रांचीः कोविड काल में रांची में रेमडिसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की एसआईटी जांच पूरी कर ली गई है.जांच में रेमडिसिविर की कालाबाजारी और अनाधिकृत रूप से बिक्री की बात सामने आई है. एसआईटी ने पाया कि फर्जी दस्तावेज तैयार कर कोविड काल में रेमडिसिविर इंजेक्शन की कालाबजारी की गई थी.
क्या है रिपोर्ट मेंः एसआईटी के प्रमुख डीजी अनिल पालटा ने बयान जारी कर बताया है कि एसआईटी ने अनुसंधान के क्रम में कई गवाहों के बयान, मोबाइल फोरेंसिक, कंप्यूटर फोरेंसिक, वायस स्पेक्ट्रोग्राफी टेस्ट रिपोर्ट, केमिकल एनालिसिस रिपोर्ट के आधार पर जांच की. इस दौरान एसआईटी ने खुलासा किया कि कुल 250 वायल रेमडिसिविर की कालाबाजारी और अनाधिकृत रूप से बिक्री की गई थी.एसआईटी ने पाया कि फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकारी अस्पतालों से निर्गत रेमडिसिविर इंजेक्शन की चोरी के आरोप प्रमाणित हुए हैं.
किस-किस के खिलाफ हुई चार्जशीटः एसआईटी ने इस मामले में सबसे पहले 26 जून 2021 को गिरफ्तार आरोपी राजीव कुमार सिंह, मनीष कुमार सिन्हा के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. बाद में एसआईटी ने इस मामले में सुषमा कुमारी पर चार्जशीट दायर की थी. वहीं 4 अक्तूबर को ईडी ने इस मामले में साईं कृपा मेडिकल एंड सर्जिकल के सह प्रोपराइटर विलाश चौधरी को मृत दिखाते हुए चार्जशीट की है.वहीं डॉ सुधाकर देव की पत्नी अंजू कुमारी, अनीष कुमार सिन्हा, पुनीत प्रजापति, आशीष गुप्ता के खिलाफ अंतिम चार्जशीट की गई है. बुधवार को जिन आरोपियों पर पूरक चार्जशीट हुई वे सभी साई कृपा के सह प्रोपराइटर हैं.
डीजी अनिल पालटा ने बताया कि एसआईटी के समर्पित प्रतिवेदन के आधार पर साईं कृपा मेडिकल एंड सर्जिकल का लाइसेंस रद्द हो चुका है. वहीं रिम्स के दो कर्मियों के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई प्रारंभ की गई है. झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर 29 अप्रैल 2021 को कोतवाली थाना में दर्ज केस की जांच एसआईटी कर रही थी. आरोप था कि अभियुक्तों ने ऊंचे दामों पर कालाबाजारी कर अनाधिकृत रूप से रेमडिसिविर इंजेक्शन की बिक्री की है.