रांचीः झारखंड में छोटे बच्चे ओमीक्रोन संक्रमित हो रहे हैं. छोटे बच्चों में कोरोना का संक्रमण का लक्षण दिखाई दे रहा है. जिसमें हल्के से लेकर गंभीर लक्षण देखने को मिल रहे हैं. विशेष रूप से 5 साल के छोटे बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है. रिम्स अस्पताल में फिलहाल करीब 10 ऐसे बच्चे भर्ती हैं.
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कोरोना वेरिएंट ओमीक्रोन का संक्रमण अब बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है. पांच साल से छोटे बच्चों में ओमीक्रोन के लक्षण पाए जा रहे हैं. रिम्स में ऐसे बच्चों का इलाज कर रहे डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चों के संक्रमित होने का मुख्य कारण एक यह भी है कि उनके लिए वैक्सीन अभी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. भारत में ओमीक्रोन के तेजी से बढ़ते मामले के बीच अभिभावकों की चिंता काफी बढ़ गई है. 15 साल से कम उम्र के बच्चों का वैक्सीन आने में अभी काफी समय है. ऐसे में अभिभावक इस बात को लेकर परेशान है कि कोरोना के इन दिनो से छोटे बच्चों को कैसे बचाया जाए.
इस संबंध में डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चों में ओमीक्रोन के लक्षण बड़ों से अलग हो सकते हैं. कई रिसर्च में पाया गया है कि ओमीक्रोन के सबसे आम लक्षण नाक बंद होना, गले में खराश या चुभन, सूखी खांसी और पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना आम बात होती है. अगर बच्चों में इस तरह के लक्षण पाए जाते हैं तो यह मान लिया जाता है कि बच्चे में ओमीक्रोन वेरिएंट ही है. आगे उन्होंने कहा कि लेकिन राहत की बात यह है कि यह 5 दिनों के इलाज में आसानी से ठीक हो जाता है, ओमीक्रोन के साइड इफेक्ट ज्यादा नहीं देखे जा रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि इम्यूनिटी अच्छी होने के बावजूद भी बच्चों के बीच कोरोना वायरस का संक्रमण है.
शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है डेल्टा की तुलना में ओमीक्रोन ज्यादा तेज गति से फैल रहा है. यही वजह है कि ज्यादातर बच्चे इसके संपर्क में आने लगे हैं. हालांकि पहले के वेरिएंट में बच्चों में ज्यादा साइड इफेक्ट देखे गए थे लेकिन ओमीक्रोन के साइड इफेक्ट नाम मात्र हैं. डॉक्टर्स ने बच्चों को कोरोना के वेरिएंट से बचाने के लिए अभिभावकों को सलाह देते हुए कहा कि बच्चों के खान-पान पर विशेष ध्यान रखें ताकि संक्रमण का असर बच्चों पर ज्यादा ना पड़े.