपन्न.

भगवान जगन्नाथ का 9 दिनों का प्रवास खत्म हो गया. भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ 9 दिनों बाद अपने धाम लौटते हैं और यह परंपरा काफी पुरानी है. हालांकि इस वर्ष रांची के जगन्नाथपुर मंदिर में रथ यात्रा का आयोजन नहीं किया गया है और न ही किसी भी तरीके का यहां मेला का आयोजन हुआ है.

कोरोना वायरस के मद्देनजर सुरक्षात्मक कदम उठाते हुए ऐहतिहातन यह फैसला लिया गया है. 9 दिनों बाद भगवान की विशेष पूजा-अर्चना होती है. इसी कड़ी में रांची के जगन्नाथपुर मंदिर में भगवान के मुख्य मंदिर में ही तीनों विग्रहों के लिए विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया गया. भगवान को गर्भगृह में विराजित कर दिया गया. प्रभु की विशेष पूजा अर्चना की गई .

सोशल डिस्टेंसिंग का रखा गया ख्याल

कोविड-19 के मद्देनजर मंदिर के विशेष पुरोहितों द्वारा ही सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए भगवान की आराधना की गई. इस दौरान मंदिर प्रांगण में किसी को भी प्रवेश नहीं करने दिया गया. प्रत्येक वर्ष राजधानी रांची के धुर्वा के इस क्षेत्र में लाखों की तादाद में लोग घूरती रथ यात्रा देखने पहुंचते थे, लेकिन इस बार यह प्रथा और यह परंपरा नहीं हो सका.

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326 वर्षों का इतिहास इस बार बदल गया. घूरती रथयात्रा का अनुष्ठान संपन्न करा लिया गया. इस पूरे अनुष्ठान में सिर्फ 50 लोगों की ही उपस्थिति हुई. वहीं मंदिर प्रांगण और मौसी बाड़ी में भक्तों का एक-एक कर आना जाना लगा रहा. लोग मंदिर के बाहर ही पूजा अर्चना करते दिखे.

भक्तों में मायूसी

भगवान जगन्नाथ के भक्तों ने इस बार पूजा तो की, लेकिन काफी मायूस भी दिखे. भक्तों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष यह क्षेत्र गुलजार रहा करता था, लेकिन इस बार कोरोना वायरस ने सब कुछ प्रभावित कर दिया है.

लोग घरों से निकल नहीं पा रहे हैं भगवान का दर्शन भी नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि लोग भगवान से यह प्रार्थना जरूर किया है कि सब कुछ ठीक हो जाए और पूरे भारत वर्ष से कोरोना वायरस से निजात प्रभु दिलाएं.

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