रांची: नगर निकाय में मेयर का पद सर्वोच्च होता है. इस लिहाज से मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि रांची नगर में हो रहे कार्यों की मॉनिटरिंग करना और अधिकारियों से की जा रही गलतियों पर सवाल उठाना उनका अधिकार और कर्तव्य है. लेकिन नगर आयुक्त मुकेश कुमार खुद को सर्वेसर्वा मान रहे हैं. आशा लकड़ा ने कहा कि निगम क्षेत्र से संबंधित योजनाओं और केंद्र और राज्य सरकार से आवंटित फंड का उपयोग करने से पूर्व स्थाई समिति और निगम परिषद से स्वीकृति लेने का प्रावधान है. लेकिन नगर आयुक्त ने हाल ही में दो योजनाओं को स्वतः स्वीकृति प्रदान कर टेंडर नोटिस निकाल दिया है. इस संबंध में उनसे जानकारी भी मांगी गई. लेकिन अब तक उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.
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मेयर ने नगर आयुक्त के लिए जारी किया शोकॉज
ऐसे में नगर आयुक्त को शोकॉज जारी कर कुछ बिंदुओं पर तीन दिनों के अंदर जवाब मांगा गया है. अगर उन्होंने निर्धारित समय के अंदर जवाब नहीं दिया तो यह माना जाएगा कि रांची नगर निगम और आम जनता के पैसों के प्रति उनकी मंशा ठीक नहीं है. मेयर ने यह भी कहा है कि नगर आयुक्त के रवैये से यही लग रहा है कि मेयर के किए गए पत्राचार का जवाब न देकर वे रांची नगर निगम में किसी बड़े घोटाला को अंजाम देने की साजिश कर रहे हैं.
नगर आयुक्त से इन बिंदुओं पर मांगा गया जवाब
पिस्का मोड़ स्थित शिव मंदिर के प्रांगण में वेंडर मार्केट का निर्माण और हेहल पोस्ट ऑफिस से रातू रोड स्थित न्यू मार्केट चौक तक सड़क के दोनों ओर पेवर ब्लॉक लगाने से संबंधित प्रस्ताव पर रांची नगर निगम की स्थायी समिति और निगम परिषद से स्वीकृति कब ली गई.
मुख्य अभियंता के माध्यम से 28 अप्रैल 2021 को संबंधित योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए समाचार पत्रों में टेंडर नोटिस प्रकाशित कराई गई, क्या इन योजनाओं से संबंधित प्रस्ताव पर स्थाई समिति और निगम परिषद से स्वीकृति ली गई है. अगर स्वीकृति प्राप्त की गई है, तो स्पष्ट जानकारी दी जाए.
झारखंड नगरपालिका अधिनियम-2011 के तहत शहर के विकास से संबंधित योजनाओं का प्रस्ताव स्थायी समिति और निगम परिषद से पारित कराने का प्रावधान है. उसके बाद ही किसी भी योजना को क्रियान्वित किया जाना है, क्या आपको यह जानकारी नहीं है.
19 अप्रैल 2021 को स्थायी समिति की बैठक में 15वें वित्त आयोग के फंड से 53 वार्डों के गली-मोहल्लों में पीसीसी सड़क के बदले आवश्यकता अनुसार पेवर ब्लॉक लगाने का प्रस्ताव पारित किया गया था. स्थाई समिति की बैठक में लिए गए निर्णय पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई.
4 मई 2021 को पत्राचार कर दो योजनाओं से संबंधित निकाले गए टेंडर नोटिस की विस्तृत जानकारी मांगी गई थी. लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं दिया. इस विषय पर मेयर को जानकारी नहीं देने के पीछे मंशा क्या है.
इस आचरण पर कई सवाल उठ रहे हैं. कहीं ऐसा तो नहीं है कि मेयर, डिप्टी मेयर और पार्षदों को गुमराह कर रांची नगर निगम में किसी बड़े घोटाले को अंजाम देने की साजिश कर रहे हैं.