रांची: कर्नाटक चुनाव के नतीजों से ना सिर्फ कांग्रेस की ताकत बढ़ी है बल्कि विपक्षी एकता की उम्मीद भी जगी है. इसी का नतीजा है कि 23 जून को पटना में विपक्षी महाजुटान की जोरशोर से कवायद चल रही है. मकसद है भाजपा मुक्त भारत बनाना. दूसरी तरफ सत्ता के शह मात के खेल में भाजपा भी कमर कसकर उतर चुकी है. माहौल तैयार किया जा रहा है. पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. झारखंड की 14 लोकसभा सीटों पर भाजपा की पैनी नजर है. पिछले चुनाव में झारखंड की 14 में से 11 सीटें भाजपा के खाते में गई थी. भाजपा की मदद से गिरिडीह सीट सहयोगी आजसू ने निकाली थी. अब एनडीए ने शेष दो सीटों पर नजर जमा दी है. राजमहल में झामुमो और चाईबासा में कांग्रेस को चुनौती देने की तैयारी चल रही है.
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विपक्षी गोलबंदी के बीच भाजपा की मुहिम का असर झारखंड में दिखने लगा है. पार्टी ने राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को मैदान में उतार दिया है. ट्राइबल बहुल राज्य में वसुंधरा राजे की एक्सेप्टिबिलीटी क्या होगी, यह तो वक्त बताएगा लेकिन उनका राजनीतिक अनुभव भाजपा कार्यकर्ताओं के उत्साह को दोगुना करने में मददगार साबित हो सकता है. यही वजह है कि वसुंधरा राजे तीन दिवसीय झारखंड दौरे पर 13 जून को देवघर पहुंची हैं. उनके आवभगत की जिम्मेदारी गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को मिली है. उनका शिड्यूल फिक्स है. 13 जून को गोड्डा लोकसभा क्षेत्र के देवघर स्थित शिवलोक मैदान में जनसभा के बाद 14 जून को झामुमो के गढ़ कहे जाने वाले दुमका के जामा प्रखंड के कैराबनी में जनसभा को संबोधित करना है. इसके बाद 14 जून को वसुंधरा राजे सिंधिया गिरिडीह के झगरी में परिचर्चा करेंगी. फिर 15 जून को बगोदर स्टेडियम में जनसभा को संबोधित करना है. देवघर विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है तो जामा से झामुमो सुप्रीमो गुरूजी की बहू सीता सोरेन विधायक हैं. बगोदर में भाकपा माले के बिनोद सिंह का डंका बजता है. लिहाजा, दोनों विधानसभा क्षेत्र के लोगों को भाजपा साध रही है.
अब सवाल है कि वसुंधरा राजे की झारखंड की राजनीति में कितनी प्रासंगिकता है. जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे एक चेहरा हैं. उनको एक राजघराने की बहू के रूप में देखा जाता है. वह बहुत प्रभावशाली तरीके से अपनी बात रखती हैं. भाजपा यह बताने में जुटी है कि वह लोकतंत्र की कितनी हिमायती है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा का कहना है कि पूरे देश में महासंपर्क अभियान चल रहा है. उसी के तहत अलग अलग राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्रियों को जिम्मेदारी मिली है. वसुंधरा राजे के आने से कार्यकर्ताओं में उत्साह है. साथ ही जनसभा के जरिए यह बताया जाना है कि मोदी सरकार ने देश को आगे ले जाने के लिए क्या कुछ किया है.
भाजपा नेता शिवपूजन पाठन ने बताया कि पार्टी के महा जनसंपर्क अभियान के तहत राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तीन दिवसीय झारखंड प्रवास पर आई हैं. वो ना सिर्फ जनसभाओं को संबोधित करेंगी बल्कि पार्टी के कार्यकर्ताओं से भी मुलाकात कर बताएंगी कि मोदी जी के नेतृत्व में पिछले नौ वर्षों में भारत में क्या बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि पूर्व में इसी अभियान के तहत झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास उत्तर प्रदेश के कई इलाकों का दौरा कर चुके हैं. जबकि पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी मध्य प्रदेश के रीवा समेत कई इलाकों में जनसंपर्क अभियान चला चुके हैं. झारखंड से भाजपा सांसद आदित्य साहू को प्रयागराज भेजा जा चुका हैं. आशा लकड़ा को भी जिम्मेदारी मिली है. पार्टी नेताओं का कहना है कि 30 जून तक चलने वाले महा जनसंपर्क अभियान के तहत कई और बड़े नेता झारखंड आएंगे. उनके कार्यक्रम को सफल बनाने की जिम्मेदारी स्थानीय नेतृत्व को दी गई है. इससे पार्टी कार्यकर्ता एक्टिवेट होते हैं.
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भाजपा नेताओं का कहना है कि वसुंधरा राजे सिंधिया के झारखंड दौरे को आदिवासी बहुल राज्य में प्रभाव डालने के नजरिए से देखना सही नहीं होगा. पार्टी की एकमात्र कोशिश है कि आगामी 2024 के चुनाव में राज्य की सभी 14 लोकसभा सीटों को कैसे जीता जाए. इसलिए दूसरे राज्यों के जो भी बड़े नेता झारखंड आ रहे हैं, उनका मकसद यह बताना है कि देश में पीएम मोदी का कोई विकल्प ही नहीं है.
खास बात है कि एक तरफ भाजपा महाजनसंपर्क अभियान में जुटी है तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार ने विपक्ष को एकजुट करने का बीड़ा उठा रखा है. इसी कवायद के तहत 23 जून को पटना में विपक्ष का महाजुटान होना है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पिछले दिनों कह चुके हैं कि नीतीश कुमार पीएम उम्मीदवार नहीं हैं. उनका एकमात्र मकसद है भाजपा को परास्त कर अघोषित इमरजेंसी को समाप्त करना. देश बचाने के लिए विपक्षी एकजुटता बेहद जरूरी है. माना जा रहा है कि 23 जून को पटना में 14 दलों का शीर्ष नेतृत्व विपक्षी एकता को आकार देगा. वैसे यह जुटान 12 जून को तय था लेकिन कांग्रेस के आग्रह पर तारीख बढ़ाई गई. माना जा रहा है कि पटना में राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, शरद पराव, उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी, हेमंत सोरेन, एमके स्टालीन, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, डी.राजा, सीताराम यचुरी और दीपांकर भट्टाचार्य सरीखे नेता एकजुट होकर भाजपा का काट निकालेंगे. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह खुलकर कह चुके हैं कि 2024 के चुनाव में नीतीश कुमार विपक्ष की ओर से पीएम उम्मीदवार नहीं होंगे. उनकी एकमात्र कोशिश है लोकतंत्र और संविधान को बचाना. देश को अघोषित इमरजेंसी से बाहर निकालना.