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निहारिका द्विवेदी ने पेश की मानवता की मिसाल, कहा- 'नेक काम की कोई उम्र नहीं होती' - niharika dwivedi sent 3 migrant workers to jharkhand

यह महज एक कहावत है कि 'नेक काम की कोई उम्र नहीं होती', लेकिन अगर मन साफ हो और दिल में मदद करने का जुनून हो तो यह कहावत भी सच हो जाती है. इस कहावत को सच कर दिखाया है नोएडा की 8वीं कक्षा की छात्रा निहारिका द्विवेदी ने, जिसने अपने पिग्गी बैंक के पैसे से तीन मजदूरों को फ्लाइट के जरिए दिल्ली से झारखंड भिजवाया.

special interview of etv bharat with Niharika Dwivedi
निहारिका द्विवेदी एक्सक्लूसिव बातचीत
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Published : Jun 3, 2020, 5:41 PM IST

Updated : Jun 3, 2020, 7:24 PM IST

नोएडा: 'नेक काम की कोई उम्र नहीं होती' इस कहावत को सच कर दिखाया है 8वीं कक्षा की निहारिका द्विवेदी ने. वह नोएडा के सेक्टर 50 की रहने वाली है. निहारिका ने लॉकडाउन की वजह से दिल्ली के शेल्टर होम में फंसे झारखंड के 3 कामगारों को उनके घर पहुंचाया ह. इसके लिए उसने अपने पिगी बैंक से 48,530 रुपये निकालकर तीनों श्रमिकों को हवाई जहाज से झारखंड भिजवाया और मानवता की मिसाल पेश की.

निहारिका द्विवेदी से एक्सक्लूसिव बातचीत

श्रमिकों की आंखों में देखा दर्द

निहारिका ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि उसने न्यूज के माध्यम से लोगों के दर्द को देखा. उन्होंने अपनी नानी को याद करते हुए कहा कि वह हमेशा कहती थी कि किसी के दर्द को जानना है तो उसकी आंखों में देखो. ऐसे में श्रमिकों का दर्द उनके चेहरे और उनके आंखों में साफ झलक रहा है. देश निर्माण में मजदूरों का बड़ा योगदान रहा है. ऐसे में महामारी के दौरान श्रमिकों की सहायता करना उसका भी फर्ज है.

ये भी पढ़ें-देवघर: श्रावणी मेले के आयोजन पर सशंय, सरकार की ओर से अबतक कोई स्पष्ट निर्देश नहीं

सामर्थ्य के हिसाब से गरीबों की मदद

निहारिका ने बताया कि एक ही परिवार के तीन लोगों को उसने झारखंड भेजा है. उसने बताया कि जब मजदूरों को परेशान होते देखा तो अपने पिग्गी बैंक में रखे 48,530 रुपये को निकालकर तीनों श्रमिकों को हवाई जहाज से उनके राज्य झारखंड भिजवाया. निहारिका ने कहा कि नेक काम की कोई उम्र नहीं होती. उसने लोगों से अपील करते हुए कहा कि ये महामारी का समय है. ऐसे में अपने सामर्थ्य के हिसाब से गरीबों की मदद करें.

नोएडा: 'नेक काम की कोई उम्र नहीं होती' इस कहावत को सच कर दिखाया है 8वीं कक्षा की निहारिका द्विवेदी ने. वह नोएडा के सेक्टर 50 की रहने वाली है. निहारिका ने लॉकडाउन की वजह से दिल्ली के शेल्टर होम में फंसे झारखंड के 3 कामगारों को उनके घर पहुंचाया ह. इसके लिए उसने अपने पिगी बैंक से 48,530 रुपये निकालकर तीनों श्रमिकों को हवाई जहाज से झारखंड भिजवाया और मानवता की मिसाल पेश की.

निहारिका द्विवेदी से एक्सक्लूसिव बातचीत

श्रमिकों की आंखों में देखा दर्द

निहारिका ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि उसने न्यूज के माध्यम से लोगों के दर्द को देखा. उन्होंने अपनी नानी को याद करते हुए कहा कि वह हमेशा कहती थी कि किसी के दर्द को जानना है तो उसकी आंखों में देखो. ऐसे में श्रमिकों का दर्द उनके चेहरे और उनके आंखों में साफ झलक रहा है. देश निर्माण में मजदूरों का बड़ा योगदान रहा है. ऐसे में महामारी के दौरान श्रमिकों की सहायता करना उसका भी फर्ज है.

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सामर्थ्य के हिसाब से गरीबों की मदद

निहारिका ने बताया कि एक ही परिवार के तीन लोगों को उसने झारखंड भेजा है. उसने बताया कि जब मजदूरों को परेशान होते देखा तो अपने पिग्गी बैंक में रखे 48,530 रुपये को निकालकर तीनों श्रमिकों को हवाई जहाज से उनके राज्य झारखंड भिजवाया. निहारिका ने कहा कि नेक काम की कोई उम्र नहीं होती. उसने लोगों से अपील करते हुए कहा कि ये महामारी का समय है. ऐसे में अपने सामर्थ्य के हिसाब से गरीबों की मदद करें.

Last Updated : Jun 3, 2020, 7:24 PM IST

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