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विजिलेंस के छापे के बाद डॉक्टर RIMS छोड़ने को मजबूर, स्वास्थ्य व्यवस्था हो सकती है प्रभावित

रिम्स के कई बड़े और विशेषज्ञ डॉक्टर शहर में निजी और कॉरपोरेट अस्पतालों में अपनी सेवा दे रहे हैं, यह जगजाहिर है. ऐसे में रिम्स प्रबंधन और सरकार की ओर से इसपर रोक है. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से गठित विजिलेंस कमेटी ने निजी प्रैक्टिस करते हुए रिम्स के तीन डॉक्टरों को पकड़ा है.

Show Cause notice to three RIMS doctors on private practice in ranchi
रिम्स
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Published : Jan 13, 2020, 1:04 PM IST

रांची: स्वास्थ्य विभाग की ओर से गठित विजिलेंस कमेटी की जांच में निजी प्रैक्टिस में रिम्स के तीन डॉक्टर दोषी पाए गए हैं. मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर जेके मित्रा, न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनिल कुमार और सुपरस्पेशलिटी कार्डियोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रकाश कुमार से रिम्स के निदेशक डॉ डीके सिंह ने स्पष्टीकरण मांगा है.

देखें पूरी खबर

RIMS के 8 डॉक्टरों ने दिया VRS का आवेदन

रिम्स के कई बड़े और विशेषज्ञ डॉक्टर शहर के कॉरपोरेट अस्पतालों में अपनी सेवा दे रहे हैं. इसको लेकर सरकार और रिम्स प्रशासन की ओर से कई बार हिदायत भी दी गई है. अब निजी प्रैक्टीस में तीन डॉक्टों को विजिलेंस कमेटी ने दोषी करार दिया है. इस पूरे मामले पर रिम्स टीचर्स एसोसिएशन भी गोल बंद हो गया है. एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ प्रभात कुमार का कहना है कि जिन तीनों डॉक्टरों से स्पष्टीकरण मांगा गया है वह अपने आवास के मरीजों को ही देख रहे थे. उन्होंने इस पूरे मामले पर मुख्यमंत्री से भी हस्तक्षेप करने की मांग की है. डॉ प्रभात ने बताया कि अब तक रिम्स के 8 डॉक्टरों ने वालंटियर रिटायरमेंट स्कीम का आवेदन दिया है. जिनमें डॉक्टर पूनम सिंह डॉक्टर और डॉ केके सिंह भी शामिल हैं.

डॉक्टरों को रिम्स छोड़ने से स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ेगा असर

बता दें कि रिम्स में कार्यरत निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से गठित विजिलेंस की टीम के छापे के बाद डॉक्टरों में काफी नाराजगी देखी जा रही है. छापे से रिम्स के डॉक्टर नाराज होकर रिम्स छोड़ने को मजबूर हो गए हैं. जिससे रिम्स में डॉक्टरों की काफी कमी हो सकती है. ऐसे में रिम्स की स्वास्थ्य व्यवस्था भी चरमरा सकती है, क्योंकि आए दिन डॉक्टरों की कमी को लेकर रिम्स पर सवाल उठते रहे हैं. वैसे में रिम्स में कार्यरत सालों पुराने डॉक्टरों का छोड़ना निश्चित रूप से स्वास्थ्य व्यवस्था पर असर पड़ सकता है.

इसे भी पढ़ें- राष्ट्र गान गाते ही देशभक्ति के रंग में डूबे आक्रोशित लोग, SP की सूझबूझ

डॉक्टरों ने सरकार से की मांग

इधर, रिम्स के डॉक्टरों का कहना है कि जब नॉन प्रैक्टिस एलाइंस अन्य राज्यों में ऑप्शनल रखा गया है तो झारखंड में इसे अनिवार्य कर के डॉक्टरों को परेशान करने की कोशिश की जा रही है. इसीलिए सरकार से अनुरोध है कि झारखंड में भी एनपीए को ऑप्शनल किया जाए ताकि डॉक्टर अपने कार्य अवधि के बाद आसपास के मरीजों को देख सकें और अपने चिकित्सा धर्म को निभा सके.

रांची: स्वास्थ्य विभाग की ओर से गठित विजिलेंस कमेटी की जांच में निजी प्रैक्टिस में रिम्स के तीन डॉक्टर दोषी पाए गए हैं. मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर जेके मित्रा, न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनिल कुमार और सुपरस्पेशलिटी कार्डियोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रकाश कुमार से रिम्स के निदेशक डॉ डीके सिंह ने स्पष्टीकरण मांगा है.

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RIMS के 8 डॉक्टरों ने दिया VRS का आवेदन

रिम्स के कई बड़े और विशेषज्ञ डॉक्टर शहर के कॉरपोरेट अस्पतालों में अपनी सेवा दे रहे हैं. इसको लेकर सरकार और रिम्स प्रशासन की ओर से कई बार हिदायत भी दी गई है. अब निजी प्रैक्टीस में तीन डॉक्टों को विजिलेंस कमेटी ने दोषी करार दिया है. इस पूरे मामले पर रिम्स टीचर्स एसोसिएशन भी गोल बंद हो गया है. एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ प्रभात कुमार का कहना है कि जिन तीनों डॉक्टरों से स्पष्टीकरण मांगा गया है वह अपने आवास के मरीजों को ही देख रहे थे. उन्होंने इस पूरे मामले पर मुख्यमंत्री से भी हस्तक्षेप करने की मांग की है. डॉ प्रभात ने बताया कि अब तक रिम्स के 8 डॉक्टरों ने वालंटियर रिटायरमेंट स्कीम का आवेदन दिया है. जिनमें डॉक्टर पूनम सिंह डॉक्टर और डॉ केके सिंह भी शामिल हैं.

डॉक्टरों को रिम्स छोड़ने से स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ेगा असर

बता दें कि रिम्स में कार्यरत निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से गठित विजिलेंस की टीम के छापे के बाद डॉक्टरों में काफी नाराजगी देखी जा रही है. छापे से रिम्स के डॉक्टर नाराज होकर रिम्स छोड़ने को मजबूर हो गए हैं. जिससे रिम्स में डॉक्टरों की काफी कमी हो सकती है. ऐसे में रिम्स की स्वास्थ्य व्यवस्था भी चरमरा सकती है, क्योंकि आए दिन डॉक्टरों की कमी को लेकर रिम्स पर सवाल उठते रहे हैं. वैसे में रिम्स में कार्यरत सालों पुराने डॉक्टरों का छोड़ना निश्चित रूप से स्वास्थ्य व्यवस्था पर असर पड़ सकता है.

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डॉक्टरों ने सरकार से की मांग

इधर, रिम्स के डॉक्टरों का कहना है कि जब नॉन प्रैक्टिस एलाइंस अन्य राज्यों में ऑप्शनल रखा गया है तो झारखंड में इसे अनिवार्य कर के डॉक्टरों को परेशान करने की कोशिश की जा रही है. इसीलिए सरकार से अनुरोध है कि झारखंड में भी एनपीए को ऑप्शनल किया जाए ताकि डॉक्टर अपने कार्य अवधि के बाद आसपास के मरीजों को देख सकें और अपने चिकित्सा धर्म को निभा सके.

Intro:निजी प्रैक्टिस करने पर रिम्स के तीन डॉक्टरों को शो काउज के बाद रिम्स के शासी परिषद की बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

स्वास्थ विभाग द्वारा गठित विजिलेंस कमेटी की जांच में निजी प्रैक्टिस में दोषी पाए गये मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जेके मित्रा, न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनिल कुमार और सुपरस्पेशलिटी कार्डियोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रकाश कुमार से रिम्स के निदेशक डॉ डीके सिंह ने स्पष्टीकरण पूछा है।


Body:वही पूरे मामले पर भी उस टीचर एसोसिएशन भी गोल बंद हो गया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ प्रभात कुमार का कहना है कि जिन तीनों डॉक्टरों से स्पष्टीकरण मांगा गया है वह अपने आसपास के मरीजों को ही देख रहे थे उन्होंने इस पूरे मामले पर मुख्यमंत्री से भी हस्तक्षेप करने की मांग की है।डॉ प्रभात ने बताया कि अब तक रिम्स के 8 चिकित्सक ने वालंटियर रिटायरमेंट स्कीम का आवेदन दिया है। जिनमें डॉक्टर पूनम सिंह डॉक्टर के के सिंह भी शामिल है।


Conclusion:जाहिर है सूबे के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के तीन चिकित्सकों से निदेशक द्वारा स्पष्टीकरण मांगे जाने के बाद टीचर्स एसोसिएशन में नाराजगी देखी जा रही है। एसोसिएशन इस प्रकरण में सरकार एवं मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग कर रहा है।

आपको बता दें कि रिम्स में कार्यरत निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित विजिलेंस की टीम के छापे के बाद डॉक्टरों में काफी नाराजगी देखी जा रही है। छापे से रिम्स के डॉक्टर नाराज होकर रिम्स छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। जिससे रिम्स में डॉक्टरों की काफी कमी हो सकती है और ऐसे में रिम्स की स्वास्थ्य व्यवस्था भी चरमरा सकती है क्योंकि आये दिन डॉक्टरों की कमी को लेकर रिम्स पर सवाल उठते रहे हैं वैसे में रिम्स में कार्यरत वर्षों से पुराने डॉक्टरों का छोड़ना निश्चित रूप से स्वास्थ्य व्यवस्था पर असर पड़ सकता है।

डॉक्टरों का कहना है कि जब नॉन प्रैक्टिस एलाइंस अन्य राज्यों में ऑप्शनल रखा गया है तो झारखंड में इसे अनिवार्य कर के डॉक्टरों को परेशान करने की कोशिश की जा रही है, इसीलिए सरकार से अनुरोध है कि झारखंड में भी एन.पी.ए को ऑप्शनल किया जाए ताकि डॉक्टर अपने कार्य अवधि के बाद आसपास के मरीजों को देख सकें और अपने चिकित्सा धर्म को निभा सकें।

बाइट- डॉ प्रभात कुमार,अध्यक्ष,टीचर्स एसोसिएशन।
बाइट- डॉ डी.के सिंह,निदेशक,रिम्स
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