रांचीः राजधानी के बेड़ो प्रखंड के खक्सी टोली गांव निवासी 87बर्षीय पद्मश्री सिमोन उरांव आज भी शिद्दत से पर्यावरण, जल, जंगल और जमीन के संरक्षण में जुटे हैं. गांव में बरसात का पानी, नदी, नाला में बह जाने से गर्मी में पीने के पानी के लिये दिक्कत होती थी, तो फसलों की सिंचाई के लिये मिलना काफी मुश्किल था. उन्होने गांवों के जलस्तर को ठीक रखने के लिए तीन बांध, आठ तालाब, नहर और कई कुएं बनवाये हैं. बरसात का पानी जब तक इनमें नहीं भरता, तब तक पानी नदी की ओर नहीं जाता है.
अब जल जमाव से जल स्तर बढ़ गया है. गर्मी में भी कुंआ में जमीन की सतह से कुछ फीट के नीचे तक पानी रहता है. खेतों में फसल की सिचाई के लिये पानी मिल रहा है. सिमोन बाबा कहते हैं "जिस तरह लोग धान (अनाज) को मोरा में बांध कर और छटका में भर कर रखते है. मैंने वैसे ही बरसात के पानी को बांध, तालाब और कुआं में जमा कर रखते है.
सिमोन उरांव बताते हैं कि ईश्वर ने धरती, पेड़-पौधा, नदी-नाला, जीव-जंतू सहित मनुष्यों को सबकुछ दिया है. पर वह ईश्वर की इच्छानुसार नहीं बल्कि अपनी इच्छा के अनुसार चल रहा है. इस धरती को अपने लोभ के कारण बरबाद कर रहा है. जंगल, नदी नाले और पहाड़ समाप्त हो रहे हैं. हरियाली नहीं बच रही और हवा भी शुद्ध नहीं रह गया है. इससे कई तरह की समस्याएं और नई नई बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं.
उन्होंने बताया कि गांव के जंगलों की रक्षा के लिए उन्होंने जंगल सुरक्षा समिति बनाई है. जिसमें गांव के लोग ही जंगलों की सुरक्षा करते हैं. यदि कोई उपयोग के लिये एक पेड़ काटता है, तो उसे पांच से दस पेड़ भी लगाने होते हैं. इससे जंगलों के पेड़ कम नहीं होते, बल्कि बढ़ते हैं.